बिहार विधानसभा चुनाव में दो चरण में मतदान के बाद नई सरकार चुनने के लिए वोटों की गिनती जारी है। मतगणना के रुझानों में एनडीए सरकार की दमदार वापसी हो रही है। नीतीश के नेतृत्व में एनडीए की बढ़त 200 पार हो गई है। वहीं महा गठबंधन 34 पर सिमटता दिख रहा है। इस बीच सोशल मीडिया में लोग दावा कर रहे हैं कि बिहार में 30 सितम्बर को SIR की फाईनल सूची प्रकाशित में 7.42 करोड़ मतदाताओं का आंकड़ा दिया गया था लेकिन बिहार में मतदान के बाद 11 नवम्बर को यह आंकड़ा 7.45 करोड़ कर दिया गया है यानि अपने आप 3 लाख से अधिक वोटर्स बढ़ा दिए गए हैं। वहीं कुछ लोगों ने यह भी दावा किया है कि बिहार में वोटर 7 करोड़ 42 लाख मतदाता है लेकिन 7 करोड़ 45 लाख लोगों ने वोट किया जबकि चुनाव आयोग कह रहा है कि सिर्फ 66.67% वोटिंग हुई।
रणविजय सिंह ने लिखा, ‘बिहार चुनाव में 3 लाख वोटर कैसे बढ़े? • चुनाव घोषणा का दिन (6 October): 7.42 करोड़ वोटर • वोटिंग के बाद (11 November): 7.45 करोड़ वोटर खुद ज्ञानेश जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि बिहार में कुल वोटर 7.42 करोड़ हैं. फिर वोटिंग के बाद 7.45 करोड़ वोटर कैसे हो गए?’
बिहार चुनाव में 3 लाख वोटर कैसे बढ़े?
— Ranvijay Singh (@ranvijaylive) November 14, 2025
• चुनाव घोषणा का दिन (6 October): 7.42 करोड़ वोटर
• वोटिंग के बाद (11 November): 7.45 करोड़ वोटर
खुद ज्ञानेश जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि बिहार में कुल वोटर 7.42 करोड़ हैं.
फिर वोटिंग के बाद 7.45 करोड़ वोटर कैसे हो गए? pic.twitter.com/z9MH992N7W
सुभाष कुमार शर्मा ने लिखा, ‘चुनाव आयोग का बिहार में महा घपला? कुल मतदाता 7.42 करोड़, मतदान किया 7.45 करोड़ ने, और कहते हैं ये सिर्फ 66.91% वोटिंग है, तो क्या बिहार में 12 करोड़ मतदाता हैं?’
चुनाव आयोग का बिहार में महा घपला?
— subhash Kumar sharma, (@sharmass27) November 13, 2025
कुल मतदाता 7.42 करोड़, मतदान किया 7.45 करोड़ ने, और कहते हैं ये सिर्फ 66.91% वोटिंग है, तो क्या बिहार में 12 करोड़ मतदाता हैं? #VoteChori #Bihar #biharelection2025 pic.twitter.com/3VIPDFXNYM
एके स्टालिन ने लिखा, ‘6 अक्टूबर को ज्ञानेश जी बोले थे— 7.42 करोड़ वोटर। 11 नवंबर को वोटिंग के बाद आंकड़ा हो गया— 7.45 करोड़। चुनाव के बाद 3 लाख वोटर अचानक कैसे बढ़ गए?’
6 अक्टूबर को ज्ञानेश जी बोले थे— 7.42 करोड़ वोटर।
— A.K. Stalin (@iamAKstalin) November 14, 2025
11 नवंबर को वोटिंग के बाद आंकड़ा हो गया— 7.45 करोड़।
चुनाव के बाद 3 लाख वोटर अचानक कैसे बढ़ गए? pic.twitter.com/noHOiPHIkM
कारी सोहेब ने लिखा, ‘चुनाव आयोग की धांधली खुद उसके डाटा से मिल रहा है, SIR के बाद इलेक्शन कमीशन ने बिहार में वोटर का फाइनल आंकड़ा 7.42 करोड़ जारी किया था, जबकि 11 नवंबर को वोटिंग के बाद इलेक्शन कमीशन ने बताया के टोटल 7.45, 26,858 With 66.91% वोट गिरे , ऐसा कैसे हो सकता है ? 66.91% वोट तो तब मन जाता जब 7.42 में से 4.9 करोड़ के करीब मतदाता वोट डालते। कमिशन ने जो डेटा जारी किया है उसको आप भी देखें।’
@ECISVEEP की धांधली खुद उसके डाटा से मिल रहा है, SIR के बाद इलेक्शन कमीशन ने बिहार में वोटर का फाइनल आंकड़ा 7.42 करोड़ जारी किया था, जबकि 11 नवंबर को वोटिंग के बाद इलेक्शन कमीशन ने बताया के टोटल 7.45, 26,858 With 66.91% वोट गिरे , ऐसा कैसे हो सकता है ?
