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23 Dec 2024, Mon

महाराष्ट्र चुनाव में ईवीएम हैकर के वायरल वीडियो की सच्चाई यह है

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। बीजेपी, शिंदे गुट और अजित पवार की गठबंधन महायुति ने राज्य की 288 में से 235 सीटों पर जीत हासिल की है। अकेले भाजपा ने 132 सीटें जीतकर राजनीतिक विश्लेषकों को भी चौंका दिया है। इस बीच सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल है, इस वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि महाराष्ट्र में प्रति सीट के हिसाब से डील सेट हुई थी, पत्रकारों ने ईवीएम हैकर का स्टिंग ऑपरेशन किया है।

हंसराज मीणा ने एक्स पर वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, ‘ईवीएम हैकिंग को लेकर एक नया और चौंकाने वाला सबूत सामने आया है – ईवीएम हैकर्स की लाईव बातचीत! अब क्या कहेंगे वो जो बार-बार कहते थे कि ईवीएम हैक नहीं हो सकती? यह घटनाक्रम लोकतंत्र की सच्चाई पर गंभीर सवाल खड़ा करता है, और चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर चिंता का विषय बनता है।’

शैख जावेद ने लिखा, ‘महाराष्ट्र में हैक हुई EVM ? 53 करोड़ प्रति सीट तय हुई डील.. ? Maharashtra : EVM हैक करने का एक स्टिंग ऑपरेशन सामने आया है जिसमे हैक्कर ने किया बड़ा दावा…!’

मूर्ति नैन ने लिखा, ‘#EVM हैक करने का एक स्टिंग ऑपरेशन आया सामने जिसमें हैकर को #महाराष्ट्र_चुनाव में 70 से ज़्यादा सीटें देने की सुपारी दी जा रही है। हैकर कह रहा है कि उसके पास 288 सीटों का एक्सिस है, 63 सीटों पर सौदा हो जाता है 52 से 53 करोड रुपए हर सीट पर रेट तक तय हो जाता है’

शम्भू पाटवा ने लिखा, ‘महाराष्ट्र में ईवीएम हैकर्स की बातचीत का लाईव वीडियो ! जो लोग कहते हैं कि ईवीएम‌ हैक नहीं होता वो इस विडियो को देखे। महाराष्ट्र में ईवीएम हैक करने वाले हैकर ने बताई भाजपा की बंपर जीत का राज।’

सपा नेता आईपी सिंह ने लिखा, ‘यूट्यूब पर इनकी गम्भीर बातों की कितनी सत्यता है यह जांच का बड़ा विषय है। माननीय सुप्रीम कोर्ट, CBI, ED इसकी गम्भीरता को देखते हुए उच्च स्तरीय जांच करें जिससे दूध का दूध और पानी का पानी साफ हो सके। भारत सरकार का गृह मंत्रालय इसकी जांच परख करके देश के सामने अपनी स्पष्ट करे।’

मुंबई कांग्रेस ने लिखा, ‘Peger हैक हो सकता है. वॉकी टॉकी हैक हो सकती है. Mobile Phone हैक हो सकता है. Computer हैक हो सकता है.’

इसके अलावा पुनीत कुमार सिंह, रविश कुमार पैरोडी, अनुमा आचार्य ने भी इसी दावे के साथ वीडियो पोस्ट किया है

क्या है हकीकत? पड़ताल में हमे इस वीडियो से सम्बंधित रिपोर्ट ‘आज तक’ की वेबसाइट पर मिली। 14 नवम्बर को प्रकाशित इस इस रिपोर्ट में बताया गया है कि महाराष्ट्र चुनाव से पहले सैयद सुजा नाम के एक शख्स ने महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के एक वरिष्ठ सांसद से संपर्क किया। सैयद सुजा बताया कि वो अमेरिकी रक्षा विभाग में कॉन्ट्रेक्ट पर काम करता है और अमेरिकी तकनीकी से ईवीएम को हैक कर सकता है। इसके बाद महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के एक वरिष्ठ सांसद ने आज तक से सम्पर्क किया। आज तक की टीम ने सांसद का निजी सहायक बनकर शुजा से बातचीत की। सोशल मीडिया में वायरल वीडियो इसी बातचीत का है।

आज की रिपोर्ट में बताया गया है कि सैयद सुजा ने इससे पहले भी ईवीएम को हैक करने का दावा किया है। उसने 21 जनवरी 2019 को लंदन में भारतीय पत्रकार संघ (आईजेए) द्वारा आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जहां उसने वीडियो कॉल के ज़रिए कई विस्फोटक दावे किए। शुजा ने आरोप लगाया कि उसने 2009 से 2014 तक इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) के साथ काम किया था और 2014 के लोकसभा चुनावों में इस्तेमाल की गई ईवीएम को विकसित करने वाली टीम का हिस्सा था। तब उसने कहा था कि इन मशीनों के साथ स्पेसिफिक फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल करके छेड़छाड़ की जा सकती है, जिससे संभावित रूप से चुनाव परिणामों में हेरफेर हो सकता है।

