यूपी के बहुचर्चित हाथरस कांड में एससी-एसटी कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुना दिया। इस केस में चारों आरोपियों पर से रेप के आरोप हटा लिए गए हैं। अदालत ने चार में से तीन आरोपियों लवकुश, रामू और रवि को बरी कर दिया है जबकि मुख्य आरोपी संदीप सिसौदिया को गैर-इरादतन हत्या और एससी-एसटी एक्ट दोषी ठहराया गया है।
हाथरस की इस घटना को बूलगढ़ी कांड, बिटिया प्रकरण, हाथरस कांड, चंदपा कांड जैसे नामों से जाना जाता है। यह घटना 14 सितम्बर 2020 को सामने आई थी जिसके बाद काफी बवाल हुआ। यह मामला यूपी सरकार के लिए परेशानी का सबब बन गया था। आरोप लगाया गया कि गैंगरेप के बाद युवती की जीभ काट दी गई, उसकी रीढ़ की हड्डी भी तोड़ दी गई। किसी ने युवकों का एनकाउन्टर करने की मांग की तो किसी ने उन्हें ‘अपरकास्ट’ बलात्कारी कहा। वहीं कुछ लोगों ने जब आरोपियों का पक्ष सामने रखा तो उन्हें बलात्कारियों का समर्थक और मोदीवादी एंकर की उपाधि भी दे दी गयी। इस मामले में जब पीडिता और मुख्य आरोपी के बीच प्रेम सम्बन्ध की बात आई तो यह भी आरोप लगा कि पीड़िता का चरित्रहनन किया जा रहा है।
हम यहाँ हाथरस के एडीजे विशेष एससीएसटी त्रिलोकपाल सिंह की अदालत की 167 पन्नों के फैसले पर एक रिपोर्ट आपके सामने रख रहे हैं।
कैसे हुई मामले की शुरुआत? हाथरस के थाना चन्दपा के एक गांव निवासी युवक ने 14 सितम्बर 2020 को अपनी एक लिखित शिकायत में कहा कि ‘मेरी बहन और मेरी मम्मी घास लेने के लिये गये थे, मैं घास डालने घर गया था। मेरी मम्मी कुछ दूरी पर घास काट रही थी। मेरी बहन “पीड़िता” थोड़ी दूर पर बाजरा के खेत में में से सन्दीप पुत्र ठा. गुड्डू ने जान से मारने की नीयत से मेरी बहन का गला दबा दिया तथा मारने की पूरी कोशिश की फिर मेरी बहन चिल्लाई तो मेरी माँ ने आवाज दी कि मैं आ रही हूँ। सन्दीप आवाज सुनकर वहाँ से छोडकर भाग गया। यह घटना समय करीब 09:30 बजे सुबह की है। मेरी रिपोर्ट लिखकर कार्यवाही की जाये। मैं जाति से बाल्मीकि हूँ।’
इसके बाद पीडिता के भाई ने 22 सितम्बर 2022 को अपनी लिखित शिकायत में कहा, ‘मेरे परिवार से प्रार्थी, उसकी माँ एवं छोटी बहन प्रतिदिन की तरह खेत पर पशुओं के लिये हरा चारा लेने दिनांक 14.09.2020 को प्रातः गये थे। प्रार्थी की मॉ घास काट रही थी तथा उस कटी हुई घास को मेरी बहन “पीड़िता” एक जगह इकट्ठा कर रही थी, उस इकट्ठी एक घास की गठरी को प्रार्थी अपने घर डालने चला गया, मौका पाकर लगभग 09:30 बजे नामजद सन्दीप पुत्र गुड्डू अपने अन्य साथी रवि पुत्र अतर सिंह, रामू पुत्र राकेश, लवकुश पुत्र रामवीर व अन्य दो-तीन अज्ञात लोगों की मदद से मेरी बहन को गन्दी नीयत से गले में पडे दुपट्टे से खींचते हुये बाजरा के खेत में दुष्कर्म करने के उद्देश्य से खींच ले गये। गले में फंदा लगा होने के कारण मेरी बहन की आवाज ही नहीं निकल पायी, जिसका फायदा उठाकर उक्त लोगों ने मेरी बहन के साथ जबरन सामूहिक बलात्कार कर डाला तथा अपनी पहचान छुपाने के उद्देश्य से मेरी बहन को जान से मारने की कोशिश की, जिसमें मेरी बहन की गर्दन की हडुडी में फैक्चर आ गया, रीढ की हड्डी फ़ैक्चर है तथा जीभ को काटा है, पूरे शरीर पर चोटों के निशान हैं जिससे मेरी बहन बेहोश हो गयी और वे लोग मेरी बहन को मरा समझकर, बेहोशी की हालत में छोडकर फरार हो गये। उक्त घटना छोटू पुत्र ओम प्रकाश के खेत पर हुई थी, उक्त छोटू ने ही प्रार्थी के घर आकर उक्त घटना के बारे में अवगत कराया और कहा कि आपके घर की लडकी मेरे खेत में निर्वस्त्र, आपत्तिजनक स्थिति में, अतिगम्भीर बेहोशी की अवस्था में पडी हुई है। सुनते ही प्रार्थी व अन्य परिवारीजन भागे-भागे उक्त छोटू के खेत पर पहुंचे तथा वहाँ से अपनी बहन को बेहोशी की हालत में लम्बी-लम्बी सांस लेते हुये पाया तुरन्त ही हम थाना चन्दपा गये, वहाँ पुलिस वालों ने लडकी की गम्भीर हालत को देखते हुये बागला हास्पीटल ले जाने को कहा, जल्दबाजी एवं घबराहट में मेरे द्वारा मैंने अपना शिकायती पत्र ठीक से नहीं दे पाया था तथा उस समय मुझे घटना की पूर्ण जानकारी भी नहीं हो पायी थी। उसके बाद दो पुलिस वाले महिला कांस्टेबल सहित बागला जिला हास्पीटल ले गये, जहाँ सीएमओ द्वारा लडकी की जांच की गयी तथा उसकी स्थिति अत्यधिक खराब होने के कारण अलीगढ़ मेडिकल के लिये रेफर कर दिया गया। आज भी मेरी बहन की हालत यथावत बनी हुई है, उसकी स्थिति काफी नाजुक है, तथा आईसीयू में अपनी जिन्दगी और मौत से जूझ रही है। उक्त लोगों द्वारा प्रार्थी व उसके परिवार पुलिस कार्यवाही करने पर जान से मारने की धमकी एवं गाँव से भगाने की धमकी दी जा रही है। मेरे परिवार के साथ पूर्व में भी उक्त लोगों के परिवारीजनों के द्वारा मेरे दादाजी के द्वारा रवि पुत्र अत्तर सिंह, गुड्डू पुत्र जगवीर जो कि मेरी पैतृक कृषि भूमि में अपनी भैंस जबरन चरा रहे थे जिसका विरोध मेरे दादाजी ने किया तो उन लोगों ने मेरे दादाजी से ढेडा भंगी, नीच, सूद्र जैसे जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए व अश्लील गालियां देते हुये धारदार दरांती से प्राण घातक वार किया जिससे मेरे दादाजी के हाथ की उंगलियां कट गयी थी। जिसकी रिपोर्ट थाना चन्दपा में दी गयी थी और बतौर सजा के तौर पर उक्त लोग तीन माह के कारावास में जेल काट चुके हैं। उक्त लोग सवर्ण जाति के दबंग, आपराधिक प्रवृत्ति के लोग हैं, जो हमको नीची जाति समझकर आये दिन हमारे घर की मा, बहन एवं बेटियों की तरफ गन्दी नीयत से देखते आये हैं तथा अश्लील फब्तियां कसते रहते हैं, जिससे हमारे परिवार के सभी लोगों पर हमेशा जान का खतरा बना रहा है। उक्त मामले को अपने संज्ञान में लेकर विधिवत कानूनी कार्यवाही कराने की महती कृपा करें एवं जिन अधिकारियों द्वारा मामले की जॉंच में लापरवाही बरती गयी है, उनके विरूद्ध ठोस विभागीय कार्यवाही करने की कृपा करें एवं पीड़िता मेरी बहन को न्याय दिलाने की कृपा करें। साथ ही साथ प्रार्थी व प्रार्थी के परिवार की जान-माल की सुरक्षा करने की कृपा करें।’
घटना के बाद होश में थी पीड़िता: सीबीआई विवेचक द्वारा पूछताछ में ‘अमर तनाव’ के पत्रकार गोविन्द कुमार शर्मा ने बताया, ‘14.09.2020 को सुबह के वक्त चन्दपा थाने में मैने पीड़िता से बात कर उसके 4 वीडियो बनाये थे। वीडियो में पीडिता भली-भॉति बोल रही है एवं उसकी आवाज साफ है तथा पीडिता होश में है तथा बेहोश नहीं है और हर पूछे गये प्रश्नों का सटीक जवाब दे रही है। मेरे वीडियो के अन्दर जब पीडिता की माँ से पूछा गया “क्या किया उसने” तो इसके जवाब में पीड़िता की माँ ने कहा “भयो कछु नाय” और यह भी कहा है कि “मैं तो मारा-मार चिपटी बाय”। वीडियो में पुलिस अधिकारी एसओ डीके वर्मा तथा एसएसआई जगवीर सिंह भी पीडिता व पीड़िता की माँ से पूछताछ करते हुए नजर आ रहे हैं तथा पीडिता व पीडिता की माँ अपने पूरे होशो-हवाश में जवाब दे रही है। पीड़िता केवल एक ही नाम संदीप बता रही है।‘