— Qari Sohaib (@qarisohaibrjd) November 14, 2025
66.91% वोट तो तब मन जाता… pic.twitter.com/7eN2W7Y5Jk
अनुमा ने लिखा, ‘Election Commission of India (ECI) की वेबसाइट पर पहले SIR के बाद 7.42 करोड़ मतदाताओं का आंकड़ा दिया गया था, जिसे 12 नवेंबर की प्रेस विज्ञप्ति में बढ़ाकर 7.45 करोड़ कर दिया गया है. यानि अपने आप 2 लाख से अधिक वोटर्स बढ़ा दिए गए हैं. इस वैध प्रश्न की चर्चा करने पर उन्मादी एंकर सुनने को तैयार नहीं हैं और बात को दूसरी दिशा में ले जा रहे हैं. ECI की अधिकृत वेबसाइट पर मौजूद यह एनॉमली वोटिंग की काउंटिंग की शुरुआत में ही लोगों को मालूम होनी चाहिए. चैनल के सभी एंकर उन्माद में हैं और ECI की SIR के बाद की जानकारी और 12 नवंबर की प्रेस विज्ञप्ति के बीच की अधिकृत गड़बड़ पर ध्यान ही नहीं दे रहे’
Election Commission of India (ECI) की वेबसाइट पर पहले SIR के बाद 7.42 करोड़ मतदाताओं का आंकड़ा दिया गया था, जिसे 12 नवेंबर की प्रेस विज्ञप्ति में बढ़ाकर 7.45 करोड़ कर दिया गया है. यानि अपने आप 2 लाख से अधिक वोटर्स बढ़ा दिए गए हैं.
— Wg Cdr Anuma Acharya (Retd) (@AnumaVidisha) November 14, 2025
इस वैध प्रश्न की चर्चा करने पर उन्मादी एंकर… pic.twitter.com/6aVN0daMo8
कंचन यादव ने लिखा, ‘चुनाव आयोग, चुनाव आयोग नहीं बल्कि चोर आयोग बन चुका है। फिर भी बिल्कुल चुप रहिए, अदालत ने कह दिया है कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है। जैसे कि जनता को पहले से पता ही नहीं था।’
चुनाव आयोग, चुनाव आयोग नहीं बल्कि चोर आयोग बन चुका है।
— Kanchana Yadav (@Kanchanyadav000) November 14, 2025
फिर भी बिल्कुल चुप रहिए, अदालत ने कह दिया है कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है।
जैसे कि जनता को पहले से पता ही नहीं था। https://t.co/3p4w6Y2MTv
इसके अलावा नेशनल दस्तक, रितु चौधरी, कृष्णकान्त, तनवीर रंगरेज, ओम सुधा ने भी यही दावा किया है।
क्या है हकीकत? पड़ताल में हमे इस सम्बन्ध में 30 सितम्बर को आजतक और लल्लनटॉप की वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव आयोग ने बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की प्रक्रिया पूरी होने के बाद चुनाव आयोग फाइनल वोटर लिस्ट जारी की। राज्य में कुल 7 करोड़ 42 लाख वोटर्स हैं।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि चुनाव आयोग के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति अब भी अपना नाम वोटर लिस्ट में शामिल कराना चाहता है तो वह फॉर्म 6 भरकर आवेदन कर सकता है। आवेदन चुनाव के लिए नॉमिनेशन की अंतिम तारीख से दस दिन पहले तक जमा किया जाना चाहिए।
हमे इससे सम्बंधित 30 सितम्बर को प्रकाशित चुनाव आयोग की प्रेस रिलीज भी मिली। यहाँ भी पॉइंट नम्बर 6 पर स्पष्ट बताया गया है कि अगर कोई पात्र व्यक्ति अभी भी मतदाता सूची में अपना नाम जुड़वाना चाहता है तो वह ऐसा कर सकता है। इसके लिए उसे नामांकन की आखिरी तारीख से दस दिन पहले तक आवेदन जमा करने की अनुमति होती है।

साथ ही, मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने 5 अक्टूबर को पटना में अपनी प्रेस कांफ्रेस(35:06 Min) में दोहराया कि 1 सितंबर के बाद नॉमिनेशन के लास्ट दिन से 10 दिन पहले तक अभी भी समय मौजूद है। अगर किसी भी व्यक्ति को, किसी भी राजनीतिक दल को यह लगता है कि कोई योग्य मतदाता छूट गया है या किसी अयोग्य मतदाता का नाम मतदाता सूची में है तो वह अपने दावे और आपत्ति जारी कर सकता है और उनके द्वारा मिले हुए दावे और आपत्तियां ईआरओ लेवल पर उनका निस्तारण किया जाएगा और नॉमिनेशन का प्रोसेस खत्म होने के बाद चुनाव खत्म होने तक फिर वह सूची फ्रीज़ हो जाती है।
