Breaking
2 Aug 2025, Sat

मुरैना में दलितों को मंदिर में दर्शन-पूजा से रोकने की खबर फर्जी है

सोशल मीडिया में अखबार की एक कटिंग वायरल है। इसमें बताया है कि मध्यप्रदेश के मुरैना में आसमानी माता मंदिर में पुजारी और दलितों के बीच मारपीट हुई। सावन के दूसरे सोमवार पर दलित पूजा करने चाहते थे, इसका पुजारी और उसके परिवार ने विरोध किया। पुजारी दलितों को मंदिर में आने, दर्शन करने से रोकते हैं। 

बहुजन ब्रिगेड ने कटिंग को एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘मध्यप्रदेश के मुरैना में दलितों को मंदिर में दर्शन करने से पुजारियों ने रोका, विरोध करने पर जमकर की पिटाई’

एक यूजर चूनमेन ने लिखा, ‘पुजारी को कम से कम 11 कटोरी चून देकर सम्मानित किया जाना चाहिए।’

इसके अलावा निखिल चावड, लवकुश जाटव ने भी इसे पोस्ट किया है।

क्या है हकीकत? पड़ताल में हमने देखा कि इस कटिंग में कोई अखबार का नाम नहीं दिया गया है। न, न तारीख, न संस्करण की जानकारी दी गयी है इसीलिए हमने कुछ कीवर्ड्स की मदद से गूगल सर्च किया।

इस दौरान हमे 21 जुलाई 2025 को प्रकाशित दैनिक भास्कर की वेबसाइट पर एक रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट के मुताबिक सोमवार दोपहर दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालुओं पर कुछ लोगों ने अचानक हमला कर दिया। आरोप है कि हमलावरों ने महिला और पुरुष श्रद्धालुओं को घेरकर बंधक बना लिया और मारपीट की। घटना के बाद दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए, जिसके बाद लाठी-डंडे और पथराव भी हुआ। पुलिस ने दोनों पक्षों की शिकायत पर केस दर्ज किया है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि आसमानी माता का मंदिर पर प्रजापति समाज का परिवार लंबे समय से पूजा अर्चना करता चला रहा है। मंदिर मौके की जगह की कीमत करोड़ों में है। प्रजापति का आरोप है कि ब्राह्मण समाज के कुछ लोग उस मंदिर को हथियाना चाहते हैं। वह उन्हें भगाकर उस पर कब्जा करना चाहते हैं। इससे पहले भी दो-तीन बार लड़ाइयां हो चुकी है और यही विवाद अब आज भी हुआ।

पड़ताल में हमे एक वीडियो ‘मुरैना सिटी न्यूज’ के फेसबुक पेज पर मिला। 21 जुलाई की घटना के इस वीडियो के साथ बताया गया है कि आसमानी माता मंदिर पर दो गुटों के बीच जमकर हुआ पथराव.. मुरैना शहर की वेयरहाउस रोड माधोपुर की पुलिया पर स्थित आसमानी माता मंदिर पर पूजा अर्चना करने गए लोगों को मंदिर की देखरख करने वाले प्रजापति समुदाय के लोगों ने बनाया बंधक, की मारपीट.. घटना की जानकारी लगते ही मोहल्ले वाले लोगों ने किया विरोध तो दोनों पक्षों में हुआ जमकर पथराव वमुश्किल बल प्रयोग करके आस पड़ोस के लोगों ने मंदिर के अंदर बंधक बनाए गए महिला पुरुषों को बाहर निकाला मौके पर पहुँची कोतवाली पुलिस।

इस मामले में हमे एक स्थानीय पत्रकार ने 21 जुलाई की घटना को लेकर दोनों पक्षों की FIR कॉपी मुहैया करवाई। प्रथम पक्ष राजू उर्फ राजेश प्रजापति पुत्र रामभरोषी प्रजापति ने अपनी शिकायत में बताया है कि दिनांक 21.07.25 को समय करीबन सुबह 09.30 बजे की बात होगी मै अपनी आसमानी माता मंदिर पर था तभी पूजा करने के लिये सुधा तिवारी, सुनीता सिकरवार, प्रीती यादव, व रविन्द्र शर्मा आये जो मुझ से माँ बहिन की गंदी गंदी गालियाँ देते हुये बोले कि तू मंदिर मे कैसे आया तो मैने कहा मंदिर तो किसी का भी है कोई भी पूजा कर सकता है। इसके बाद चारों लोगों ने मेरी व मंदिर मे उपस्थित मेरे परिवार के लोग व पुजारी बंशीदास के साथ मारपीट शुरू कर दी।

राजू उर्फ राजेश प्रजापति का कहना है कि इसके बाद मोनू यादव, दिलीप सविता, सुनील जाटव, किशोर यादव, उमंग तिवारी, महेश तिवारी भी आ गए और हमारे साथ मारपीट करने लगे। वहीं जब मुझे बचाने मेरे भाई मनोज प्रजापति, बलराम प्रजापति, गौरी शंकर प्रजापति, गणेश प्रजापति आए तो आरोपियों ने उनके साथ भी मारपीट की। जिसमे हम सभी घायल हो गए।