हिंदी खबर के पत्रकार रवि कुमार ने बताया कि 14.09.2020 को सुबह 11:40 बजे बागला जिला अस्पताल, हाथरस में मैने, पीड़िता व उसकी माता से बात कर उसका 03 वीडियो बनाए थे। पीडिता बोल रही है, होश में है, प्रश्नों के सटीक जवाब दे रही है तथा एक ही नाम सन्दीप बता रही है। पीड़िता ने इस वीडियो में बलात्कार या सामूहिक बलात्कार का आरोप नहीं लगाया है। उसी दिन और उसी समय मैंने उसी स्थान पर पीड़िता की माँ का भी वीडियो बनाया था, जिसमें उसने मारपीट का होना बताया था। इस वीडियो में पीडिता की माँ ने 14-15 साल पूर्व की रंजिश होना बताया है।
होमगार्ड शिव कुमार ने बताया कि थाना चन्दपा से टेम्पो में मैं, कान्स्टेबल नेहा के साथ पीड़िता को लेकर के बागला जिला अस्पताल हाथरस पहुंचे। वहाँ पहुंचकर पीड़िता को इमरजेंसी में भर्ती कराया। टैम्पों में मेरे साथ पीड़िता की माताजी के साथ 4-5 अन्य सवारिया बैठी हुई थी तथा पीडिता का भाई मोटरसाईकिल पर एक व्यक्ति को बैठाकर पीछे-पीछे आ रहा था। उस दौरान अस्पताल एवं थाने में कुछ पत्रकार, मीडिया वाले पीड़िता से पूछताछ व उसका वीडियो बना रहे थे। मेरे सामने पीड़िता ने चोट के विषय में बताया था कि गाँव के लड़के सन्दीप ने रंजिश की वजह से दुपट्टा खींच लिया था। शिव कुमार ने अपनी प्रतिपरीक्षा में कहा है कि थाने में तथा बागला जिला अस्पताल में पीडिता पत्रकारों द्वारा पूछे गये प्रश्नों का सटीक उत्तर दे रही थी और वह बेहोश नहीं थी। थाने से बागला जिला अस्पताल ले जाते समय पीडिता बोल रही थी और बिल्कुल सही लग रही थी।
महिला सिपाही नेहा बताया कि रास्ते में न तो लडकी ने और न ही लडकी की माँ ने बलात्कार होने की बात बतायी थी | मैंने रास्ते में उसकी माँ से पूछा था कि लडकी के साथ कोई ऐसी-वैसी बात तो नहीं हुई है। इस पर लडकी की माँ ने मना कर दिया था। जिस समय मैंने लडकी की माँ से यह पूछा था उस समय पीड़िता भी उसके पास लेटी हुई थी। पीड़िता को मैंने थाने से ऑटो द्वारा अस्पताल ले जाते हुये देखा था, उसकी स्थिति तथा कपड़ों की स्थिति से यह प्रतीत नहीं होता था कि पीड़िता के साथ कोई बलात्कार या सामूहिक बलात्कार हुआ हो।
बागला जिला अस्पताल के वरिष्ठ परामर्शदाता डा. रमेश बाबू ने बताया कि मैंने मजरूबी चिट्ठी के अनुसार पीड़िता का प्राथमिक उपचार किया तथा उसकी गम्भीर स्थिति के सम्बन्ध में उसके परिवार वालों को अवगत कराया एवं गम्भीर गले की चोंट के कारण उसे JNMC रेफर किया। उस दौरान पीड़िता के साथ Sexual Assault के सम्बन्ध में कोई जानकारी मेरे सामने पीड़िता व उसके परिवार वालों के द्वारा मेरी जानकारी में नही लायी गयी थी, न ही मजरूबी चिट्ठी में ऐसा कुछ लिखा था। वैसे भी गले की चोट को देखते हुए उसकी स्थिति के अनुसार उसे अलीगढ़ मेडीकल कॉलेज रेफर किया गया। जेएनएमसी अलीगढ़ अस्पताल के स्टाफ नर्स जफर आलम ने अपने बयान में बताया है कि पीड़िता 14.09.2020 को इमरजेन्सी ट्रायेज में रेफर पर लायी गयी थी। उस दौरान पीड़िता गले में दर्द बता रही थी, प्राथमिक उपचार के बाद उसे आपातकाल के रिक्वरी वार्ड में भर्ती कर दिया गया था। उस दौरान पीड़िता एवं उसके परिवार वालों ने पीड़िता के साथ दुष्कर्म होने की बात नहीं बताई।
जेएनएमसी अलीगढ़ अस्पताल के रिक्वरी वार्ड में तैनात नर्सिंग ऑफिसर सना सुबूर ने कहा है कि पीड़िता हमारे यूनिट में 14.092020 से 21.09.2020 को 4:00 बजे थी। पीड़िता के उपचार के दौरान 2-3 दिन ड्यूटी पर रही। उस दौरान पीड़िता गले में दर्द और बेचैनी बता रही थी तथा बार-बार पानी मांग रही थी। उस दौरान पीड़िता एवं उसके परिवार वालों ने पीड़िता के साथ दुष्कर्म होने की बात मुझे नहीं बताई। जेएनएमसी अलीगढ़ अस्पताल में तैनात नर्सिंग ऑफिसर नौसाबा हैदर ने अपने बयान में कहा है कि 22.09.2020 को सुबह 10:00 बजे पीड़िता एवं पीडिता की माँ ने मुझे पहली बार Sexual Assault के बारे में बताया था, उस समय पीडिता की मॉं अधिक बोल रही थी, लडकी कम बोल रही थी। पीड़िता ने आक्सीजन मास्क लगाया हुआ था। मैंने, पीडिता व पीडिता की माँ से यह भी पूछा था कि यह बात(Sexual Assault) आपने पहले क्यों नहीं बतायी। आप पहले ही बता देती तो इस पर दोनों चुप हो गयी थीं।
जेएनएमसी अलीगढ़ अस्पताल में डिपार्टमेन्ट ऑफ न्यूरो सर्जरी के प्रोफसर एण्ड चेयरमैन डॉ. एमएफ हुदा ने अपने बयान में कहा कि 14.09.2020 को जब मरीज को लाया गया तब उस दौरान मरीज व उसके परिवारीजन द्वारा गला घोंटने के द्वारा चोट की बात कही गयी थी। उस समय न तो मरीज ने न उसके साथ आये परिजनों ने उसके यौन उत्पीड़न की बात बताई थी।
महिला कांस्टेबल रश्मि ने बताया है कि 19.09.2020 को सीओ साहब के साथ मेडिकल कॉलेज गयी थी। सीओ साहब नें डॉक्टर साहब से कुछ बात की और फिर हम लोग पीड़िता के पास उसके वार्ड पहुंचे। पीड़िता के पास जब हम पहुंचे तो उसके परिवार वाले उसके साथ वहाँ मौजूद थे। पीड़िता को ऑक्सीजन मॉस्क लगा हुआ था तथा वह अपने बेड पर लेटी हुई थी। सीओ साहब ने पीड़िता से पूछताछ के बाद बयान की कार्यवाही शुरू हुई। पीड़ित ने बयान में बताया कि मेरा गला दबाने से पहले मेरे साथ छेड़खानी की गयी थी। रश्मि ने अपनी प्रतिपरीक्षा में कहा कि यह सही है कि पीडिता अपना बयान दर्ज कराते हुये पूरे होशो-हवाश में थी। वह पूछे गये सवालों का स्वयं जवाब दे रही थी। पीड़िता ने अभियुक्त संदीप के अलावा अन्य किसी व्यक्ति का हमलावर के तौर पर नाम नहीं लिया। पीडिता ने बलात्कार की बात नहीं कही है, केवल छेडखानी की बात कही।
तत्कालीन थाना प्रभारी चंदपा दिनेश कुमार वर्मा ने कोर्ट में बताया है कि पीड़िता को मैं थाने परिसर में देखा था। वह होश में थी, बोल रही थी, प्रश्नों के जवाब दे रही थी। पीडिता के शरीर व कपड़ों पर कोई भी बहता हुआ खून नहीं था। पीडिता व उसके परिजनों ने अभियुक्त व उसके परिवार वालों से पुरानी रंजिश का होना बताया था। पत्रकारों एवं एसएसआई जगवीर सिंह द्वारा वीडियो बनाये जाते समय पीडिता पूछे गये सवालों को समझकर स्वेच्छा से स्वयं जवाब दे रही थी और उस समय पीड़िता या उसके किसी परिवारजन ने पीड़िता के साथ कोई रेप या गैंग रेप की घटना के सम्बन्ध में नहीं बताया था। मैं, धीरेन्द्र एसआई व महिला कां. रूचि के साथ गाव बूलगढी गया था तो मुझे अभियुक्त रवि व लवकुश गाँव में ही उपस्थित मिले थे। दिनांक 21.09.2020 तक मुझे, पीडिता या उसके किसी परिवारीजन अथवा किसी पुलिसकर्मी द्वारा पीडिता के साथ रेप या गैंग रेप के सम्बन्ध में नहीं बताया गया था। सन्दीप की गिरफतारी दिनांक 20.09.2020 को 10:45 बजे सुबह बूलगढी मोड आगरा रोड से की थी, जो थाना चन्दपा से लगभग 400 मीटर की दूरी पर है। अभियुक्त ‘लवकुश की गिरफ्तारी दिनांक 23.09.2020 को सुबह 06:50 पर नगला भूस तिराहा से एसआई धीरेन्द्र सिंह द्वारा की गयी थी, जो थाना चन्दपा से मात्र 200-300 मीटर की दूरी पर है। अभियुक्त रवि की गिरफ्तारी दिनांक 25.09.2020 को सुबह 08:55 बजे बघना रोड चन्दपा मोड से की गयी थी, जो थाना चन्दपा के पास ही स्थित है। अभियुक्त रामू की गिरफ्तारी दिनांक 26.09.2020 को 08:55 बजे सटीकरा मोड आगरा रोड से की गयी थी, जो थाने के निकट ही है।
