अग्निवीर योजना के तहत होने वाली सेना भर्ती में जाति प्रमाण पत्र मांगने को लेकर विवाद खड़ा हुआ है। राजनेताओं समेत तमाम लोगों का दावा है कि भारत के इतिहास में पहली बार सेना भर्ती में जाति पूछी जा रही है। हालाँकि पड़ताल में पता चलता है कि यह दावा गलत है।
आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने ट्वीट कर लिखा है कि मोदी सरकार का घटिया चेहरा देश के सामने आ चुका है। क्या मोदी जी दलितों/पिछड़ों/आदिवासियों को सेना भर्ती के क़ाबिल नही मानते? भारत के इतिहास में पहली बार “सेना भर्ती “ में जाति पूछी जा रही है। मोदी जी आपको “अग्निवीर” बनाना है या “जातिवीर”
मोदी सरकार का घटिया चेहरा देश के सामने आ चुका है।
क्या मोदी जी दलितों/पिछड़ों/आदिवासियों को सेना भर्ती के क़ाबिल नही मानते?
भारत के इतिहास में पहली बार “सेना भर्ती “ में जाति पूछी जा रही है।
मोदी जी आपको “अग्निवीर” बनाना है या “जातिवीर” pic.twitter.com/fxgBre38Ft— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) July 19, 2022
भाजपा सांसद वरुण गाँधी ने ट्वीट कर लिखा कि सेना में किसी भी तरह का कोई आरक्षण नहीं है पर अग्निपथ की भर्तियों में जाति प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है। क्या अब हम जाति देख कर किसी की राष्ट्रभक्ति तय करेंगे? सेना की स्थापित परंपराओं को बदलने से हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा पर जो प्रभाव पड़ेगा उसके बारे में सरकार को सोचना चाहिए।
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर लिखा कि जात न पूछो साधु की लेकिन जात पूछो फौजी की। संघ की BJP सरकार जातिगत जनगणना से दूर भागती है लेकिन देश सेवा के लिए जान देने वाले अग्निवीर भाइयों से जाति पूछती है। ये जाति इसलिए पूछ रहे है क्योंकि देश का सबसे बड़ा जातिवादी संगठन RSS बाद में जाति के आधार पर अग्निवीरों की छंटनी करेगा।
दिलीप मंडल ने ट्वीट कर लिखा कि भारतीय इतिहास में पहली बार सेना में भर्ती जाति के आधार पर होगी? शर्मनाक, नरेंद्र मोदी।
भारतीय इतिहास में पहली बार सेना में भर्ती जाति के आधार पर होगी? शर्मनाक @narendramodi pic.twitter.com/OBxdmHgR9O
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) July 18, 2022
पत्रकार संजय शर्मा ने ट्वीट कर लिखा कि सेना में जाति की बात आने की कल्पना भी ख़ौफ़नाक है। यह वो ख़तरनाक खेल है जो देश को तबाह कर देगा। पहले अग्निवीर योजना लाना और फिर उसमें जाति प्रमाणपत्र लाना बहुत दुखद और शर्मनाक है। तत्काल इसे वापस लिया जाना चाहिए।
सेना में जाति की बात आने की कल्पना भी ख़ौफ़नाक है ! यह वो ख़तरनाक खेल है जो देश को तबाह कर देगा ! पहले अग्निवीर योजना लाना और फिर उसमें जाति प्रमाणपत्र लाना बहुत दुखद और शर्मनाक है ! तत्काल इसे वापस लिया जाना चहिये!
— Sanjay sharma (@Editor__Sanjay) July 19, 2022
इसके अलावा जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव, राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस नेता ललन कुमार, बीपी सिंह, सत्यनारायण पटेल, समाजवादी
पार्टी नेता पिंकी यादव समेत कई लोगों ने यही दावा किया है।
क्या है हकीकत: केंद्र सरकार ने सेना भर्ती में बदलाव कर इसी साल अग्निपथ योजना लागू की है, वायरल नोटिफिकेशन इसी अग्निपथ योजना का है, जिसे 20 जून 2022 को जारी किया गया था। इसके पेज नंबर 7 पर सेना में भर्ती के लिए गए लोगों से जाति और धर्म से जुड़े प्रमाणपत्र मांगे जा रहे हैं। वेबसाइट www.joinindianarmy.nic.in पर यह पीडीएफ उपलब्ध है हालाँकि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है।
हमने सेना भर्ती के पुराने नोटिफिकेशन देखे। इसके लिए सबसे पहले हमने हल्द्वानी रैली के जरिए भर्ती के लिए अक्टूबर 2017 में जारी हुए नोटिफिकेशन को देखा। इसमें साफ तौर पर पॉइंट नंबर 6 के सेक्शन (a) में जाति प्रमाणपत्र को सभी जातियों के लिए आवश्यक बताया गया है लेकिन यहां पर धार्मिक प्रमाणपत्र का कोई जिक्र नहीं है।
इसी तरह साल 2018 और साल 2019 में सेना भर्ती के लिए जारी हुए नोटिफिकेशन में भी जाति प्रमाणपत्र का जिक्र है। धार्मिक प्रमाणपत्र के बारे में 2018 के नोटिफिकेशन में भी कुछ नहीं लिखा है लेकिन 2019 वाले नोटिफिकेशन में धार्मिक प्रमाणपत्र के बारे में स्पष्ट रूप से बताया गया है। यहां पर एक शर्त ये है कि रिलीजन सर्टिफिकेट की जरूरत तभी पड़ेगी जब जाति प्रमाणपत्र में “सिख/हिंदू/मुसलमान/ईसाई” धर्म का उल्लेख न किया गया हो।
सेना में भर्ती को लेकर पहली बार जाति पूछने के दावे को लेकर पीआईबी फैक्ट चेक टीम ने पड़ताल की। पीआईबी का कहना है कि सेना भर्ती के लिए जाति प्रमाण पत्र दिखाने का प्रावधान पहले से ही है। इसमें विशेष रूप से अग्निपथ के लिए कोई बदलाव नहीं किया गया है।
दावा: भारत के इतिहास में पहली बार सेना भर्ती में जाति पूछी जा रही है। #PIBFactCheck
▶️ यह दावा फ़र्ज़ी है।
▶️ सेना भर्ती के लिए जाति प्रमाण पत्र दिखाने का प्रावधान पहले से ही है।
▶️ इसमें विशेष रूप से #AgnipathScheme के लिए कोई बदलाव नहीं किया गया है। pic.twitter.com/ryxlWM6iso
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) July 19, 2022
पड़ताल में यह भी पता चलता है कि साल 2013 में एक शख्स ने सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल किया था कि जाति और धर्म के कॉलम सेना की भर्ती में क्यों होते हैं। उसी साल हलफनामा पेश कर भारतीय सेना ने स्पष्ट किया था कि इसमें धर्म और जाति का कोई रोल नहीं है पर यह एक प्रशासनिक और ऑपरेटिव जरूरत है। सेना ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर इस आरोप का खंडन किया था कि सेना में धर्म, जाति, लिंग, वंश, जन्मस्थान और निवास के आधार पर कोई भेदभाव होता है।
निष्कर्ष: हमारी पड़ताल में अग्निपथ योजना के तहत सेना भर्ती में पहली बार जाति प्रमाण पत्र मांगने का दावा गलत है, इससे पहले की भर्ती प्रक्रियाओं में भी जाति प्रमाणपत्र का जिक्र है। 2019 में सेना भर्ती के लिए निकाले गए नोटिफिकेशन में जाति और धर्म दोनों प्रमाणपत्र मांगे गए थे।