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25 Dec 2024, Wed

पीएम मोदी को नोबेल पुरस्कार का दावेदार बताने की खबर गलत हैं

सोशल मीडिया पर एक खबर वायरल है, जिसमें नार्वे की नोबेल समिति के उपाध्यक्ष असले टोजे को लेकर ये दावा किया जा रहा है कि उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को नोबेल शांति पुरस्कार के सबसे बड़े दावेदार बताया है।

अभिनेत्री कंगना रनावत ने एक्स पर टाइम्स नाऊ का एक वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, ‘नोबेल पुरस्कार समिति के सदस्य हमारे प्रधान मंत्री को नोबेल पुरस्कार मिलने की संभावनाओं के बारे में बात करते हैं’

Nobel prize committee member speaks about the prospects of our Prime Minister getting the Nobel Prize 🇮🇳🇮🇳🇮🇳 pic.twitter.com/DRWUC1C2pO

— Kangana Ranaut (@KanganaTeam) February 18, 2024

रलीक्षा सिंह ने लिखा, ‘पीएम मोदी को नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया जय श्री राम जय सनातन’

PM Modi selected for Nobel prize

जय श्री राम जय सनातन#JanhviKapoor
pic.twitter.com/zVMoEJfa5Z

— रलीक्षा सिंह (@rlishsingh620) February 16, 2024

वंदना गुप्ता ने लिखा, ‘बहुत योग्य, बहुत प्रतीक्षित!!  ब्रेकिंग – पीएम @नरेंद्रमोदी  जी शांति का सबसे भरोसेमंद चेहरा’

Much deserving,Much awaited!!

Breaking – PM @narendramodi ji
Most reliable face of peace ✌️

Kudos pic.twitter.com/8KJnQPlfFx

— Vandana Gupta 🇮🇳 (@im_vandy) February 18, 2024

क्या है हकीकत? पड़ताल में हमे वायरल वीडियो से सम्बन्धित टाइम्स नाऊ की रिपोर्ट मिली हालाँकि टाइम्स नाऊ ने इस रिपोर्ट को बेवसाईट से डिलीट कर दिया है, साथ ही टाइम्स नाऊ ने अपने यूट्यूब चैनल से वीडियो भी डिलीट कर दिया है। इस रिपोर्ट को मार्च, 2023 को प्रकाशित किया गया था।

टाइम्स नाउ के एडिटर-इन-चीफ राहुल शिवशंकर ने अपने पोस्ट में बताया कि टोजे ने खुद को ‘मोदी का बड़ा प्रशंसक’ बताया और जाहिर तौर पर ये कहा कि मोदी ‘आज दुनिया में शांति का सबसे विश्वसनीय चेहरा’ हैं। बाद में उन्होंने भी ट्वीट डिलीट कर दिया। 

इसके बाद हमे असले टोजे के वायरल दावे से जुड़ी दूसरी मीडिया बाइट सर्च की। इसमें हमें ABP न्यूज के यूट्यूब चैनल पर असले टोजे का इंटरव्यू मिला। 7 मिनट के इंटरव्यू में टोजे ने नोबेल शांति पुरस्कार की नॉमिनेशन प्रोसेस बताई। उन्होंने बताया कि भारत से भी कई नॉमिनेशन मिल रहे हैं। रूस-यूक्रेन जंग रोकने में भी भारत का रोल बहुत जरूरी है।वीडियो में 3 मिनट 45 सेकेंड पर रिपोर्टर ने टोजे से पूछा कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी लीडरशिप के दम पर रूस-यूक्रेन जंग रोकने के काबिल हैं। इसके जवाब में टोजे ने कहा- आप पूछना चाह रहे हैं कि इससे क्या उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार मिल सकता है। टोजे ने आगे कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि नोबेल पुरस्कार के लिए जो काम करने होते हैं, वो दुनिया के सभी राजनेता करने के लिए प्रेरित हों। इस 7 मिनट के वीडियो में भी टोजे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नोबेल शांति पुरस्कार का दावेदार नहीं बताया है।

पड़ताल के दौरान हमें द न्यू इंडियन नाम के यूट्यूब चैनल पर भी टोजे का इंटरव्यू मिला। 4 मिनट 48 सेकेंड के इंटरव्यू में भी टोजे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नोबेल शांति पुरस्कार का दावेदार नहीं बताया है।

इस मामले में ANI को दिए एक इंटरव्यू में एसले टोजे ने कहा कि ये खबर और ट्वीट पूरी तरह से फर्जी है। इस मुद्दे पर ज्यादा चर्चा करके बात को हवा ना दें। मैं खबर से साफ  तौर पर इनकार करता हूं। मैंने इससे मिलती-जुलती कोई बात नहीं कही है।

Asle Toje categorically denies the news that Modi is the biggest contender for the Nobel Peace Prize!

He says it’s fake news. pic.twitter.com/eOWS84NULW

— Rohit Thayyil (@RohitThayyil) March 16, 2023

नोबेल पुरस्कार की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक, ”नॉमिनेटर और नोबेल के नॉमिनी के नामों का खुलासा 50 सालों तक नहीं किया जा सकता।” 2022 में नोबेल पुरस्कार के ऑफिशियल हैंडल से ट्वीट किए गए एक वीडियो में एसले टोजे ने नामांकन और चयन प्रक्रिया के बारे में बताया है। पुरस्कारों को गुप्त रखने की कठिनाई पर बात करते हुए एसले टोजे ने कहा कि समिति के सदस्यों के बीच आत्मविश्वास का मजबूत स्तर होना ज़रूरी होता है जो इसे गुप्त रखने में सक्षम करता है।एसले टोजे चयन प्रक्रिया के दौरान गोपनीयता की ज़रूरत पर लगातार जोर देते हैं।

Today is the announcement of the 2022 Nobel Peace Prize.

Ahead of the announcement watch our exclusive Q&A with Asle Toje, who helps to award the peace prize.#NobelPrize pic.twitter.com/idnDq4lqm6

— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 7, 2022

वो कहते हैं, ‘समिति के भीतर गोपनीयता और विश्वास बनाए रखने के लिए चेंबर के अंदर क्या चल रहा है, इसकी जानकारी देने में हमें काफी रेस्ट्रिक्टिव होना पड़ता है।’ उन्होंने आगे बताया कि आधिकारिक घोषणाओं से पहले नोबेल पुरस्कार विजेताओं को सिर्फ एक घंटे का नोटिस मिलता है, जिसमें उन्हें उनकी जीत के बारे में बताया जाता है।

निष्कर्ष: पड़ताल से स्पष्ट है कि सोशल मीडिया में वायरल टाइम्स वीडियो का वीडियो एक साल पुराना है। नोबेल पुरस्कार समिति के डिप्टी लीडर एसले टोजे ने नहीं कहा कि प्रधानमंत्री मोदी नोबेल शांति पुरस्कार के टॉप दावेदार हैं, उनके बयान को टाइम्स नाऊ ने गलत संदर्भ में प्रकाशित किया था जिसे बाद में डिलीट कर दिया गया।

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