क्या बलात्कार हुआ? जेएनएमसी अलीगढ़ अस्पताल में डिपार्टमेन्ट ऑफ न्यूरो सर्जरी के प्रोफसर एण्ड चेयरमैन डॉ. एमएफ हुदा का कहना है कि 14 सितम्बर को ही पेशाब के लिए नली लगाई गयी थी। यूरेथा के माध्यम से जब पेशाब की नली लगायी गयी होगी तो उसके जननांग को निश्चित रूप से देखा गया होगा क्योंकि उसके बगैर नली लगाना सम्भव नहीं है। उस समय उसके जननांगों में कोई चोट या Sexual Assault का कोई लक्षण अंकित नहीं किया गया। अगर इस तरह का Sexual Assault का कोई लक्षण देखा गया होता तो निश्चित ही अंकित किया जाता।
जेएनएमसी अलीगढ़ अस्पताल में विधि विज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. फैयाज अहमद ने अपने बयान में कहा है कि दिनांक 22.09.2020 को करीब 11:30 बजे हमारे विधि विज्ञान विभाग को लिखित रिक्यूजिशन न्यूरो सर्जरी विभाग से प्राप्त हुआ था कि किसी दुष्कर्म पीडिता का मेडिकल एग्जामिनेशन होना है। पीडिता की जांच के लिये गाइनो डिपार्टमेण्ट एवं हमारे विभाग की संयुक्त टीम बनायी गयी थी और उसी दिन हम लोगों ने 12:30 बजे पीडिता का परीक्षण किया। पीडिता से सम्बन्धित मेडिकल अभिलेखों में उसके साथ दुष्कर्म का कोई हवाला नहीं था, हमने पीड़िता से पूछा तो वह चुप हो गयी। इसके बाद पीड़िता व उसकी माँ से लिखित अनुमति प्राप्त करने के बाद उसका परीक्षण शुरू हुआ। विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट के अनुसार पीडिता के साथ कोई भी वेजाईनल/एनल इण्टरकोर्स का चिन्ह दृष्टिगोचर नहीं हुआ था।
जेएनएमसी अलीगढ़ अस्पताल में स्त्री रोग विभाग की असिस्टेण्ट प्रोफेसर डॉ. डालिया राफत ने अपने बयान में कहा है कि एग्जामिनेशन होना है। पीड़िता की जॉच के लिये हमारे गाइनो डिपार्टमेन्ट एवं विधि विज्ञान विभाग की संयुक्त टीम बनायी गयी थी और उसी दिन हम लोगों ने 12:30 बजे पीड़िता का परीक्षण किया। पीडिता से सम्बन्धित मेडिकल अभिलेखों में उसके साथ दुष्कर्म का कोई हवाला नहीं था, इस सम्बन्ध में हमने पीडिता से पूछा तो वह चुप हो गयी।
इसके बाद पीडिता व उसकी माँ से लिखित अनुमति प्राप्त करने के बाद उसका परीक्षण शुरू हुआ। इस दौरान वह होश में थी, वह बातचीत कर रही थी। हैं। मेरे सामने पीडिता ने अपनी आयु 18 वर्ष बतायी थी। पीड़िता ने अपने साथ चार लोगों द्वारा वेजाईनल इण्टरकोर्स की बात मेरे समक्ष बतायी थी तथा चार व्यक्तियों पूर्ण वेजाईनल इण्टरकोर्स पेनिस के द्वारा बताया गया एवं हमलावरों की उम्र लगभग 19 से 20 साल बतायी थी। इसके बावजूद भी पीडिता के जननांगों पर कोई रेडनेस, स्वलिंग, टेंडरनेस, ‘एब्रेजन, कन्टूजन, लेसरेशन्स नहीं पाये गये थे। पीडिता के जननांगों के भागों पर कोई भी टियर ऑन लेबिया, मेजोरा, लेबिया माईनोरा, यूरेथ्रा हाईमन, वेजाईना सविक्स, फोरसिट एण्ड पेरीनियम या कोई अन्य फ्रेश इंजरी नहीं पायी गई। मैं नहीं कह सकती कि कोई ओल्ड इंजरी थी या नहीं। हमारी गाईड लाईन्स में यह निर्देशित है कि सेक्सुअल असाल्ट इग्जामिनेशन में ओल्ड इंजरी मेंशन नहीं किया जाये। पीडिता के जननांग नार्मल थे, कोई भी एबनार्मलिटी नहीं थी।
सीबीआई विवेचनाधिकारी/अपर पुलिस अधीक्षक सीमा पाहूजा ने बयान में कहा है कि एफएसएल आगरा की रिपोर्ट में पीडिता के शरीर से फारेन बाईलोजिकल मटेरियल के रूप में Sperm and Semen मौजूद नहीं पाये गये। पीड़िता के कपड़ों पर भी वीर्य व शुकाणु सीएफएसएल रिपोर्ट के मुताबिक नहीं पाये गये थे। एमआईएमबी की रिपोर्ट के अनुसार पीडिता दिनांक 22.09.2020 को जेएनएमसी अलीगढ में परीक्षण के समय मासिक श्राव की स्थिति में नहीं थी परन्तु दिनांक 29.092020 को पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार वह मासिक श्राव के चरण में थी। एमआईएमबी की रिपोर्ट के अनुसार घटना में एक व्यक्ति द्वारा पीडिता को चोट पहुंचाने की सम्भावना सबसे अधिक है, एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा चोट पहुंचाने की सम्भावना कम है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली में विधि विज्ञान विभाग में प्रोफेसर डा. आदर्श कुमार ने अपने बयान में कहा है कि इस प्रकरण में सीबीआई के विवेचक ने प्रकरण से सम्बन्धित पीड़िता के उपचार, पोस्टमार्टम सम्बन्धित दस्तावेज दिखाकर मल्टी इंस्टीट्यूशनल मेडिकल बोर्ड (MIMB) परामर्श किया था, जिसका मैं चेयरमैन था। ये बोर्ड चिकित्सा महानिदेशक, स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार के आदेश 02.11.2020 से गठित हुआ था। हमारी संयुक्त MIMB ने इस प्रकरण की पीड़िता से सम्बन्धित समस्त दस्तावेज का परिशीलन व अवलोकन किया एवं समय-समय पर जिन-जिन डाक्टरों ने पीड़िता का इलाज किया था, उनसे उनके द्वारा पीड़िता को दिये गये चिकित्सा के सम्बन्ध में विचार विमर्श किया तथा पीड़िता की मृत्यु उपरान्त जिन डाक्टरों ने उसका शव विच्छेदन किया था, उनसे भी उनकी निष्कर्ष के सम्बन्ध में विचार विमर्श किया था। सदस्यों ने दिनांक 05.11.2020 को जेएनएम अलीगढ़ का दौरा किया तथा वहां डाक्टरों से मुलाकात की तथा प्रकरण के सम्बन्ध में विचार विमर्श किया, जिन डाक्टरों से हमारे दौरे के दौरान हमारी मुलाकात नहीं हो पायी, उनसे हमने फोन पर बातचीत की तथा आवश्यकतानुसार उन्हें बाद में वात के एम्स में मीटिंग के दौरान बुलाया गया। अगले दिन दिनांक 06.11.2020 को हमारी टीम व सीएफएसएल दिल्ली की टीम ने घटनास्थल का निरीक्षण किया तथा घटनाकम को रिकियेट कर घटनाकम को समझने का प्रयास किया ताकि पीड़िता के शरीर पर पायी गयी चोटों को वैज्ञानिक ढंग से समझने का प्रयास किया। उस दौरान पीड़िता की माँ मौजूद थी और वह हमें घटनाकम के समय अपनी व पीड़िता की स्थिति बता रही थी।
