सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल है जिसमे एक शख्स बाईक सवार दो नमाजियों को हेलमेट के लिए रोकता है। इसी बीच एक भीड़ हाथों में हथियार लेकर वहां पहुँच जाती है। सोशल मीडिया में लोग इस वीडियो को साम्प्रदायिक दावे के साथ साझा कर रहे हैं।
श्रीष त्रिपाठी नाम के एक यूजर ने इस वीडियो को दो हिस्सों में ट्विट किया है। श्रीष ने लिखा, ‘सेकुलरिज्म का झुनझुना बजाने वाले ये वीडियो अवश्य देखें। बिना हेलमेट नमाजियों को रोका तो कैसे एक फोन पर पचासों शांतिदूत बन्दूक और तलवार लेकर आ गये। क्या पुलिस किसी हिन्दू को बिना हेलमेट पकड़ती है तो बिना चालान किये जाने देती भले वो भी मंदिर जा रहा होता? सच्चाई तो ये है कि इन शांतिदूतों के लिये न भारत का संविधान और न ही कानून कोई मायने रखता है? इन्हें तो शरिया से मतलब है?”
मंदिर जा रहा होता?
सच्चाई तो ये है कि इन शांतिदूतों के लिये न भारत का संविधान और न ही कानून कोई मायने रखता है? इन्हें तो शरिया से मतलब है? pic.twitter.com/We8N2LplwL
— श्रीष त्रिपाठी 🇮🇳 (@Shrish_1987) March 22, 2021
क्या है हकीकत?
यह वीडियो सड़क सुरक्षा जागरूकता के लिए बनाया गया है। इस वीडियो को बिहार निवासी राघवेंद्र कुमार ने कैमूर जिले में शूट किया गया था। वीडियो में एक कैमरा भी नजर आ रहा है।
राघवेंद्र ने इस वीडियो को 21 मार्च को अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया था। यह पूरा वीडियो करीबन 11 मिनट का है, जिसके कुछ हिस्सों को गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।
बिहार के जिले कैमूर के बगाढ़ी गांव के रहने वाले राघवेंद्र
कुमा को हेलमेट ‘हेलमेट मैन’ के नाम से जाना जाता है। 2014 में राघवेंद्र कुमार ने अपने जिगरी दोस्त को बाइक हादसे में खो दिया था। इस बात का राघवेंद्र पर इतना असर पड़ा कि वो अब लोगों को जगह-जगह सड़कों पर खड़े होकर फ्री में हेलमेट बांटते है। मकसद सिर्फ इतना है कि उनके दोस्त की तरह किसी अन्य कि जान बिना हेलमेट के न जाए।