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24 Dec 2024, Tue

सड़क पर नमाज पढ़ रहे मुसलमानों पर फ्रांस पुलिस ने किया हमला?


सोशल मीडिया में एक वीडियो को साझा किया जा रहा है, इस वीडियो में दावा किया गया है कि फ्रांस की पुलिस सड़क पर नमाज के लिए जमा मुसलमानों को हटाने के लिए पानी की बौछारें और आंसू गैस के गोले मार रही है।

क्या है मामला?

16 अक्टूबर की शाम पेरिस में, सैमुअल पेटी नाम के टीचर की पैगंबर का कार्टून दिखाने पर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद नीस के चर्च में तीन लोगों की हत्या कर दी गई और शनिवार को लियोन में एक पादरी को गोली मार दी गई। आतंकी घटनाओं के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति ने कहा कि इस्लाम एक ऐसा धर्म है जो आज पूरे विश्व में संकट में है। इसके अलावा मैक्रों एक कानून सख्त करने की भी बात कह रहे हैं, जो राज्य को चर्च से अलग यानी धर्म को सरकार से अलग करने के लिए लाया गया था। उनका कहना है कि ‘इस्लामी अलगाववाद’ और ‘धर्मनिरपेक्ष मूल्यों’ के बचाव के लिए यह जरूरी है। 

राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन की इस्लाम के बारे में टिप्पणियों ने इस्लामिक दुनिया के कई देशों के खिलाफ फ्रांस को खड़ा कर दिया है। एक पक्ष इस हत्या के विरोध में प्रदर्शन कर रहा है। वहीं दूसरा पक्ष फ्रांस सरकार पर इस घटना की आड़ में इस्लामोफोबिया को बढ़ावा देने का आरोप लगा रहा है। फिलिस्तीन, तुर्की, जॉर्डन, कतर, सऊदी अरब, बंग्लादेश, पाकिस्तान समेत कई मुल्कों में फ्रांस की मज़म्मत की जा रही है। यहां तक कि प्रॉडक्ट्स का बॉयकॉट किया जा रहा है। इसी क्रम में अब फ्रांस पर मुसलमानों की प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए वीडियो साझा किया जा रहा है।


सोशल मीडिया यूजर्स लिख रहे हैं कि फ्रांस की पुलिस मुस्लिमों पर हमला कर उन्हें सड़क पर नमाज़ पढ़ने से रोक रही है तो वहीं कुछ अन्य यूज़र्स का कहना है कि फ्रांसिसी पुलिस ने Yüksekova नाम की जगह को मुस्लिम प्रदर्शनकारियों से खाली कराने के लिए पानी की बौछारें कीं।

क्या है सच्चाई?

इंटरनेट पर इस वीडियो से सम्बन्धित खबर को सर्च करने पर 2012 में प्रकाशित एक खबर मिलती है। जिससे पता चलता है कि यह वीडियो 8 साल पुराना है और तुर्की का है। Yuksekova तुर्की के शहर का नाम है फ्रांस के नहीं।


इस वीडियो को एक यूट्यूब चैनल पर 9 नवंबर, 2012 को अपलोड किया गया था।इस रिपोर्ट के मुताबिक, हाई स्कूल के छात्रों के एक समूह ने Cengiz Topel Street पर सिविल फ्राइडे प्रेयर्स का आयोजन किया था। इस धरने का आयोजन जेल में चल रही भूख हड़तालों की ओर ध्यान दिलाने के लिए किया गया था। हालांकि, प्रदर्शनकारियों पर तुर्की की पुलिस ने आक्रामक रवैया अपनाया था।

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