प्रोफेसर डा. आदर्श कुमार ने अपनी प्रतिपरीक्षा में बताया है कि मैंने सीबीआई द्वारा दिये गये बागला हास्पीटल के 3 वीडियो देखे थे। इन वीडियो में पीडिता बोल रही थी। यह सही है कि जेएनएमसी के रिकार्ड के अनुसार दिनांक 14.09.2020 को पीड़िता परीक्षण के समय होश में थी और समय, स्थान व व्यक्ति के बारे में सचेत थी और उसके कान, नाक व मुँह से किसी भी प्रकार का खून का श्राव नहीं था। यह भी सही है कि पीड़िता को उसके पिता द्वारा मात्र गला घोंटने की शिकायत पर भर्ती कराया गया था। मैंने पीडिता की स्त्री रोग विशेषज्ञ की रिपोर्ट भी देखी थी। डा. भूमिका शर्मा की रिपोर्ट भी देखी थी। रिपोर्ट के अनुसार प्राईवेट पार्ट पर कोई भी फ्रेश इंजरी नहीं थी, न ही कोई हिल्ड इंजरी अंकित की है। सेक्सुअल असाल्ट फारेनसिक इग्जामिनेशन रिपोर्ट दिनांक 22.09.2020 में यह अंकित है कि “Patient did not gave any history of sexual assault at the time of admission to the Hospital. She told about incidence first time on 22.09.2020। 22.09.2020”. यह सही है कि अगर यूरेश्ना से पीडिता को घटना के दिन कैथाराईज किया जायेगा तो वेजाईना का बाहरी भाग साफ दिखायी देगा और अगर वहाँ फेश इंजरी होगी तो वह दिखायी देगी।
इस केस में पीडिता की फारेन्सिक इग्जामिनेशन रिपोर्ट एमआईएमबी की टीम ने देखी है। फारेन्सिक रिपोर्ट के अनुसार पीडिता के सीज किये गये किसी भी आर्टिकल पर कोई वीर्य नहीं पाया गया। एमआईएमबी की टीम ने दिनांक 06.11.2020 को दोपहर 12:00 बजे पीड़िता की माँ को विमर्श हेतु बुलाया था और उसने यह बताया कि पीडिता घटना के समय जो कपडे पहने हुये थी वह कपडे पीडिता के शरीर पर पहनाये थे तथा वह कपडे दिनांक 22.09.2020 तक बदले नहीं गये एवं अन्तिम बार उन कपडों को दिनांक 22.09.2020 को ही डाक्टर्स द्वारा जेएनएमसी में लिया गया था।
सीमा पाहूजा ने अपने बयान में कहा है कि सीबीआई द्वारा चन्दपा स्थित मधूसुदन डेयरी पर कार्यरत कर्मचारियों एवं डेयरी प्रबन्धक से पूछताछ की थी और सभी ने यही बताया था कि घटना के दिन अभियुक्त रामू उक्त डेयरी पर काम करने पहुंचा था तथा काम किया था। हमने मधूसुदन डेयरी चन्दपा पर लगे हुये सीसीटीवी कैमरे की डीबीआर भी कब्जे में ली थी तथा विवेचना के दौरान मधूसुदन डेयरी चन्दपा की उपस्थिति पंजिका को कब्जे में लिया था, जिसमें अभियुक्त रामू की उपस्थिति दर्ज थी।
जीभ कटी हुई थी? जेएनएमसी अलीगढ़ अस्पताल में डिपार्टमेन्ट ऑफ न्यूरो सर्जरी के प्रोफसर एण्ड चेयरमैन डॉ. एमएफ हुदा ने अपने बयान में कहा मरीज के जीभ के अगले हिस्से में दांत से आए चोट के निशान थे। जीभ कटी या फटी हुई नहीं थी। मरीज को अस्पताल में इमरजेन्सी उपचार की सुविधा प्रदान की गयी।
क्या मुख्य आरोपी और पीडिता के बीच प्रेम सम्बन्ध थे? इस मामले में संदीप सिसौदिया ने अपने बयान में कहा है कि मेरे पूरे परिवार को फंसाने के लिये पूर्व रंजिश से मनगढन्त कथानक बनाया गया है। सिखाये गये बयानों को राजनैतिक लोगों के बहकावे पर पीडिता से कहलवाया गया है। पीडिता ने सिखाने व धमकाने पर मेरे खिलाफ वीडियो में बोला है। मेरे व पीड़िता के पिछले दो-तीन वर्षों से प्रेम सम्बन्ध थे। मैं व पीडिता, पीड़िता के भाई के फोन पर बातें भी करते थे तथा कभी घर, कभी खेतों पर मिलते भी थे, जिसका पता पीड़िता के परिजनों को चल गया था। जिस पर पीडिता के भाई ने पीडिता की पिटाई भी लगायी थी। घटना के दिन सुबह 07:45 बजे मैं अपने घर के सामने अपने पशुओं को चारा पानी कर रहा था तो पीडिता ने अपने घर के सामने से हाथ के इशारे से मेरे फोन के बारे में पूछा था तो मैंने हाथ के इशारे से अपने फोन को अपने घर वालों द्वारा तोड दिया जाना बताया था। उस समय मैं पीड़िता के घर वालों को नहीं देख पाया था परन्तु उन्होंने मुझे देख लिया था। इस बात पर पीड़िता के भाई सतेन्द्र ने पीडिता को डाटा-फटकारा व पिटाई लगायी थी, जिससे पीडिता को चोट आयी थी तथा पीडिता को डरा-धमकाकर झूँठा बयान दिलाया और मुझे इस प्रकरण में फंसाया है। मैं व मेरा परिवार एकदम निर्दोष है। मैं, पीडिता से प्रेम करता था। मेरे पास उसे मारने का कोई कारण नहीं था, न मैंने उसे मारा।
पीड़िता के पिता ने अपने बयान में कहा है कि मेरे घर पर केवल एक ही फोन है, इसी फोन को मैं, मेरी पत्नी, मेरा पुत्र, मेरी पुत्रवधू तथा मेरी पुत्री पीडिता प्रयोग करती थी। मेरी पुत्री पीडिता मेरे फोन 98973….. से अभियुक्त सन्दीप के फोन नम्बर 76486….. पर बात नहीं करती थी।
पीडिता की माँ ने अपने बयान में कहा है कि मेरे घर में केवल एक ही मोबाईल फोन है। हम सभी परिवार वाले जैसे मेरे पति, मेरा बेटा, मेरी बेटी पीडिता और मेरी बहू आदि सब उसी फोन का प्रयोग किया करते थे। मेरे घर के फोन से मेरी बेटी अभियुक्त सन्दीप से बात नहीं किया करती थी। मेरे घर का कोई सदस्य उस फोन से अभियुक्त सन्दीप से उसके फोन नम्बर 76486….. पर बात नहीं किया करते थे।
वोडाफोन आईडिया लिमिटेड पश्चिम क्षेत्र के नोडल ऑफिसर विशाल शर्मा ने अपने बयान में कहा है कि इस प्रकरण में सीबीआई द्वारा हमारी कम्पनी से कुछ फोन नम्बर से सम्बन्धित कॉल डिटेल व CAF मांगे गये थे। फोन नम्बर 76864….. हमारे रिकॉर्ड के अनुसार संदीप सिसौदिया पुत्र श्री नरेन्द्र सिंह के नाम प्रीपेड फोन के रूप में जारी है। मोबाईल नम्बर 76486…. पर समय 18:06:17, 18:08:12, 18:12:20 दिनांक 12.02.2020 मोबाईल नम्बर 98973…. से कॉल आयी है। मोबाईल नम्बर 76486…. से समय 18:12:54, 18:13:23 को दिनांक 12.02.2020 मोबाईल नम्बर 98973… पर कॉल की गयी है। सीडीआर के अवलोकन से यह पता लगता है कि आगे भी उपरोक्त दोनों नम्बरों के बीच कई कॉलों के माध्यम से लगातार कॉल होती रही हैं, जिनमें आउटगोइंग तथा इनकमिंग दोनों तरह की कॉलें हैं। हमारे कम्पनी कर रिकार्ड कम्पनी के सर्वर में मेंटेन किया जाता है, जो हर तरह से सुरक्षित है तथा रिकार्ड के साथ छेडखानी सम्भव नहीं है।
एक गवाह भूदेव कुशवाहा ने अपने सीबीआई को दिए अपने बयान में कहा है कि कि पीडिता का भाई मेरा सहपाठी था जब हम जगन्नाथ प्रसाद गंगा देवी इण्टर कालेज में एक साथ पढ़ते थे। इस प्रकरण का अभियुक्त सन्दीप से मेरी जान पहचान 2016 से है जब मैंने उसके बराबर का खेत बंटाई पर लेकर उसमें बैंगन बोया था। मैंने उस दौरान सन्दीप को अपने खेत में मदद करने के लिये रखा था तथा उसे 250/- रूपये दिन के हिसाब से मजदूरी दी थी। अगस्त 2020 में किसी नए नम्बर से मुझे कॉल आया और दूसरी ओर से सन्दीप ने मुझसे बात की और उसने बताया कि वह दिल्ली चला गया है। उसने मुझे बताया था कि उसके घर वालों ने उसके साथ लड़ाई की है और उसको पीटा है तथा उसका सिम तोड़ दिया। उस दौरान सन्दीप ने मुझे एक फोन नम्बर देकर कहा कि इस नम्बर पर फोन करके मुझे लाइन पर लो। उसने बताया था कि यह एक लड़की का नम्बर है, जिससे उसकी बोलचाल है। उसके घर का नम्बर है। मैंने उसके कहने पर उस नम्बर पर फोन मिलाया था तो फोन उस लड़की के भाई ने उठाया था, जो मेरा जानकार था। मैंने उससे उसका हालचाल पढ़ाई के बारे में पूछकर फोन काट दिया। उसी दिन मैंने सन्दीप के कहने पर दोबारा फोन मिलाया तो किसी महिला ने फोन उठाया। कांफ्रेस कॉल में सन्दीप चुप रहा तो मैंने इधर-उधर की बात करके फोन रख दिया। बाद में मैंने जब सन्दीप से कहा कि भाई तुमने बात क्यों नहीं की तो उसने बताया कि फोन लड़की की भाभी ने उठाया था इसलिये मैंने बात नहीं की थी। उसके अनुरोध पर मैंने उसी दिन दोबारा फोन मिलाया तो फिर लड़की की भाभी ने उठाया तो फोन मैंने काट दिया। जिस नम्बर पर मैंने सन्दीप के कहने पर फोन मिलाया था वह मुझे याद नहीं और न ही मुझे वह नम्बर याद है, जिससे सन्दीप ने मुझसे बात की। सन्दीप से मेरी उससे एक-आध बार मुलाकात के दौरान मुझे बताया था कि उसके पड़ोस में रहने वाली लड़की से बोलचाल है और कभी-कभी फोन में बात होती है। उसने बताया था कि वह लड़की उसके सामने रहती है। सन्दीप ने मेरे सामने कई बार मेरे सहपाठी की बहन से फोन पर बातचीत की थी।
