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24 Dec 2024, Tue

फैक्ट चेक: मोदी सरकार के सबसे खराब काम गिनाते हुए कमाल आर खान ने भ्रामक दावे किए हैं

 

अभिनेता और फिल्म समीक्षक कमाल आर खान ने अपने यूट्यूब चैनल पर जनवरी में एक वीडियो अपलोड किया है। वीडियो को ‘Few Worst Works done by PM Modi’ टाईटल के साथ अपलोड किया गया है। कमाल खान खान के मुताबिक उन्होंने इस वीडियो में केंद्र की मोदी सरकार के कुछ खराब काम गिनाये हैं लेकिन पड़ताल में यह बात सामने आई है कि उनके द्वारा जिन बातों को रखा गया है उनमे कुछ बातें भ्रामक हैं।


कमाल खान ने वीडियो की शुरुआत में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव में वादा किया था कि वह सारा काला धन वापस लाएंगे और हर भारतीय को 15 लाख रुपये मिलेगा। क्या नरेंद्र मोदी ने हर भारतीय को 15 लाख रुपये देने का वादा किया था?

क्या मोदी ने कभी ऐसा वादा किया था?

छत्तीसगढ़ के कांकेर में 7 नवंबर, 2013, को नरेंद्र मोदी की सार्वजनिक रैली में ’15 लाख’ का सबसे पहला उल्लेख मिलता है। नरेन्द्र मोदी ने मंच से बोलते हुए(नीचे वीडियो में 17:55 से 19:05 मिनट तक) कहा, “पूरी दुनिया कहती है कि भारत में सभी चोर-लुटेरे अपना पैसा विदेशों में बैंकों में जमा करते हैं। विदेशों के बैंकों में काला धन जमा है। कांकेर के मेरे भाईयों और बहनों, मुझे बताओ, यह चोरी का पैसा वापस आना चाहिए या नहीं? यह काला धन वापस आना चाहिए या नहीं? क्या हम इन बदमाशों द्वारा जमा किए गए हर पैसे को वापस लेना चाहिए या नहीं? क्या इस धन पर जनता का अधिकार नहीं है? क्या इस धन का उपयोग जनता के लाभ के लिए नहीं किया जाना चाहिए?”

“अगर एक बार भी, विदेशों में बैंकों में इन चोर-लुटेरों द्वारा जमा किया गया धन, भले ही हम केवल वही वापस लाते हैं, तो हर गरीब भारतीय को 15-20 लाख रुपये मुफ्त में यूहीं मिल जाएगा। वहां इतना पैसा है।”उनके भाषण में उक्त राशि विदेशों में जमा काले धन की मात्रा का संदर्भ है, न की 15 लाख रुपये हर खाते में जमा करवाने का चुनावी वादा है। बीजेपी की ऑफिशियल वेबसाइट पर 2014 के चुनावी घोषणा पत्र में भी 15-15 लाख रुपये प्रत्येक भारतीय के खाते में डलवाने के वादे का कोई उल्लेख नहीं है। इससे स्पष्ट है कि पीएम मोदी के इस बयान को चुनावी वादा बताकर गलत तरीके से पेश किया गया है।


इसके आगे कमाल आर खान कहते हैं कि चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी ने करोड़ो लोगों को नौकरी देने का वादा किया था, वो जॉब कहाँ है। उनके वीडियो में एक तस्वीर भी नजर आती है जिस पर दो करोड़ नौकरी का जिक्र है।

क्या नरेंद्र मोदी ने हर साल करोड़ों या 2 करोड़ लोगों को नौकरी देने का वादा किया था?

