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6 Feb 2025, Thu

राजस्थान में पानी का मटका छूने पर दलित को पीटने के दावों में कोई सच्चाई नहीं है

सोशल मीडिया में बीते दिनों से एक खबर चर्चा का विषय है। लोग दावा कर रहे हैं कि राजस्थान के झुंझुनूं जिले में दलित युवक को पानी पीने के लिए मटका छूने पर जातिसूचक गालियां दी गईं, बर्बरता से पीटा गया।

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने एक्स पर लिखा, ‘राजस्थान की भाजपा सरकार के शासन में दलितों के खिलाफ अत्याचार तेजी से बढ़े हैं। कुछ दिन पूर्व ही बाड़मेर में दलित की पेड़ से बांधकर मारपीट की वीडियो वायरल हुई थी और अब झुंझुनूं में पानी के मटके को छूने पर दलित के साथ बंधक बनाकर मारपीट की गई। ऐसा भी देखा जा रहा है कि राजस्थान पुलिस भी ऐसे गंभीर मामलों पर कार्रवाई करने की बजाय राजनीतिक बचाव में लगती है और पीड़ितों के ऊपर ही दोष आरोपित करने का प्रयास करती है। क्या किसी भी व्यक्ति से की गई मारपीट पर पुलिस द्वारा बहानेबाजी करना जायज है? क्या दोषियों की गिरफ्तारी नहीं की जानी चाहिए थी? प्रदेश में भाजपा की सरकार आए अब एक वर्ष हो गया है और इनके कार्यकाल में दलितों पर अत्याचार बढ़ते ही जा रहे हैं जिससे दलित समुदाय में आक्रोश पैदा होता जा रहा है। समय रहते ही सरकार को चेत जाना चाहिए वर्ना प्रदेश की स्थिति और बिगड़ती चली जाएगी। जिस प्रकार मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा तमाम विभागों की समीक्षा बैठकें करते हैं उसी प्रकार उनको इस एक वर्ष में दलितों के साथ हुए अपराधों एवं उन पर हुई कार्रवाई की स्थिति पर एक समीक्षा बैठक करनी चाहिए जिससे दलितों को न्याय मिलने की एक उम्मीद जाग सके।’

प्रतीक पटेल ने लिखा, ‘दलित युवक के पानी का मटका छूने से उसे पीटा गया लेकिन उसी के हाथों से 1 लाख रुपया लेने में शर्म नहीं आया. वहां छूत अछूत नहीं दिखा। कहां गए एक हैं तो सेफ हैं का फर्जी नारा देने वाले…?’

बहुजन मीडिया ने लिखा, ‘पानी पीने के लिए मटका छूने पर हमला न केवल उस दलित युवक पर हुआ, बल्कि यह हमारे संविधान में निहित समानता,और न्याय के सिद्धांतों पर सीधा हमला है घटना इस बात का सबूत है कि BJP के राज में दलितों के साथ अन्याय और उत्पीड़न बढ़ता जा रहा है।जिसे किसी भी सूरत में सहन नहीं किया जाएगा’

चंद्रशेखर आजाद ने लिखा, ‘राजस्थान के झुंझुनूं जिले में दलित युवक को केवल पानी पीने के लिए मटका छूने पर जातिसूचक गालियां दी गईं, बर्बरता से पीटा गया और पूरी रात बंधक बनाकर रखा गया। यह घटना भाजपा सरकार की कानून व्यवस्था की शर्मनाक विफलता और जातिवाद का जीता-जागता प्रमाण है।’

हंसराज मीणा ने लिखा, ‘राजस्थान के झुंझुनूं में एक दलित युवक को पानी के मटके को छूने के लिए बेरहमी से पीटा गया, बंधक बनाया गया और 1 लाख की फिरौती की मांग की गई। यह भयावह घटना बीजेपी सरकार और प्रशासन की विफलता को उजागर करती है, जो जातिवाद और अत्याचारों को रोकने में असमर्थ है।’

गोविन्द सिंह ने लिखा, ‘देश में आखिर कब तक दलितों पर जुल्म, ऊंच-नीच का दर्जा, भेदभाव और छुआछूत का अन्याय होता रहेगा? जब संविधान में सबको समानता का अधिकार है तो फिर ये असमानता और अत्याचार क्यों? झुंझुनूं के मेघपुर में पानी के मटके को छूने पर दलित युवक की बेरहमी से पिटाई एवं जबरन वसूली की घटना अत्यंत शर्मनाक और सामाजिक रूप से चिंताजनक है।’

इसके अलावा ममता राजगढ़, दलित वॉयस, गहडवाल साहब, सोना अम्बेडकर ने भी इसे पोस्ट किया है।