भूदेव कुशवाहा ने अपनी प्रतिपरीक्षा में कहा कि सन्दीप अपनी सारी बातें मुझसे शेयर करता रूप था। सन्दीप, मुझे यह भी बताता था कि उसके पीड़िता से दोस्ती व प्रेम सम्बन्ध काफी समय से चल रहे हैं और फोन से बातचीत होती रहती है। मुझे सन्दीप ने यह भी बताया था कि मेरे और पीड़िता के मध्य सम्बन्धों के बारे में उसके परिवार वालों को मालूम पड गया है और उसके घर वालों ने उसकी पिटाई लगायी है तथा उसका फोन तोड दिया है। सन्दीप ने मुझे यह भी बताया था कि पीड़िता के घर वालों ने भी सम्बन्धों को लेकर पीड़िता से मारपीट की है परेशान किया है। सन्दीप ने मुझे फोन इसलिए किया था कि घर वालें पीडिता के साथ मारपीट तो नहीं कर रहे हैं। मुझे इस बात की व्यक्तिगत जानकारी भी है कि पीड़िता और सन्दीप के सम्बन्धों को लेकर पीडिता के घर वाले पीड़िता को मारपीट करते थे तथा सन्दीप को सन्दीप के घर वालों ने मारपीट कर दिल्ली भेज दिया था, जहाँ वह काम करता था।
सीबीआई निरीक्षक विवेक श्रीवास्तव ने अपने बयान में बताया है कि दिनांक 26.10.2020 को मैंने आरोपी संदीप सिसौदिया के दोस्त मोहित चौधरी का बयान लिया था। सन्दीप से उसकी बातें होती रहती थी और उसकी जानकारी के अनुसार पीड़िता के साथ सन्दीप के शारीरिक सम्बन्ध थे। पीड़िता के साथ सन्दीप के सम्बन्ध उसकी (मोहित) दोस्ती से भी पुराने थे। दिनांक 31.10.2020 को मैंने अमन राणा का बयान अंकित किया था। अमन राणा ने मुझे अपने बयान में बताया था कि सन्दीप और पीड़िता के बीच लगभग दो साल पहले से करीबी सम्बन्ध थे और यह बात पूरे गाँव को पता है। मुझे अमन राणा ने यह भी बताया था कि मुझे और सबको इन दोनों के सम्बन्ध में बारे में तब पता चला जब सन्दीप, पीडिता से मिलने के लिये उसके घर में चला गया था और पीड़िता के घर वालों को पता चलने पर वे सन्दीप के घर शिकायत करने के लिये गये थे। दिनांक 26.10.2020 को मैंने तनिष्क भारद्वाज का भी बयान अंकित किया था, जिसने अपने बयानों में मुझे बताया था कि सन्दीप का पीडिता से सबसे ज्यादा लगाव था तथा सन्दीप ने अपने घर से सोने के कुण्डल चुराकर पीडिता को शापिंग करायी थी।
तनिष्क ने यह भी बताया था कि मेरे सामने उसने एक सोने का छोटा सा ओम भी बेचा था, जिससे वह पीड़िता को गिफ्ट दे सके। तनिष्क ने बताया था कि सन्दीप को एक बार उसके पापा ने पीड़िता के चक्कर में बहुत मारा था। विवेक श्रीवास्तव ने कहा कि मेरे द्वारा की गयी विवेचना के अनुसार पीडिता व सन्दीप के घटना के पहले से शारीरिक सम्बन्ध थे और यह भी विवेचना से आया कि पीड़िता के घर वालों ने सन्दीप से सम्बन्धों को लेकर उसकी पिटाई भी की थी।
सीबीआई विवेचनाधिकारी/अपर पुलिस अधीक्षक सीमा पाहूजा के मुताबिक मेरे
सहयोगी विवेचक द्वारा गांव की प्रधान श्रीमती रूपवती के बेटे रामकुमार का
बयान लिया गया। राम कुमार ने कहा कि पहले लॉक डाउन के दौरान
पीड़िता के पिता ने आरोपी संदीप की उसके पिता गुड्डू से शिकायत की थी। मुझे
जब पता चला तो मैंने संदीप के पिता से कहा था कि अपने लड़के को बाहर भेज
दो तथा लडकी पक्ष से कहा था कि आप अपनी लडकी की शादी कर दो। राम कुमार ने
अपने बयानों में यह भी बताया था कि सन्दीप और पीडिता के बीच दोस्ती है और
मामला प्रेम प्रसंग से जुड़ा हुआ है।
सीबीआई विवेचनाधिकारी/अपर पुलिस अधीक्षक सीमा पाहूजा ने बताया है कि विवेचना के दौरान, घटना से पूर्व सन्दीप व पीडिता का प्रेम प्रसंग मेरे संज्ञान में आ गया था और यह तथ्य भी मेरे संज्ञान में आ गया था कि पीड़िता से सन्दीप के सम्बन्धों को लेकर पीड़िता के परिजन पीड़िता से मारपीट करते थे। विवेचना यह बात निकलकर आयी कि आरोपी और पीड़िता पक्ष के फोन नम्बरों के बीच निरन्तर बातचीत होती रही है।
क्या पीड़िता और आरोपियों के परिवारों में पुरानी रंजिश है? सीबीआई विवेचनाधिकारी/अपर पुलिस अधीक्षक सीमा पाहूजा ने बताया है कि थाना चन्दपा पर पीड़िता के बाबा ने मुकदमा संख्या 63/2001 अन्तर्गत धारा 323, 324, 504, 506, 452 आईपीसी व धारा 3(1)(10) एससीएसटी एक्ट अभियुक्त रवि, सन्दीप के पिता नरेन्द्र उर्फ गुड्डू के विरूद्ध पंजीकृत कराया था। अभिलेखों के अनुसार उक्त मुकदमे दिनांक 14.04.2015 को फैसला आया जिसमे नरेन्द्र एवं रवि
को दोषमुक्त किया गया था। अभियुक्त लवकुश की माँ श्रीमती मुन्नी देवी ने पीड़िता के पिता व अन्य परिजनों के खिलाफ घटना से पहले 03.06.2020 एक प्रार्थना पत्र दिया, जिस पर आरोपी लवकुश के पिता रामवीर सिंह व अन्य लोगों के भी हस्ताक्षर थे। पीड़िता के पिता के परिवारजनों के विरूद्ध आबादी की जगह में पानी बहाकर प्रदूषण फैलाने के सम्बन्ध में शिकायत की गयी थी तथा इस कारण मुकदमावादी के परिवार एवं अभियुक्तगण के परिवार के बीच खटास थी। ग्राम के हलका लेखपाल जितेन्द्र सिंह का बयान दौरान विवेचना विवेचक द्वारा लिया गया था, लेखपाल ने अपने बयान में यह बताया था कि गाँव के कुछ व्यक्तियों ने पीड़िता के पिता के खिलाफ ग्राम समाज की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा करने के सम्बन्ध में शिकायत उप-जिलाधिकारी हाथरस को दी थी और उस शिकायत पर अभियुक्त के परिवारजनों के हस्ताक्षर थे। मौके पर देखने से पता चला कि उक्त जमीन में पीडिता के पिता ने ग्राम समाज की आंशिक जगह पर एक कमरा अवैध रूप से बना लिया है। लेखपाल ने अपनी जॉच में उक्त शिकायत को सही पाया था।
