सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल है। इस वीडियो में AI वोयस ओवर की मदद से बताया गया है कि साल 1962 में भारत-चीन युद्ध में 13 कुमाऊं रेजीमेंट के मेजर शैतान सिंह भाटी ने अपने साथियों के साथ चीनी सैनिकों को मार गिराया था। 1963 में रेजांग ला में शैतान सिंह भाटी का एक मेमोरियल बनाया गया लेकिन साल 2023 के अंत में इसे तोड़ दिया गया क्योंकि यह बफर जोन में आ गया। राष्ट्रवाद और सेना के सम्मान करने की बात करने वाली बीजेपी सरकार इस मामले में खामोश रही।
एक एक्स यूजर गहडबाल साहब ने लिखा, ‘सभी देशवासी से अनुरोध- परमवीर चक्र विजेता, देश के सिपाही की यह दास्तां अवश्य सुनें मेजर शैतान सिंह जी भाटी, भारत के सैन्य इतिहास में शौर्य, नेतृत्व और बलिदान के प्रतिमूर्ति हैं। 1962 के भारत-चीन युद्ध में रेज़ांग ला में उनका अद्वितीय साहस, जहां उन्होंने असंभव बाधाओं के खिलाफ लड़ने के लिए अपने सैनिकों का नेतृत्व किया। हालांकि! उनका स्मारक जो उस बलिदान के प्रतीक के रूप में खड़ा था, उसको भारत और चीन के बीच ‘बफर ज़ोन’ समझौते के हिस्से के रूप में तोड़ दिया गया था। एक निर्णय जो कई लोग महसूस करते हैं कि हमारे युद्ध नायकों का अनादर करता है और हमारी सरकार की चुप्पी बहुत बोलती है। दक्षिणपंथी रचनाकारों, राजनेताओं, मीडिया और हिंदू राष्ट्रवादी समूहों को, जो अक्सर देशभक्ति और सम्मान का नारा लगाते हैं, शर्म आनी चाहिए। ऐसे स्मारकों को हटाना सिर्फ इतिहास की हानि नहीं बल्कि हमारे सैनिकों की गरिमा पर तमाचा है। मेजर शैतान सिंह भाटी को उनकी वीरता के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। उनकी वीरता कुछ ऐसी नहीं है जिसे हमें इतिहास में धुंधला होने देना चाहिए – हमें उनकी स्मृति का सम्मान करने के लिए अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए।’
सभी देशवासी से अनुरोध- परमवीर चक्र विजेता, देश के सिपाही की यह दास्तां अवश्य सुनें 🇮🇳🥲
— गहड़वाल साहब (@The_Gaharwar) January 2, 2025
मेजर शैतान सिंह जी भाटी, भारत के सैन्य इतिहास में शौर्य, नेतृत्व और बलिदान के प्रतिमूर्ति हैं। 1962 के भारत-चीन युद्ध में रेज़ांग ला में उनका अद्वितीय साहस, जहां उन्होंने असंभव बाधाओं के… pic.twitter.com/Shyo9HBAqB
महेंद्र सिंह ने लिखा, ‘मेजर शैतान सिंह भाटी की सुनियोजित मिटाई गई स्मृति और क्षद्म राष्ट्रवादी पार्टी का विश्वासघात।’
मेजर शैतान सिंह भाटी की सुनियोजित मिटाई गई स्मृति और क्षद्म राष्ट्रवादी पार्टी का विश्वासघात।#MumbaiAttack #Terroristattack #mejarsaitansinghbhati@PMOIndia @HMOIndia @adgpi @RajnathSingh_in pic.twitter.com/9rOnJkjB9i
— MAHENDRA SINGH (@Rathoreraj7773) January 2, 2025
इसके अलावा प्रतीक सिंह, लोकेन्द्र सिंह, Rajanya, महेंद्र सिंह ने भी इस वीडियो को पोस्ट किया है।
कैसे शुरू हुआ विवाद: भारत-चीन युद्ध के दौरान 18 नवंबर, 1962 के दिन लद्दाख की चुशूल घाटी में 13 कुमाऊं रेजीमेंट के परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह भाटी और उनके 120 जांबाजों ने चीन के करीब 1300 सैनिकों को मार गिराया था। चुशुल घाटी में प्रवेश का रास्ता रेजांगला भारतीय सैनिकों के इस बहादुरी और बलिदान के जज्बे का गवाह बना था, इसे रेजांग ला युद्ध के नाम से जाना जाता है।
परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह की याद में लद्दाख के रेजांग ला में स्थापित मेमोरियल को हटाने का मुद्दा 25 दिसंबर 2023 को सामने आया था। लेह के चुशुल विधानसभा क्षेत्र से आने वाले निर्दलीय काउंसलर कोनचोक स्टैंज़िन ने एक्स पर एक पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, ‘रेजांग-ला का यह ऐतिहासिक स्थल 13 कुमाऊं की C कंपनी के साहसी सैनिकों के सम्मान में अत्यधिक महत्व रखता है। अफसोस की बात है कि इसे पीछे हटने की प्रक्रिया के दौरान नष्ट करना पड़ा क्योंकि यह बफर जोन में आता है।’
This landmark at Rezang-La held immense significance, honoring the courageous soldiers of "C" Coy 13 Kumaon. Sadly, it had to be dismantled during the disengagement process as it falls in the buffer zone. Let's remember and honor their bravery! 🙏 #RezangLa #Kumaon #BraveSoldiers pic.twitter.com/UILzTeNYsi
— Konchok Stanzin (@kstanzinladakh) December 25, 2023
क्या है हकीकत? शैतान सिंह भाटी के स्मारक को तोड़ने के दावों को लेकर हमे दैनिक भास्कर की ग्राउंड रिपोर्ट मिली, इस रिपोर्ट के मुताबिक1962 में भारत-चाइना युद्ध के दौरान 13 कुमाऊं की चार्ली कंपनी के शहीद हुए 114 वीर भारतीय जवानों की शहादत की याद को ताजा रखने के लिए अगस्त 1963 में युद्ध स्मारक बनवाया गया। साल 2021 में 114 वीर जवानों के सम्मान में 114 दिनों में ही इसका नवीनीकरण किया गया था। ये स्मारक ठीक उसी स्थान पर है जहां युद्ध के दौरान 13 कुमाऊं का बटालियन मुख्यालय मौजूद था।
दैनिक भास्कर से बातचीत में कार्यकारी सरपंच नमग्याल फुंचोक ने बताया कि शैतानसिंह का एग्जेक्ट जो मेमोरियल है वो रेजांगला वैली में रोड पर है। ये 1962 की वार के बाद बनाया गया था। वहां ये पहले छोटा सा था जिसे साल 2020 के आसपास इसका रेनोवेशन किया गया। इसके बाद अब ये काफी बड़ा और भव्य बन गया है।
वहीं चुशुल विधानसभा क्षेत्र के निर्दलीय काउंसलर कोंचोक स्टैंज़िन के जिस पोस्ट के बाद विवाद सामने आया था, उन्होंने दैनिक भास्कर को बताया, ‘मैंने जो पोस्ट किया था वो उस मेमोरियल को लेकर था, जो डिसइंगेजमेंट प्रोसेस में वहां बताया गया, जहां मेजर शैतानसिंह का शव मिला था। इस डिसइंगेजमेंट प्रोसेस में भारत और चाइना दोनों तरफ ही कुछ स्ट्रक्चर हटाए गए हैं। जिस मेमोरियल की बात मैं कर रहा हूं वो साल 2020 में बनाया गया था।’
उन्होंने आगे बताया, ‘अगर आप रेजांगला मेमोरियल गए होंगे तो देखा होगा कि वहां पर उनकी फोटो वहां गैलेरी में भी मौजूद है। जहां रेजांगला वार के शहीदों का अंतिम संस्कार हुआ वहां बहुत बड़ा रेजांगला वार मेमोरियल भारत सरकार और यूटी एडमिनिस्ट्रेशन ने मिलकर रिनोवेट करवाया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, तत्कालीन सीडीएस विपिन रावत और चीफ और आर्मी व सेना के सभी आला अधिकारी आए थे। तब इनोग्रेशन हुआ था। वैली में ये मेमोरियल 1963 से बना हुआ है और अब इसे काफी भव्य बना दिया गया है। मैंने जो पोस्ट किया है वो फैक्ट है और वेरिफाइड है लेकिन अगर लोगों ने गलत अर्थ में ले लिया तो ये उनकी प्रॉब्लम है।’
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट में साल 1963 में बनाये गए मेमोरियल की तस्वीरें भी हैं। पराक्रम पटल के परमवीर चक्र विजेता शहीद मेजर शैतान सिंह सहित सभी 113 वीर शहीदों के नाम सुनहरे अक्षरों में लिखे हुए हैं। गैलरी में आगे बढे तो वहां हमें 1962 के युद्ध में मेजर शैतान सिंह और उनके साथियों द्वारा इस्तेमाल किये गए तमाम हथियार, गोले-बारूद दिखाए गए। इतना ही नहीं चीनी सैनिकों से छीने गए हथियार भी मौजूद थे। यहां उस समय की कई फोटो और मेजर शैतान सिंह द्वारा कोडवर्ड्स में भेजे गए लिखे हुए संदेश भी मौजूद थे।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक मेमोरियल की गैलेरी में डेमो पहाड़ी श्रृंखला व मूर्तियों के सहारे सभी सैन्य पोस्टों और रेजांगला की लड़ाई को दर्शाया हुआ था। यहां रेजांगला वार मेमोरियल की 1963 से लेकर मौजूदा समय तक की कई अलग-अलग तस्वीरें भी मौजूद थी। मेमोरियल के राइट हेंड साइड की तरफ बने शैतान सिंह सभागार (ऑडियो विजुअल) हाॅल की तरफ पहुंचे। जहां मुख्य दरवाजे के ऊपर 13 कुमाऊं का लोगो लगा हुआ था।
अंदर घुसते ही मेजर शैतान सिंह की प्रतिमा लगी हुई थी। वहीं इसके ठीक नीचे उनके परमवीर चक्र से जुड़ा पूरा साइटेशन लिखा हुआ था। वहीं इस प्रतिमा के दोनों ओर की दीवारों पर उनके साथी वीर जवानों की फोटो, पदनाम और गांव के पते के साथ पूरा साइटेशन लिखा हुआ था। यहां दीवारों पर उस समय के कई अखबारों की कटिंग भी नजर आई, जो 1962 के युद्ध की कहानी बयां कर रही थीं। इसके बाद हमें शैतानसिंह सभागार में बने एक छोटे थिएटर में रेजांग ला की लड़ाई पर बनाई गई वीडियो फिल्म दिखाई गई। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन ने कैलाश रेंज की तरफ से अपनी आवाज दी है और मेजर शैतान सिंह और उनके शहीद साथी 113 वीर जवानों के शौर्य की पूरी गाथा का बखान किया है। वहीं इसी फिल्म में स्वर्गीय लता मंगेशकर द्वारा सभी रेजांगला बैटल के शहीदों के सम्मान में गाये गए ‘ए मेरे वतन के लोगों’ गीत के लिए उनका विशेष धन्यवाद जताया गया है। इसी मेमोरियल के ठीक सामने महज कुछ ही दूरी पर केलाश रेंज की पहाड़ियां हैं। इनमें काले रंग की जो सबसे उंची पहाड़ी है वो मुकपरी टॉप है। वहीं इसकी ढलान में रेजांग ला और रचिन ला है। इसी ढलान में रेजांग ला पर ही महान लड़ाई लड़ी गई थी। फिलहाल वो जगह बफर जोन के तहत नो मेन लेंड्स जोन है। ऐसे में भारत या चाइना दोनों ही देश का कोई आदमी वहां नहीं जा सकता है।
इसके बाद हमने लद्दाख में दैनिक भास्कर के लिए इस ग्राउंड स्टोरी को कवर करने वाले पत्रकार मनीष व्यास से संपर्क किया। मनीष ने हमे बताया शैतान सिंह का मुख्य मेमोरियल साल 1963 में बनाया गया था। कागजों में इसे ही मेमोरियल माना जाता है। यह आज भी मौजूद है और इसे अब भव्य बना दिया गया जबकि जिस स्मारक को हटाने को लेकर विवाद हुआ, वो साल 2020 में बना था। पहाड़ी पर मेजर का शव मिला था और इसीलिए सेना ने अपनी यादगार के लिए बनाया था। वहां कोई पर्यटन नहीं था, वहां सिर्फ सेना जाती थी। चूँकि भारत और चीन के बीच समझौता हुआ तो दोनों देशों की सेना ने अपने पक्के निर्माण हटा दिए थे।
अपनी पड़ताल में हमे लद्दाख सेक्टर में रिनोवेट कराए गए रेजांग ला वॉर मेमोरियल की रिपोर्ट भी मिली, इस रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 1963 में Rezang La War Memorial छोटा था और अब इसका विस्तार किया गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने युद्ध स्मारक का उद्घाटन किया था।
दावा | मेजर शैतान सिंह भाटी का 1963 में बना स्मारक तोड़ दिया गया। |
हकीकत | रेजांगला में युद्ध स्मारक 1963 में बनवाया गया और यह आज भी उसी जगह मौजूद है। इसे अब भव्य बनाकर मेमोरियल बना दिया गया है। मेजर शैतानसिंह का शव जहाँ मिला था, वहां साल 2020 में एक मेमोरियल बनाया गया था लेकिन चीन से झडप के बाद इस इलाके को बफर जोन घोषित कर दिया गया। इस वजह से मेमोरियल हटा दिया गया। |