21 नवंबर 2013 को गुजरात के तत्कालीन सीएम और बीजेपी के पीएम पद के दावेदार मोदी की आगरा में रैली थी। अपने भाषण (नीचे वीडियो में 18 मिनट से) में पीएम मोदी ने कहा, ”दिल्ली में बैठी हुई कांग्रेस की सरकार ने वादा किया था कि सरकार बनेगी तो वे हर वर्ष एक करोड़ नौजवानों को रोजगार देंगे। भाइयों-बहनों आप मुझे जवाब देंगे, मैं आपसे सवाल पूछूं, आप जवाब देंगे। कांग्रेस ने लोकसभा के चुनाव में वादा किया था कि अगर हम सत्ता में आएंगे तो एक करोड़ लोगों को रोजगार देंगे। वादा किया था, पूरे ताकत से बोलो वादा किया था, कांग्रेस ने वादा किया था, वादा निभाया? आपमें कोई है भाई जिसको दिल्ली सरकार ने नौकरी दी हो। आपमें कोई है जिसको दिल्ली सरकार ने रोजगार दिया हो।

पीएम मोदी ने रोजगार का जिक्र जरुर किया लेकिन करोड़ों लोगों को रोजगार या दो करोड़ लोगों को हर साल रोजगार जैसी किसी संख्या का जिक्र नहीं किया है। इसको लेकर एक विस्तृत पड़ताल यहाँ हैं।

इसके बाद कमाल आर खान ने मोदी सरकार की निजीकरण नीति की आलोचना करते हुए कहा कि मोदी जी एक एक करके सारी सम्पत्ति को बेच रहे हैं। आज कल रेलवे अडानी का हो गया, एयरपोर्ट अम्बानी के हो गए, बंदरगाह अडानी के हो गए, बिजली अडानी की हो गयी, टेलीफोन कम्पनियां अम्बानी-अडानी की हो गयीं।

रेलवे को लेकर कमाल आर खान ने जिस तस्वीर का इस्तेमाल अपने वीडियो में किया है, वह आस्ट्रेलिया की एक खबर से सम्बंधित है। इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी यहाँ है। इसके अलावा भी सोशल मीडिया में ट्रेन के कुछ वीडियो वायरल हुए थे जिन पर अडानी का पोस्टर भी लगा था, दावा किया गया कि मोदी सरकार ने अडानी को ट्रेन बेच दी है जबकि पड़ताल में पता चला कि देश की अलग-अलग कंपनियां समय-समय पर ट्रेनों में विज्ञापन देती हैं जिससे रेलवे को आमदनी होती है। ट्रेनों को हर तीन साल में पेंट किया जाता है, जिस पर करीब आठ लाख रुपये का
खर्च आता है, ऐसे में विज्ञापन से हुई आय की मदद से इन पैसों की बचत हो
जाती है।

 

कमाल आर खान रेलवे के जिस निजीकरण का आरोप मोदी सरकार पर लगा रहे हैं, दरअसल उसकी शुरुआत 2007 में हुई थी। उस वक्त मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे। इकोनॉमिक टाइम्‍स की 2007 की इस खबर के अनुसार, कंटेनर ट्रेन चलाने के लिए भारतीय रेलवे द्वारा पहली बार निजी कंपनियों के लिए दरवाजा खोला था। अडानी लॉजिस्टिक भी इन कंपनियों में शामिल थी।


हालाँकि निजी कंपनियों के अपने रैक होते हैं, यहाँ भी यह कहना गलत ही होगा कि भारतीय रेल अडानी रेल हो गई है। हाल ही में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में स्पष्ट किया कि रेलवे भारत की संपत्ति है। भारतीय रेल का निजीकरण नहीं होगा और भारत सरकार की ही रहेगी।

एयरपोर्ट के निजीकरण को बेचना बताकर जो आरोप कमाल आर खान मोदी सरकार पर लगा रहे हैं, उस निजीकरण की शुरुआत आज से करीबन 14 वर्ष पहले हुई थी। उस वक्त मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे। नागरिक विमानन और उड्डयन मंत्रालय ने सबसे पहले दिल्ली और मुंबई के हवाईअड्डों को निजी हाथों में देने की घोषणा की थी। अम्बानी की टेलीकॉम कम्पनी जिओ की शुरुआत भी 2007 में हुई थी। हैरानी की बात है कि आज से 14-15 वर्ष जिसकी शुरुआत हुई, उसे अब कमाल आर खान खराब काम बताकर मोदी सरकार के खाते में जोड़ रहे हैं।