न्यायालय ने क्या कहा? विवेचनाधिकारी ने अपने आरोप पत्र के पैरा-8 में यह उल्लेख किया है कि दिनांक 17.10.2019 से दिनांक 03.03.2020 तक अभियुक्त सन्दीप के फोन नम्बर 76864…. से पीडिता के परिवार के फोन नम्बर 98973…. पर 39 कॉल्स हुई हैं तथा पीडिता परिवार के मोबाईल नम्बर 98973….. से अभियुक्त सन्दीप के फोन नम्बर 76486….. पर 66 कॉल्स हुई हैं। इस प्रकार इस अवधि में पीडिता के परिवार के मोबाईल तथा अभियुक्त सन्दीप के मोबाईल के बीच कुल 105 कॉल्स हुई हैं। पीडिता के पिता का भी यह कथन है कि मेरे घर पर केवल एक ही फोन है और इसी फोन को मैं व मेरी पत्नी, मेरा पुत्र व मेरी पुत्रवधू तथा मेरी पुत्री पीडिता प्रयोग करती थी। यदि पीडिता के परिवार का कोई अन्य अभियुक्त सन्दीप से मोबाईल पर बात नहीं करता था तो स्पष्ट है कि पीडिता ही अभियुक्त सन्दीप से बात करती रही होगी। उक्त साक्ष्य से यह स्पष्ट है कि अभियुक्त सन्दीप व पीडिता के बीच मोबाईल पर लगातार बातचीत होती रही है। इस प्रकार पत्रावली पर मौजूद उक्त साक्ष्य से स्पष्ट है कि पीडिता एवं अभियुक्त सन्दीप के मध्य दोस्ती से भी अधिक घनिष्ट सम्बन्ध थे और उनके मध्य मोबाईल से लगातार बातचीत होती रही है।
पत्रावली के अवलोकन से यह भी विदित है कि आरोप पत्र में विवेचनाधिकारी का कथन है कि फारेन्सिक जॉच में पीडिता के कपडो पर कोई रक्त अथवा वीर्य नहीं मिला है। इस सम्बन्ध में पीड़िता की माँ का कथन है कि पीड़िता का इलाज शुरू हुआ तथा दो-तीन दिन बाद पीड़िता ने लेटे-लेटे अपने कपडों पर लैट्रीन कर ली थी तथा नर्स के कहने पर मैंने उसके अण्डरवियर सलवार धो दिये तथा पीड़िता के भाई से कहकर 04 हगीज (डायपर) मंगवा लिये और पीडिता को हगीज (डायपर) पहनाकर चादर उड़ा दिया। पीडिता के कपडे अस्पताल वालों ने जॉच के लिये रख लिये थे परन्तु किसी भी डाक्टर, नर्स या जेएनएमसी के किसी अन्य कर्मचारी ने इस बात की पुष्टि नहीं की है कि पीड़िता के कपडे जॉच होने से पहले धो दिये गये हों बल्कि इसके विपरीत एमआईएमबी टीम के चेयरमैन प्रोफेसर डा. आदर्श कुमार ने अपनी प्रतिपरीक्षा में इस सम्बन्ध में यह कथन किया है कि एमआईएमबी की टीम ने दिनांक 06.11.2020 को दोपहर 12:00 बजे पीडिता की माँ को विमर्श हेतु बुलाया था और उसने यह बताया कि पीड़िता घटना के समय जो कपडे पहने हुये थी, वह कपडे पीडिता के शरीर पर पहनाये थे तथा वह कपडे दिनांक 22.09.2020 तक बदले नहीं गए एवं अन्तिम बार उन कपड़ों को दिनांक 22.09.2020 को ही डाक्टर्स द्वारा जेएएनएमसी में लिया गया था। पीड़िता की माँ ने एमआईएमबी की टीम के समक्ष पीडिता के कपडे धोये जाने का कथन नहीं किया है। अतः पीड़िता की माँ यह कथन कि नर्स के कहने पर उसने पीडिता के कपडे धो दिये थे, विश्वसनीय नहीं है।
पत्रावली के अवलोकन से यह भी विदित है कि घटना दिनांक 14.09.2020 की है परन्तु बलात्कार के सम्बन्ध में पीडिता का चिकित्सीय परीक्षण दिनांक 22.09.2020 को मेडिकल कॉलेज अलीगढ़ में हुआ है, जिसमें बलात्कार का कोई साक्ष्य नहीं पाया गया है। घटना के समय पीडिता के पहने हुये कपडों का भी फारेन्सिक परीक्षण हुआ है परन्तु उससे भी कोई बलात्कार सम्बन्धी साक्ष्य नहीं पाया गया है। इस प्रकार पीडिता के चिकित्सीय परीक्षण एवं फारेन्सिक परीक्षण में पीडिता के साथ बलात्कार होने की पुष्टि नहीं हुई है। इस प्रकरण में विवेचना के दौरान गठित एमआईएमबी की टीम ने भी अपनी रिपोर्ट में पीड़िता के साथ बलात्कार होने की पुष्टि नहीं की है।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 32 में यह उपबन्धित है कि वे दशाएं जिनमें उस व्यक्ति द्वारा सुसंगत तथ्य का किया गया कथन सुसंगत है, जो मर गया है या मिल नहीं सकता, इत्यादि- सुसंगत तथ्यों के लिखित या मौखिक कथन, जो ऐसे व्यक्ति द्वारा किये गये थे, जो मर गया है या मिल नहीं सकता है या जो साक्ष्य देने के लिये असमर्थ हो गया है या जिसकी हाजिरी इतने विलम्ब या व्यय के बिना उपाप्त नहीं की जा सकती, जितना मामले की परिस्थितियों में न्यायालय को अयुक्तियुक्त प्रतीत होता है, निम्नलिखित दशाओं में स्वयमेव सुसंगत हैं-
(1) जबकि वह मृत्यु के कारण से सम्बन्धित है- जबकि वह कथन किसी व्यक्ति द्वारा अपनी मृत्यु के कारण के बारे में या उस संव्यवहार की किसी परिस्थिति के बारे में किया गया है जिसके फलस्वरूप उसकी मृत्यु हुई, तब उन मामलों में, जिनमें उस व्यक्ति की मृत्यु का कारण प्रश्नगत हो । ऐसे कथन सुसंगत हैं चाहे उस व्यक्ति को, जिसने उन्हें किया है, उस समय जब वे किये गये थे मृत्यु की प्रत्याशंका थी या नहीं और चाहे उस कार्यवाही की, जिसमें उस व्यक्ति की मृत्यु का कारण प्रश्नगत होता है, प्रकृति कैसी ही क्यों न हो। इस प्रकरण में “पीडिता” द्वारा दिये गये सभी बयान अपनी मृत्यु के कारण के बारे में और उस संव्यवहार की परिस्थिति के बारे में, जिसके परिणाम स्वरूप ‘पीडिता’ की मृत्यु हुई है, ‘पीडिता’ द्वारा किये गये हैं।
इस प्रकरण में ‘पीडिता’ की मृत्यु का कारण प्रश्नगत है, जिस कारण ‘पीड़िता’ के सभी बयान धारा 32(1) दंप्रसं में परिभाषित मृत्युकालीन बयान की श्रेणी में आते हैं और यह बात अभियुक्तगण के विद्वान अधिवक्ता एवं अभियोजन की ओर से भी बहस के समय स्वीकार की गयी है तथा अभियुक्तगण एवं अभियोजन दोनों फक्षों ने सभी विडियोज पर भी विश्वास व्यक्त किया है। यह अविवादित है कि पीडिता/मृतका एक अनुसूचित जाति की लडकी थी तथा अभियुक्तगण सवर्ण हैं। पीडिता व उसका परिवार एवं अभियुक्तगण एक ही गाँव के निवासी हैं और निकट पडोसी हैं तथा ये सभी एक-दूसरे को भली-भॉति जानते व पहचानते हैं।
दिनांक 14.09.2020 को लगभग 04:00 बजे शाम पीडिता को जेएनएमसी अलीगढ में भर्ती कराया गया, जहाँ पीड़िता का चिकित्सीय परीक्षण हुआ। पीडिता के गले पर चोट के निशान एक लिगेचर मार्क 5×2 सेमी, जो गले के बीच से 02 सेमी बॉये की तरफ से शुरू हो रहा था। दूसरा लिगेचर मार्क 10×3 सेमी का था, वह गर्दन में बीच से शुरू होकर गर्दन के सीधी ओर जा रहा था, जो कान के निचले हिस्से से 7-8 सेमी नीचे था, पाये गये। दिनांक 28.092020 को पीडिता की गम्भीर स्थिति को देखते हुये, जेएएनएमसी अलीगढ़ से उसे दिल्ली रेफर किया गया। दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में उपचार के दौरान दिनांक 29.09.2020 की सुबह पीडिता की मृत्यु हो गयी।
पीडिता के पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अवलोकन से विदित होता है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पीड़िता की गर्दन पर सामने लिगेचर मार्क मौजूद था। यह निशान टेंटुऐ के नीचे मौजूद था एवं जबडे की बॉयी तरफ से दॉयी तरफ तक 15 सेमी तक था। खुरन्ट के नीचे Healed area (सूखा हुआ घाव) के निशान मौजूद थे। निशान गर्दन के बीच में 7 सेमी चौडा था, बॉयी तरफ 5 सेमी चौडा था एवं दॉयी तरफ 6 सेमी चौड़ा था। गर्दन के पीछे की तरफ कोई निशान मौजूद नहीं था। गर्दन के अन्दर अन्य कोई चोट मौजूद नहीं थी। सी-6 हड्डी टूटी हुई थी, अन्य कुछ असामान्य नहीं था।