21 जुलाई की घटना को लेकर दोनों पक्षों की FIR कॉपी

वहीं दूसरे पक्ष रविन्द्र शर्मा पुत्र मातादीन शर्मा ने अपनी शिकायत में बताया है कि मैं, सुधा तिवारी, सुनीता सिकरवार, प्रीती यादव के साथ आसमानी मंदिर पर पूजा करने गये थे जहाँ पर राजेश प्रजापति, मीना प्रजापति, कृष्णा प्रजापति मंदिर मे पहले से मौजूद थे। उन्होंने हम लोगो से माँ बहिन की गंदी गंदी गालियाँ देकर बोले कि तुम लोग मंदिर मे कैसे आ गये यह मंदिर मेरा है तो हम लोगो ने कहा कि मंदिर तो सभी का होता है, तुम पूजा करने से क्यों रोक रहे हो। इतने मे आरोपियों ने वहाँ पडे ईट पत्थर उठाकर हम लोगों की मारपीट करने लगे। जब’ पीछे से मुझे बचाने दिलीप, सविता, सुनील जाटव, मोनू यादव आये तो राजेश प्रजापति के चिल्लाने पर मनोज प्रजापति, बलराम प्रजापति गौरी शंकर प्रजापति, गणेस प्रजापति आ गये जिन्होने भी हम लोगों की मारपीट की। 

रविन्द्र शर्मा का कहना है कि हमे बचाने किशोर यादव, ओमप्रकाश सविता, मोनू यादव, रिंकी शर्मा आये तो पीछे से बंसती प्रजापति, मुकेश प्रजापति, प्रिंयका प्रजापति आ गये। इन लोगों ने भी हम लोगों के साथ मारपीट की। राजेश प्रजापति बगैरा कह रहे थे कि मंदिर मेरा है आईन्दा मंदिर मे दिखे तो तुम लोगो को जान से खत्म कर देंगे।

पड़ताल में हमे पता चला कि इस मंदिर को लेकर पहले भी विवाद हुए हैं, 14 जून 2025 को प्रकाशित दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक आसमानी माता मंदिर परिसर में बकरे की बलि देकर मांस पकाने का मामला सामने आया था। स्थानीय लोगों ने बताया कि आसमानी माता मंदिर परिसर में हनुमान जी का मंदिर भी है, जहां भरोसी प्रजापति और उनकी पत्नी कमला प्रजापति कई सालों से रह रहे हैं और मंदिर की सेवा कर रहे हैं। आरोप है कि इन्हीं लोगों ने रात में बकरे की बलि दी और मंदिर परिसर में मांस पकाया। इस दौरान मंदिर में मौजूद लोगों ने इसका वीडियो बना लिया। जिसमें एक कटोरे में मांस रखा दिखाई दे रहा है। इसके वायरल होते ही शनिवार सुबह हिंदू संगठनों ने हंगामा कर दिया। आरोप लगाया कि मंदिर के पुजारी द्वारा लंबे समय से मांस-मदिरा का सेवन किया जा रहा है। प्रशासन से दूसरे पुजारी की नियुक्ति करने की मांग की।

इस मामले में हिंदू संगठन के अमित उपाध्याय की शिकायत पर कोतवाली पुलिस ने पांच लोगों राम भरोसी प्रजापति, उसके बेटे मनोज प्रजापति, बलराम प्रजापति, राजू प्रजापति और गौरी प्रजापति पर बीएनएस की धारा 353 के तहत मामला दर्ज किया गया।

इसके बाद हमे 16 जून 2025 को प्रकाशित दैनिक भास्कर की एक दूसरी रिपोर्ट भी मिली। रिपोर्ट के मुताबिक मुरैना के आसमानी माता मंदिर पर बीते दिनों मांस पकाकर खाने के मामले में हुए हंगामे के बाद प्रजापति समाज में कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया है कि मंदिर प्रजापति समाज का है। पिछले 70 साल से इस पर समाज के लोगों का अधिकार है। कुछ लोग मंदिर पर जबरन कब्जा करना चाहते हैं, जिसमें अमित उपाध्याय नामक व्यक्ति मुख्य रूप से शामिल है। कब्जा चाहने वाले लोगों ने 3 महीने पूर्व मंदिर के पुजारी को 20 लाख रुपए का लालच देकर मंदिर छोड़ने को कहा था, जिस पर पुजारी ने इनकार कर दिया था। 16 अप्रैल 2022 को मंदिर पर कब्जा चाहने वाले लोगों ने मंदिर पर गोली चलाई थी। गोली मंदिर में पूजा करने वाली शांति बाई को लगी थी। इस मामले की रिपोर्ट कोतवाली थाने में दर्ज कराई गई थी। अगर पुजारी परिवार द्वारा मंदिर में मांस खाया गया है तो उसकी जांच समाज मिलकर करेगा और दोषी को सजा भी देगा। इसके साथ ही इस मामले में कोतवाली थाने में दर्ज पांच लोगों के खिलाफ की गई FIR वापस लेने की मांग की गई है।