कमाल आर खान अपने वीडियो में आगे केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए कृषि कानूनों का जिक्र करते हए कहते हैं कि किसान भी अपनी जमीन की लड़ाई लड़ रहे हैं,अगर उस पर भी अम्बानी अडानी का हक हो गया तो पूरा देश अम्बानी अडानी का हो जाएगा। जबकि यह दावा भी भ्रामक है, नवभारत टाइम्स ने इसकी पड़ताल की है।

कमाल आर खान जिस बिल को लेकर पीएम मोदी पर निशाना साध रहे हैं, वह है (मूल्य आश्वासन पर
किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा बिल, 2020) जिसके तहत
किसान कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कर सकता है यानी फसल बोने के साथ ही किसी कपंनी
के साथ उसका कॉन्ट्रैक्ट हो जाएगा कि वह फसल उसे ही बेचेगा।

इस बिल के अनुसार किसान किसी व्यापारी से पहले ही समझौता कर सकता है,
जिसमें वह ये तय करेगा कि कितनी फसल या सारी फसल व्यापारी किस दाम पर
खरीदेगा। व्यापारी इस तरह के समझौते में फसल की क्वालिटी, मात्रा और उसे
उगाने में खाद आदि के इस्तेमाल के तरीके भी अपने हिसाब से निर्धारित कर
सकता है, क्योंकि आखिरकार फसल उसे ही खरीदनी है। देखा जाए तो खेत का
मालिकाना हक किसान के पास रहेगा, लेकिन फसल का मालिकाना हक व्यापारी के हाथ
में आ जाएगा। बिल के अनुसार फसल की डिलीवरी के समय ही कीमत का दो-तिहाई
भुगतान करना होगा, बाकी का 30 दिन के अंदर करना होगा। खेत से फसल उठाने की
जिम्मेदारी भी व्यापारी की होगी, ना कि किसान की। खेत का मालिकाना हक हर वक्त किसान के पास है, तो उसे कोई नहीं हड़प सकता, भले ही वह अंबानी हों या अडाणी या फिर कोई और व्यापारी।

इसके बाद कमाल आर खान यह भी कहते हैं कि मोदी के आने के बाद लव जिहाद, गौरक्षा अजीब अजीब चीजें चालू हुई। जबकि लव जिहाद के इतिहास पर डाली जाए तो 1920 के दशक में इस तरह की कई घटनाएँ हुईं। भारत में ‘लव जिहाद’ शब्द का इस्तेमाल 2010 में केरल और कर्णाटक में हुआ। टाइम्स ऑफ इंडिया की 26 जुलाई 2010 को प्रकाशित एक खबर में केरल के तत्कालीन
वामपंथी मुख्यमंत्री वीएस अच्यूतानंदन ने कहा था कि पॉपूलर फ्रंट ऑफ इंडिया और
कैंपस फ्रंट जैसे संगठन दूसरे धर्मों की लड़कियों को फुसलाकर उनसे शादी कर
इस्लाम कबूल करवाने की साजिश रच रह हैं। 20 सालों में केरल का इस्लामीकरण
करने का प्लान बना रहे हैं। वो तालीबान के अंदाज में कॉलेजों में हमला कर
सकता है। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कहा कि समूचे केरल के इस्लामीकरण की साजिश चल रही है।
वहां सुनियोजित तरीके से हिन्दू लड़कियों के साथ मुस्लिम लड़कों के निकाह
करने का षड्यंत्र चलाया जा रहा है।

वहीं गौरक्षा का मुद्दा भी वर्षों पुराना है। 1966 में संत स्वामी करपात्री जी महाराज लगातार गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक कानून की मांग कर रहे थे। लेकिन केंद्र सरकार इस तरह का कोई कानून लाने पर विचार नहीं कर रही थी। इससे संतों का आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा था। उनके आह्वान पर सात नवंबर 1966 को देशभर के लाखों साधु-संत अपने साथ गायों-बछड़ों को लेकर संसद के बाहर आ डटे थे। तब संसद के बाहर जुटी साधु-संतों की भीड़ पर गोलियां भी चलाई गई थीं।

पड़ताल में यह बात सामने आई है कि मोदी सरकार के सबसे खराब काम गिनाते हुए कमाल आर खान ने कुछ भ्रामक दावे किए हैं, जिनमे कोई सच्चाई नहीं हैं।

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