दिनांक 22.092020 को उपचार के दौरान जेएनएमसी अलीगढ में ही मुख्य आरक्षी सरला देवी द्वारा पीडिता का बयान लिया गया। पीड़िता ने कहा है कि सन्दीप, रामू, लवकुश व रवि ने मेरे साथ बलात्कार किया था। सन्दीप ने बलात्कार किया और मेरा गला दुपट्टे से दबाया। मैं बेहोश हो गयी। सरला देवी ने न्यायालय में कहा कि पीड़िता से पूछने पर उसने बताया कि मैं और मेरी मम्मी चारा लेने खेत में गये थे, वहाँ पर चार लड़के सन्दीप, रामू, लवकुश व रवि ने मुझे पकड लिया और मेरे साथ बलात्कार किया। पीडिता का बयान लिये जाते समय पीड़िता की माँ, पीडिता के पास मौजूद थी। जब वीडियो बनायी गयी थी तब पीड़िता ने केवल तीन अभियुक्तों के नाम बताये थे रवि, रामू और लवकुश। उसके बाद मैंने पीडिता से चौथे व्यक्ति का नाम पूछा तो उसने फिर से रवि और रामू बताया था। पीछे से पेशकार ने सन्दीप का नाम लेकर पीड़िता से पूछने के लिये बोला तो फिर मैंने पूछा कि सन्दीप भी था क्या। इसके बाद लड़की ने सन्दीप का नाम लिया था।
इसके बाद नायब तहसीलदार मनीष कुमार ने पीडिता का बयान दर्ज किया। पीड़िता ने यह कथन किया है कि मेरी गर्दन में पड़े दुपट्टे से सन्दीप ने कसकर पकडकर मेरी गर्दन को दबाते हुये पीछे की तरफ मुझे खींचा और रामू, लवकुश व रवि मिलकर मुझे बाजरा के खेत में घसीट ले गये। मेरे दुपट्टे से मेरी गर्दन इतनी कसके जकड दी कि मेरी आवाज ही नहीं निकल रही थी और कुछ ही देर में मैं बेहोश हो गयी। काफी देर बाद मेरी मम्मी मुझे ढूंढते हुये आयी तो मैं उन्हें बेहोशी अवस्था में सलवार उतरी हुई, बाजरा के खेत में पडी मिली। पीड़िता ने अपने इस बयान में बलात्कार होने का कथन नहीं किया है। इस बयान के पहले व बाद में जेएनएमसी अलीगढ के डा. अजीम मलिक द्वारा यह प्रमाण पत्र दिया गया है कि पीडिता बयान देने से पहले व बयान देते समय अपने होशो-हवाश में थी। मनीष कुमार ने न्यायालय में कहा है कि पीडिता के इस बयान में उसके साथ किसी भी अभियुक्त द्वारा बलात्कार किये जाने का कोई उल्लेख नहीं है।
अविवादित रूप से पीड़िता के साथ अपराध होते हुए किसी ने नहीं देखा। स्पष्ट है कि घटना का कोई चक्षुदर्शी साक्षी नहीं है। पीडिता भाई ने भी अपनी साक्ष्य में स्वीकार किया है कि घटना उसने नहीं देखी और पीडिता का माँ ने भी स्वीकार किया है कि उसने घटना के बारे में जो बताया है वह अपनी बेटी के बताने पर ही बताया है। इस मामले में पीडिता ने सबसे पहले बयान थाना चन्दपा में पत्रकारों गोविन्द शर्मा, विनय शर्मा के सामने दिया। उसके बाद बागला जिला अस्पताल हाथरस में पत्रकार रवि कुमार ने पीडिता का वीडियो बनाया। उसके बाद जेएनएमसी0 अलीगढ में भर्ती करने के बाद दिनांक 19.09.2020 को आरक्षी कु. रश्मि ने पीडिता का बयान अंकित किया। उसके बाद दिनांक 22.09.2020 को मुख्य आरक्षी सरला देवी ने पीड़िता का बयान लिया। इसके पश्चात् दिनांक 22.09.2020 को ही नायब तहसीलदार मनीष कुमार ने पीड़िता का बयान किया। पीडिता की इलाज के दौरान दिनांक 29.09.2020 को मृत्यु हो गयी। इस प्रकरण में पीडिता की मृत्यु का कारण प्रश्नगत है इसलिए पीड़िता के द्वारा दिये गये उपरोक्त बयान धारा 32(1) भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अन्तर्गत मृत्युकालिक बयान की श्रेणी में आते हैं। मृत्युकालिक बयान के सन्दर्भ में विधि का सुस्थापित सिद्धान्त है कि यदि मृत्युकालिक बयान स्वेच्छा से दिया जाना तथा विश्वसनीय होना साबित होता है तो मात्र मृत्युकालिक बयान के आधार पर अभियुक्त की दोषसिद्धि की जा सकती है।
खुशाल राव बनाम् बाम्बे राज्य, 14958 एस.सी.आर. में माननीय उच्चतम न्यायालय ने यह अवधारित किया है कि ऐसा कोई कानून का नियम या सिद्धान्त नहीं है कि मृत्युकालिक कथन बिना किसी सम्पोषण के दोषसिद्धि का आधार नहीं हो सकता। यदि कोई कथन सच्चा है और स्वेच्छा से दिया गया है तो उसे किसी सम्पोषण की आवश्यकता नहीं है। इस केस में माननीय न्यायालय ने यह भी अवधारित किया है कि न्यायालय को इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि मृत्युकालिक बयान के अन्तर्गत किये गये कथन एक समान हैं अथवा नहीं, बार-बार कथन का बदलना उसकी विश्वसनीयता को खत्म करता है और उसे अविश्वसनीय बनाता है। यह देखा जाना चाहिये कि कथन अपराध के बाद यथाशीघ्र किया गया हो और उसे पढाने सिखाने का अवसर किसी को न मिला हो। पी.एस. पटेल बनाम् गुजरात राज्य, एस.सी.सी. 1991 पेज-744 में भी माननीय उच्चतम न्यायालय ने यह अवधारित किया है कि अकेले मृत्युकालीन बयान के आधार पर ही दोषसिद्धि हो सकती है। पीडिता ने दिनांक 22.09.2020 को मुख्य आरक्षी सरला देवी को दिये अपने बयान में अभियुक्त सन्दीप द्वारा दुपट्टे से गला दबाना तथा चारो अभियुक्तगण सन्दीप, रामू, लवकुश व रवि द्वारा बलात्कार किया जाना बताया है। इसके पश्चात् नायब तहसीलदार मनीष कुमार द्वारा लिये गये बयान में चारो अभियुक्तगण के नाम बताये हैं तथा सन्दीप के द्वारा दुपट्टे से गला दबाते हुये पीछे की तरफ खींचना और चारो अभियुक्तगण द्वारा बाजरा के खेत में घसीटकर ले जाना बताया है परन्तु बलात्कार किये जाने का कथन नहीं किया है।
पत्रकारों द्वारा थाना चन्दपा एवं बागला जिला अस्पताल हाथरस में पीडिता के वीडियो घटना की तिथि दिनांक 14.09.2020 को ही बनाये गए हैं तथा महिला आरक्षी कु. रश्मि द्वारा पीड़िता का बयान घटना के पाँच दिन बाद दिनांक 19.09.2020 को लिया गया है। यदि वास्तव में पीडिता के साथ घटना चार व्यक्तियों द्वारा की गयी होती तथा उसके साथ बलात्कार भी किया गया होता तो वह घटना की तिथि पर पत्रकारों को दिये गये अपने बयान में चारो अभियुक्तगण का नाम बताती और बलात्कार के बारे में भी बताती। घटना के पांच दिन महिला आरक्षी कु0 रश्मि को दिये अपने बयान में भी उसने एक ही अभियुक्त सन्दीप का नाम बताया है तथा बलात्कार की कोई घटना नहीं बतायी है इसलिए दिनांक 22.092020 को सरला देवी एवं नायब तहसीलदार मनीष कुमार के सामने, जो पीड़िता ने चार अभियुक्तण के नाम बताये हैं, उनमें अभियुक्त सन्दीप के अतिरिक्त तीन अन्य अभियुक्तगण के नाम घटना कारित करने वालों में विश्वसनीय होना नहीं कहा जा सकता और न ही पीडिता के साथ बलात्कार होने का कथन विश्वसनीय कहा जा सकता है क्योंकि सरला देवी के द्वारा पीडिता का बयान लेने के बाद शाम को उसी दिन नायब तहसीलदार मनीष कुमार द्वारा पीड़िता का बयान लिया गया है। पीड़िता ने इस बयान में अपने साथ बलात्कार होने का कथन नहीं किया है।
इसके अतिरिक्त यह भी महत्वपूर्ण है कि पीडिता के किसी भी चिकित्सीय परीक्षण में उसके साथ बलात्कार होना अंकित नहीं किया गया है। एमआईएमबी की टीम ने भी पीड़िता के साथ बलात्कार होने की पुष्टि नहीं की है। दूसरे अविवादित रूप से यह घटना होने के बाद घटना राजनैतिक रूप ले चुकी थी तथा पीडिता के परिवार वालों से बहुत से लोग मिलने आ रहे थे और पीड़िता के परिवारजन, पीडिता से मिल रहे थे इसलिए इस सम्भावना को नकारा नहीं जा सकता कि अन्य लोगों अथवा अपने परिवारजन के सिखाये पढाये जाने पर अभियुक्त सन्दीप के अतिरिक्त अन्य अभियुक्तगण के नाम घटना के आठ दिन बाद मुख्य आरक्षी सरला एवं नायब तहसीलदार मनीष कुमार को दिये गये अपने बयान में पीड़िता द्वारा बताये गए। पीडिता की माँ ने अपने बयान में यह कहा है कि पीड़िता ने घटना के दो-तीन दिन बाद चारो अभियुक्तगण के नाम बता दिये थे और अपने साथ बलात्कार होने का कथन किया था। यह साक्ष्य इसलिये अविश्वसनीय है क्योंकि घटना के पाँच दिन बाद दिनांक 19.09.2020 को महिला आरक्षी कु. रश्मि ने उसका बयान लिया, जिसमें पीड़िता ने सिर्फ एक अभियुक्त सन्दीप का नाम बताया और बलात्कार की बात नहीं बताई।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विधि निर्णय कामेश्वर सिंह बनाम् बिहार राज्य व अन्य, 2018 (2) सी.सी.एस.सी. 896 (एस.सी.) में यह अवधारित किया गया है कि “एक चीज में मिथ्या तो प्रत्येक चीज में मिथ्या” का सिद्धान्त भारत में लागू नहीं होता। शायद ही कोई ऐसा साक्षी हो, जिसकी साक्ष्य में असत्यता का अंश न हो अथवा अतिश्योक्ति, अलंकार अथवा सुधार न हो। न्यायालय का यह कर्तव्य है कि वह किसी साक्षी द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य की सावधानीपूर्वक समीक्षा करे तथा भूसे से गेंहूँ को अलग करने की तरह कार्य करे।
विधि निर्णय सुच्चा सिंह व अन्य बनाम् पंजाब राज्य, 2003 (7) एस.सी.सी. 643 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यह अवधारित किया गया है कि जहाँ सारतत्व को व्यर्थ से अलग किया जा सकता है वहाँ न्यायालय किसी अभियुक्त को इस तथ्य के होते हुये भी दोषसिद्ध करने के लिये स्वतन्त्र होगा कि उसी साक्ष्य को अन्य अभियुक्त व्यक्तियों को दोषी साबित करने के लिये अपर्याप्त माना गया है। “एक चीज में मिथ्या तो प्रत्येक चीज में मिथ्या” का सिद्धान्त भारत में लागू नहीं होता। इसलिए पीडिता की माँ का यह साक्ष्य कि दिनांक 14.092020 को उसने, पीड़िता को बेहोशी की हालत में देखा और उसके गले में दुपट्टा बंधा था और पूछने पर उसने, गुड्डू के पुत्र सन्दीप का नाम बताया था। यह साक्ष्य विश्वसनीय है क्योंकि पीड़िता के चिकित्सा पपत्रों तथा पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी उसके गले में लिगेचर मार्क पाया गया है व अन्य साक्षीगण पत्रकार गोविन्द शर्मा, विनय शर्मा व रवि कुमार, महिला आरक्षी कु. रश्मि के बयान में भी मात्र अभियुक्त सन्दीप के द्वारा घटना कारित करना बताया गया है।
पीडिता ने इन सभी को दिये गये बयान में यह बताया है कि सन्दीप ने उसके गले में दुपट्टा डालकर खींचा था। पीडिता के इस बयान की पुष्टि पीडिता के चिकित्सीय परीक्षण रिपोर्ट से भी होती है तथा पीडिता का चिकित्सीय उपचार करने वाले डाक्टर डा0. नैंसी गुप्ता, डा. डालिया रफात व डा. फैयाज अहमद तथा पीड़िता का पोस्टमार्टम करने वाले गौरव वी. जैन के बयानों से भी होती है। यह भी उल्लेखनीय है कि पीड़िता ने अपने प्रत्येक बयान में अभियुक्त सन्दीप द्वारा घटना कारित किये जाने का कथन किया है। उपरोक्त साक्ष्य के आधार पर यह बिना किसी सन्देह के पूर्णतः साबित हो जाता है कि दिनांक 14.09.2020 को अभियुक्त सन्दीप ने पीड़िता के गले में पडे दुपट्टे से उसे खींचा था, जिससे वह घटनास्थल पर बेहोश हो गयी थी तथा इलाज के दौरान दिनांक 29.09.2020 को पीड़िता की मृत्यु हो गयी। पीडिता की गर्दन के सामने की ओर लिगेचर मार्क पाये गये, गर्दन के पीछे की ओर लिगेचर मार्क नहीं पाये गये। इस प्रकरण में पीडिता घटना के आठ दिन बाद तक बातचीत करती रही है और बोलती रही है इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि अभियुक्त का आशय निश्चित रूप से ही पीड़िता की हत्या करने का ही रहा था। इसलिये अभियुक्त सन्दीप का उपरोक्त कृत्य धारा 304 भाग-1 आईपीसी के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध की श्रेणी में आता है, न कि धारा 302 आईपीसी के अन्तर्गत।
जहाँ तक अन्य अभियुक्तगण के विरूद्ध विरचित आरोप अन्तर्गत धारा 376, 376ए, अ6डी व 302 आईपीसी व धारा 3(2)(V) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम व अभियुक्त सन्दीप के विरूद्ध धारा 376, 376ए, 376डी आईपीसी के अन्तर्गत विरचित आरोप का प्रश्न है, उसके सम्बन्ध में मेरा विचार है कि साक्ष्य के उपरोक्त विवेचन में पीडिता के साथ बलात्कार होना साबित नहीं हुआ है तथा अभियुक्तगण रवि, रामू व लवकुश के द्वारा पीडिता के साथ कथित अपराध कारित किया जाना भी नहीं पाया गया है। इसलिये अभियुक्तगण रवि, रामू व लवकुश धारा 376, 376ए, 376डी, 302 आईपीसी व धारा 3(2)(V) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के दण्डनीय अपराध के आरोप से तथा अभियुक्त सन्दीप अन्तर्गत धारा 376, 376ए, 376डी आईपीसी के आरोप से दोषमुक्त किये जाने योग्य है। परन्तु अभियोजन पक्ष द्वारा अभियुक्त सन्दीप सिसौदिया उर्फ चन्दू के विरूद्ध धारा 304 भाग-। आईपीसी तथा धारा 3(2)(V) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम का अपराध सन्देह से परे साबित किया गया है। भारतीय दण्ड संहिता की धारा 304 भाग-1 में आजीवन कारावास अथवा 10 वर्ष तक के कारावास के दण्ड का प्रावधान निहित है इसलिए अभियुक्त सन्दीप सिसौदिया उर्फ चन्दू का उक्त अपराध धारा 3(2)(V) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के अन्तर्गत भी दण्डनीय है।
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अतः सन्दीप सिसौदिया उर्फ चन्दू को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 304 भाग-1 सपठित धारा 3(2)(V) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध के आरोप में दोषसिद्ध किया जाता है। अभियुक्त सन्दीप सिसौदिया उर्फ चन्दू पूर्व से न्यायिक अभिरक्षा में है। अभियुक्त सन्दीप सिसौदिया उर्फ चन्दू को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 304 भाग-1 सपठित धारा 3(2)(V) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के अन्तर्गत आजीवन कारावास एवं मु0 50,000//- रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया जाता है। अर्थदण्ड अदा न करने की दशा में अभियुक्त को दो वर्ष का अतिरिक्त साधारण कारावास भोगना होगा । अभियुक्त द्वारा कारागार में बिताई गयी अवधि सजा की अवधि में समायोजित की जायेगी। जुर्माने की अधिरोपित धनराशि में से मु0 40,000 /- रूपये की धनराशि पीड़िता/ मृतका की माँ को उसकी पहचान सुनिश्चित करने के उपरान्त प्रदान की जाए। अभियुक्तगण रवि उर्फ रविन्द्र, रामू उर्फ राम कुमार व लवकुश पूर्व से न्यायिक अभिरक्षा में हैं। अभियुक्तगण का रिहाई आदेश अविलम्ब जिला कारागार, अलीगढ़ प्रेषित किया जाए।