इसके अलावा भारत निर्वाचन आयोग ने 6 अक्टूबर 2025 को बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों का ऐलान किया था। इस दौरान भी मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा(2:36 Min) था कि 1 अगस्त से लेकर 1 सितंबर तक क्लेम्स एंड ऑब्जेक्शंस का पीरियड रहा। जिसमें जिसको भी चाहे वह मतदाता हो, चाहे वह राजनीतिक दल हो, चाहे उनके बूथ लेवल एजेंट्स हो, उनको क्लेम्स एंड ऑब्जेक्शंस देने का भरपूर समय दिया गया और उसके बाद पात्रता का परीक्षण हुआ और 30 सितंबर को फाइनल मतदाता सूची प्रकाशित कर दी गई। फाइनल मतदाता सूची भी सभी राजनीतिक दलों को दी जा चुकी है और अभी भी अगर उसमें कोई भी इलेक्ट्रोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर से कोई गलती रह गई हो तो उसके ऊपर जिला अधिकारी के पास अपील फाइल की जा सकती है और साथ ही साथ किसी का नाम अगर छूट गया हो तो वह नॉमिनेशन के 10 दिन पहले तक जुड़वा सकता है। नॉमिनेशन समाप्त होने पर जो भी मतदाता सूची फाइनल होगी उस पर चुनाव होंगे और उसके उपरांत कोई भी नाम जोड़ा नहीं जा सकता।
नामांकन की तारीख जानने ने लिए हमे बीबीसी की वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट के मुताबिक बिहार चुनाव के किये नामांकन की अंतिम तारीख़ें पहले और दूसरे चरण के लिए 17 और 20 अक्तूबर और नाम वापसी की तिथियां 20 और 23 अक्तूबर तय की गई हैं।
जाहिर है कि 30 सितम्बर को SIR की अंतिम सूची प्रकाशित होने के बाद भी मतदाताओं के बढ़ने की संख्या नामांकन से 10 दिन पहले तक जारी थी। बाद में यही संख्या 7.42 करोड़ से 7.45 करोड़ मतदाता पहुँच गयी।
क्या बिहार में 7 करोड़ 45 लाख लोगों ने वोट किया?
इस सम्बन्ध में चुनाव आयोग ने अपनी प्रेस रिलीज में बताया है कि बिहार में 2025 विधानसभा चुनाव में 66.91% मतदान हुआ, जो 1951 के पहले बिहार चुनाव के बाद सबसे अधिक है। यह राज्य के चुनावी इतिहास का सबसे ऊँचा मतदान प्रतिशत है।

चुनाव आयोग के प्रेस नोट के अनुसार बिहार चुनाव दो चरणों में संपन्न हुए। पहले चरण में कुल 3.75 करोड़ लोग मतदान के लिए पात्र थे। इस चरण में 65.08 प्रतिशत मतदान हुआ। महिलाओं की भागीदारी 69.04 प्रतिशत रही जबकि पुरुषों का मतदान प्रतिशत 61.56 था। दूसरे चरण में मतदान और भी अधिक रहा। इस चरण में 68.76 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। इस चरण में कुल 3.70 करोड़ लोग मतदान के पात्र थे।
इन दोनों चरणों के पात्र मतदाताओं को जोड़ने पर कुल संख्या 7,45,26,858 बनती है। यह संख्या उन लोगों की है जिन्हें मतदान का अधिकार था, न कि उन लोगों की जिन्होंने वास्तव में वोट डाला। चुनाव आयोग के अनुसार दोनों चरणों को मिलाकर कुल मतदान प्रतिशत 66.91 रहा। यदि इस प्रतिशत को कुल पात्र मतदाताओं पर लागू किया जाए तो लगभग 4.99 करोड़ लोगों ने वास्तविक रूप से वोट डाला।

सोशल मीडिया पर कई जगह इस संख्या को गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है, जिससे यह भ्रम फैलता है कि पूरे 7.45 करोड़ लोगों ने वोट डाल दिए। जबकि आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि यह सिर्फ कुल मतदाताओं की संख्या थी। इस तरह यह दावा पूरी तरह भ्रामक है कि बिहार में 7.45 करोड़ लोगों ने मतदान किया।

