उत्तर प्रदेश के बदायूं में एक महिला द्वारा दो युवकों के खिलाफ एससी एसटी एक्ट का मुकदमा जाँच में झूठ पाया गया है। जांच में सामने आया है कि महिला ने सरकारी मुआवजे के लालच में मुकदमा दर्ज करवाया था, हैरानी की बात है कि महिला अनुसूचित जाति की नहीं बल्कि पिछड़ा वर्ग से आती है। उसके बावजूद उसने एससी एसटी एक्ट में शिकायत दी थी।
जनपद के कस्बा बिल्सी के मोहल्ला चार निवासी महिला नन्ही पत्नी अनेकपाल ने थाने में शिकायत दी। अपनी शिकायत में महिला ने कहा कि दो मार्च की शाम को वह सिरसौली रोड स्थित अपने खेत पर मशीन से लाह की फसल निकलवा रही थी। इसी बीच ध्रुव पुत्र होरीलाल माहेश्वरी और मनवीर और सोनपाल यादव स्कूटी से आ धमके। शिकायत के मुताबिक दोनों युवकों ने लाह निकालने का विरोध किया और वीडियो बनाने लगे। जब उसने इसका विरोध किया तो दोनों ने उसे लाठी डंडों से पीटा और जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया। महिला की शिकायत के बाद पुलिस ने दोनों युवकों के खिलाफ एससी एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज कर जांच पड़ताल की।
सीओ अनिरुद्ध सिंह ने जब इस मामले की जांच की तो पता चला कि महिला ने एक साल पहले भी ध्रुव माहेश्वरी और उसके पिता होरीलाल माहेश्वरी के खिलाफ छेड़छाड़, मारपीट और एससी एसटी का मुकदमा दर्ज करवाया था। महिला का आरोप था कि पिता पुत्र ने उसके साथ छेड़छाड़ की थी, जब विरोध किया तो मारपीट और जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया था। इस मामले में एससी एसटी एक्ट के प्रावधानों के तहत महिला को मुआवजा भी मिला था।
महिला द्वारा एक ही शख्स पर लगातार दूसरी बार एससी एसटी का मामला दर्ज होने पर जब सीओ अनिरुद्ध सिंह ने गहनता से जांच की, उन्होंने महिला से उसका जाति प्रमाण पत्र मंगवाया तो पता चला कि महिला ओबीसी वर्ग से है। सीओ अनिरुद्ध सिंह ने बताया कि जांच में महिला अनुसूचित जाति से नहीं बल्कि ओबीसी की है जिसके बाद इस केस से एससी एसटी एक्ट की धाराएँ हटा ली है। इस मामले में आगे की जांच जारी है।