क्या है हकीकत? पड़ताल में हमे इस सम्बन्ध में एनडीवी की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट के मुताबिक झुंझुनू जिले के पचेरी कलां थाना क्षेत्र में एक ईंट भट्टा मालिक विनोद ने पानी के घड़े को हाथ लगाने पर कथित तौर पर दलित ट्रैक्टर चालक चिमन लाल मेघवाल को पीटा। चालक ने आरोप लगाया है कि उसे किडनैप कर हरियाणा ले जाया गया और उसी पिटाई की गई। बाद में उसे छोड़ने के लिए परिवार से 1.5 लाख रुपये की फिरौती भी मांगी गई जिसके बाद उसे छोड़ा गया।

इसके बाद दैनिक भास्कर की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में एएसपी देवेंद्रसिंह राजावत के सुपरवीजन व बुहाना डीएसपी नोपाराम भाकर के नेतृत्व में गठित टीम ने मामले की जांच-पड़ताल की। एसपी शरद चौधरी ने बताया कि पुलिस की ओर से की गई जांच में पाया गया है कि ट्रैक्टर चालक को ना तो बंधक बनाया गया और ना ही मटके को छूने की बात को लेकर मारपीट की गई। पीड़ित भट्टे से कई दिनों से ईंटे भरकर अलग-अलग स्थान पर ले जाकर बेच रहा था। जब भट्टा मालिक विनोद कुमार को यह पता चला कि पीड़ित उनके द्वारा जारी बिल से ज्यादा ईंटें भरकर ले जा रहा है तो ट्रॉली खाली कराकर जांच की तो ईंटें ज्यादा पाई गई। ज्यादा ईंटें भरने की बात को लेकर दोनों के बीच विवाद हो गया। इसी विवाद के दौरान भट्टा मालिक व उसके साथियों ने पीड़ित के साथ मारपीट की।

रिपोर्ट में बताया गया है यहां पर एक ही स्टैंड पर पानी के तीन मटके रखे हुए हैं। अलग से कोई मटकी नहीं पाई गई है। यहां काम करने वाले सभी लोग इन्हीं मटकों से पानी पीते हैं। यहां पर एक ही रसोई में सबके लिए खाना बनता है।

सार्वजानिक रसोईघर

हमे इस सम्बन्ध में आरोपियों की जमानत याचिका के सम्बन्ध में कोर्ट का आदेश भी मिला। कोर्ट ने अपने आदेश में बताया है कि तथ्यात्मक रिपोर्ट मे भी यह तथ्य अंकित है कि परिवादी जो बलदेव के ट्रेक्टर पर चालक का काम करता है वह ईटे खरीदकर अलग अलग जगह ले जाकर बेचता है। पिछले कई दिनों से इसी भटठे से ईटे बिल से ज्यादा ईटे हर बार -ट्राली में भरकर ले जाता है तब भटठे मालिक ने ट्राली भरे जाने के बाद मे पुन खाली करवाई जाकर चैक की गई तो ईटे ज्यादा होना पाई जिस पर पीडित व आरोपी के बीच मे विवाद हो गया। इसी बात को लेकर आरोपीगण ने परिवादी के साथ मारपीट की थी। इस प्रकार अब तक के अनुसंधान से परिवादी द्वारा ट्रेक्टर ट्राली मे बताई हुई से ज्यादा ईटे भरने की बात को लेकर विवाद के चलते मारपीट करना व अधिक ले जाई गई ईटो का हिसाब करने हेतु ट्रेक्टर मालिक को बुलाने हेतु पीडित को परिरूद्ध करके रखा जाना व गाली गलौच किया जाना तथा पैसे लाने हेतु आरोपीगण द्वारा पीडित को अपनी गाडी मे बैठाकर सिंघाना व नारनौल की तरफ ले जाना तथा पुनः लाकर ईट भटटे के कमरे में रखा जाना पाया गया है।

अदालत का आदेश

मनोज यादव ने बताया कि उनके भट्टे पर करीबन 100 कर्मचारी हैं, इनमे 90 एससी वर्ग के हैं। साथ ही खाना बनाने वाला अनिल और मुनीम कैलाश, वाहन चालक महेंद्र भी एससी वर्ग से आते हैं। यह सभी लोग एक ही जगह पानी पीते हैं। उनके लिए खाना भी एक ही जगह बनता है। इसी रसोई में हम भी खाना खाते हैं। रसोई को अलग किसी कोने में नही बनाया गया, यह रसोई हमारे ऑफिस के अंदर ही है।

दावाराजस्थान में पानी का मटका छूने पर दलित को पीटा गया।
हकीकतट्रैक्टर चालक चिमन लाल मेघवाल भट्ठे से ईंट चोरी करता था। इसी सम्बन्ध में उसके साथ विवाद हुआ था। पानी का मटका छूने पर मारपीट के दावों में सच्चाई नहीं है।

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