इस प्रकरण में आगे हमने हमने ‘मुरैना सिटी न्यूज’ से सम्पर्क किया तो हमारी बातचीत पत्रकार प्रशांत शर्मा से हुई। प्रशांत शर्मा ने हमे बताया कि मंदिर में प्रजापति परिवार पूजा करता है और वो मंदिर के परिसर में रहता है। सावन के दूसरे सोमवार 21 जुलाई को किसी दलित को पूजा करने से नहीं रोका गया था।

प्रशांत शर्मा के मुताबिक मंदिर की जमीन दरअसल एक शिवहरे परिवार की है जिन्होंने कई दशक पहले वहां मंदिर का निर्माण कराया था। बाद में प्रजापति परिवार ने इस पर कब्जा कर लिया, जिस पर शिवहरे परिवार ने 1990 में अदालत का दरवाजा खटखटाया। वर्ष 1991 में अदालत ने फैसला शिवहरे परिवार के पक्ष में सुनाया लेकिन अभी कब्जा नहीं हटा है।

प्रशांत ने इस प्रकरण में मंदिर की जमीन के मालिकाना हक का दावा करने वाली शिकायतकर्ता हरकुंअर देवी पत्नी स्व. चिरौंजीलाल शिवहरे का मोबाइल नंबर साझा किया, साथ ही उनकी लिखित शिकायत और अदालत के आदेश की प्रति भी उपलब्ध कराई।

हरकुंअर देवी ने अपनी शिकायत में बताया कि माधोपुर की पुलिया पर स्थित इस भूमि पर उनके परिवार ने 35 साल पहले हनुमान जी का मंदिर बनवाया था और वहां मूर्ति की स्थापना की थी। एक छोटा सा शेड भी बनवाया गया था। लेकिन बाद में बलराम प्रजापति, ज्योति प्रजापति और राजू प्रजापति ने मंदिर में अवैध रूप से कब्जा कर लिया और निवास बनाने लगे।हरकुंअर देवी के अनुसार अदालत के आदेश के बाद 1991 में प्रशासन ने प्लॉट को खाली करवा दिया था। बावजूद इसके, प्रजापति परिवार पूजा-पाठ के बहाने मंदिर में आता रहा और धीरे-धीरे फिर से कब्जा कर निवास बना लिया।

पुलिस को शिकायत की कॉपी

इसी मुद्दे पर हमारी हरकुंअर देवी के बेटे रामकुमार शिवहरे से बात हुई। रामकुमार ने बताया कि माधोपुर की पुलिया के पास स्थित जिस भूमि पर मंदिर बना है, वह उनके परिवार की है। उनके परिजनों ने वहां मंदिर का निर्माण कराया था, उसी के पास में खाली भूमि छोड़ी थी लेकिन इस पर एक प्रजापति परिवार ने कब्जा कर लिया। रामकुमार के अनुसार 1991 में उन्होंने इस मामले में अदालत से फैसला अपने पक्ष में जीत लिया था, जिसके बाद प्रशासन ने कब्जा हटवाया भी था। लेकिन कुछ समय बाद वही लोग फिर से वहां आकर रहने लगे और दोबारा कब्जा जमा लिया।

शिवहरे परिवार के पक्ष में अदालत के आदेश की कॉपी

उन्होंने कहा कि उस समय मेरे पिता की तबीयत खराब चल रही थी, जिस कारण मैं मामले को आगे नहीं बढ़ा सका। लेकिन हाल ही में जब मंदिर में मांस खाने की घटना सामने आई तो मैंने दोबारा प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग की है। मेरी स्पष्ट मांग है कि मंदिर परिसर से ऐसे लोगों को हटाया जाए जो वहां असामाजिक गतिविधियों में लिप्त हैं और धार्मिक भावना को ठेस पहुँचा रहे हैं।

वहीं मामले में मुरैना सिटी कोतवाली थाना प्रभारी दीपेन्द्र सिंह यादव ने भी स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने बताया कि मंदिर में किसी पुजारी द्वारा दलित को रोकने की बात पूरी तरह निराधार है। मंदिर में इस समय प्रजापति समाज के पुजारी पूजा-पाठ कर रहे हैं। थाना प्रभारी ने जानकारी दी कि दस दिन पहले मंदिर परिसर में दो पक्षों के बीच विवाद हुआ था। इससे पहले कुछ श्रद्धालुओं ने मांस सेवन के आरोप को लेकर विरोध जताया था। हालांकि पूरे घटनाक्रम में कोई जातिगत एंगल सामने नहीं आया है।

दावामध्यप्रदेश के मुरैना में आसमानी माता मंदिर में दलितों को दर्शन से रोका गया था।
निष्कर्षमुरैना के आसमानी मंदिर में प्रजापति जाति का पुजारी है, उनके परिवार का यहाँ कब्जा है। 21 जुलाई को उनका श्रद्धालुओं से झगड़ा हुआ था जिसमे यादव, जाटव, ब्राह्मण शामिल हैं। इस घटना में जातिगत एंगल नहीं है।

इसके अलावा मंदिर की भूमि का मालिक शिवहरे जाति का परिवार है। प्रजापति और शिवहरे दोनों ही ओबीसी वर्ग की जातियां हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *