सोशल मीडिया में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के नाम पर एक पोस्टकार्ड वायरल है। समाचार संस्थान प्रभात खबर के इस पोस्टकार्ड के साथ लोग दावा कर रहे हैं कि मोहन भागवत ने भगवान परशुराम को लेकर कहा कि वो एक बढ़ई समाज के लकड़हारे थे, वो हमेशा अपने पास फरसा कुल्हाड़ी रखते थे। वो कोई ब्राह्मण पुत्र नहीं थे।
स्वामी आनन्द स्वरूप ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘इस अकेले व्यक्ति ने संपूर्ण ब्राह्मण समाज को नष्ट करने की सुपारी ले ली है। पता नहीं कब ब्राह्मणों को समझ आएगा जब कुल, गौत्र और परंपरा नष्ट हो जाएगी, तब सनातन धर्म, ईसा और मूसा का धर्म सब एक समान हो जाएगा यही लक्ष्य है सर संघ चालक का।

इसके अलावा नीशू आजाद, देवकी नंदन मिश्रा, बृजेश मिश्र, अशोक सिंह चौहान, शशांक, मौर्यवंश की बेटी, सुनीता ने भी इसे पोस्ट किया है।
क्या है हकीकत? पड़ताल में हमने वायरल पोस्टकार्ड से सम्बंधित मोहन भागवत के बयान के कीईवर्ड्स को गूगल सर्च किया लेकिन हमे ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली। जिससे इस बात की पुष्टि हो कि मोहन भागवत ने भगवान परशुराम को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया है।
इसके बाद हमने प्रभात खबर के सोशल मीडिया अकाउन्ट्स को खंगाला तो हमे असल पोस्टकार्ड प्रभात खबर के फेसबुक अकाउंट पर मिला। इस पोस्टकार्ड के मुताबिक RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि यह भारत के लिए जीने का समय है, मरने का नहीं।
हमे इस सम्बन्ध में एनबीटी की वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने यह बयान विनायक दामोदर सावरकर के गीत ‘सागर प्राण तलमाला’ की 115वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में दिया था।
#WATCH श्री विजयपुरम(अंडमान और निकोबार): राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने सावरकर द्वारा रचित कविता ‘सागरा प्राण तळमळला’ के 115 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, "हमारे अपने देश में हमारे अपने देश की ही भक्ति होना चाहिए। यहां 'तेरे… pic.twitter.com/6hzWNi90OQ
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 12, 2025
मोहन भागवत ने कहा, ‘यह भारत के लिए जीने का समय है, न कि इसके लिए मरने का।’ हमारे देश में हमारे अपने देश की ही भक्ति होनी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि देश में ऐसी भाषा का कोई स्थान नहीं है जो देश को तोड़ने की बात करे, जैसे कि ‘यहां तेरे टुकड़े होंगे।
| दावा | मोहन भागवत ने भगवान परशुराम को लेकर कहा कि वो एक बढ़ई समाज के लकड़हारे थे, वो हमेशा अपने पास फरसा कुल्हाड़ी रखते थे। वो कोई ब्राह्मण पुत्र नहीं थे। |
| हकीकत | मोहन भागवत ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया। प्रभात खबर का पोस्टकार्ड एडिटेड किया गया है। |