साल 2019 में भी किया था हैकिंग का दावा
इस सम्बन्ध में 21 जनवरी 2019 को टाइम्स ऑफ इंडिया की वेबसाईट पर प्रकाशित रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट से इस बात की पुष्टि होती है कि सैयद सुजा ने महाराष्ट्र चुनाव 2024 की तरह ही साल 2019 में भी ईवीएम हैक का दावा किया था। सैयद सुजा ने तब बताया कि भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की सड़क हादसे में मौत नहीं हुई थी, बल्कि उनकी हत्या की गई क्योंकि उन्हें 2014 के आम चुनावों में ईवीएम हैकिंग के बारे में पता था। शुजा ने दावा किया कि उन्होंने 2009-2014 तक ECIL के लिए काम किया। शुजा ने कहा कि वह उस टीम का हिस्सा थे जिसने 2014 के चुनावों में इस्तेमाल की गई ईवीएम को डिजाइन किया था। 2014 में भारत से भाग गया था क्योंकि अपनी टीम के कुछ सदस्यों की हत्या के बाद उसे देश में ख़तरा महसूस हुआ था।

वहीं 22 जनवरी 2019 को इंडिया टुडे की वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक सैयद सुजा की प्रेस कांफ्रेस के बाद EVM बनाने वाली कंपनी इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक संजय चौबे ने उपचुनाव आयुक्त सुदीप जैन को लिखे पत्र में कहा कि कंपनी के अभिलेखों की जांच की गई है और पाया गया है कि सैयद शुजा न तो ईसीआईएल के नियमित कर्मचारी के रूप में उसके रोल में थे और न ही वह 2009 से 2014 के बीच ईसीआईएल में निर्मित ईवीएम के डिजाइन और विकास से किसी भी तरह से जुड़े थे।

इस मामले में 22 जनवरी 2019 को आज तक पर प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने कहा कि सभी लोगों की तरह मैं भी उस पीसी को लेकर उत्सुक था, लेकिन हैकर अपने किसी भी दावे को साबित नहीं कर सका। कुरैशी ने कहा कि ईवीएम बनाने में एक पूरी टेक्निकल टीम थी, जिसमें आईआईटी के पांच प्रोफेसर भी शामिल थे। ऐसे में ये कहना कि ईवीएम को हैक किया जा सकता है, ये पूरी तरह गलत है। साथ ही इस मामले में दिल्ली पुलिस ने सैयद सुजा के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की थी।

सैयद सुजा के दावों को लेकर न्यूजलौंड्री ने विस्तार से पड़ताल की थी। 29 जनवरी 2019 को प्रकाशित इस रिपोर्ट के मुताबिक शुजा का दावा किया कि 13 मई, 2014 की सुबह हैदराबाद के उपनगर उप्पल में पूर्व भाजपा विधायक किशन रेड्डी के साले काकी रेड्डी के गेस्टहाउस में टीम के 11 सदस्यों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। शुजा का कहना है कि गेस्टहाउस उप्पल में लिटिल फ्लावर जूनियर कॉलेज के पास था। लेकिन इन इलाकों में और आस-पास की सभी गलियों और इमारतों की जांच की और कई निवासियों से भी बात की। सभी ने किसी भी गेस्टहाउस के अस्तित्व से इनकार किया।

सैयद शुजा का दावा है कि उन्होंने जवाहरलाल नेहरू प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हैदराबाद (जेएनटीयूएच) से गणित में पीएचडी माइनर्स और आरएफ संचार में एमई और शादान कॉलेज, हैदराबाद से बी.टेक की डिग्री हासिल की है। हालाँकि जेएनटीयूएच के मूल्यांकन निदेशक डॉ. वी. कामाक्षी प्रसाद ने सैयद शुजा या हैदर अहमद सैयद(यह नाम शुजा के फॉर्म I-94 में उल्लेखित है, जिसका उपयोग अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा द्वारा किया जाता है) और मोहम्मद शुजाउद्दीन अहमद नामों को लेकर बताया कि इस नाम का कोई छात्र नहीं है जिसने गणित में पीएचडी या किसी अन्य स्ट्रीम में पीएचडी की हो। हम केवल एम.टेक डिग्री प्रदान करते हैं और एमई में पाठ्यक्रम प्रदान नहीं करते हैं। मैंने एम.टेक छात्रों के रिकॉर्ड की जाँच की और उन नामों का कोई भी छात्र नहीं मिला। प्रसाद ने यह भी कहा कि जेएनटीयूएच रेडियो फ्रीक्वेंसी संचार में कोई पाठ्यक्रम नहीं चलाता है। प्रसाद ने जेएनटीयूएच से संबद्ध शादान कॉलेज के बी.टेक छात्रों के रिकॉर्ड की जांच की। सैयद शुजा से मिलते-जुलते दो नाम थे। पहला नाम मोहम्मद शुजाउद्दीन था लेकिन उसके पिता का नाम सैयद शुजा के पिता के नाम से मेल नहीं खाता था। दूसरी का नाम शुजा था लेकिन वह शादान महिला कॉलेज की छात्रा थी।

शुजा का कहना है कि उसके पिता का नाम यूसुफ 2006 तक BHEL में सहायक इंजीनियर के पद पर काम करते थे। लेकिन बीएचईएल के रामचंद्रपुरम और बालानगर दोनों प्रतिष्ठानों ने कहा कि इस नाम का कोई भी व्यक्ति वहाँ काम नहीं करता था।

सैयद शुजा ने यह भी कहा कि 4 मई 2014 को किशनबाग दंगों में घर में आग लगने से उसके माता पिता मर गए। हालाँकि जांच में पाया गया कि पांच घरों में आग लगी थी लेकिन आगजनी में किसी की मौत नहीं हुई। पुलिस की गोलीबारी में जरुर तीन लोग मारे गए लेकिन इन तीनों में से कोई भी शुजा के माता-पिता नहीं हैं। इसी तरह शुजा के कई दावे गलत पाए गए।

दावामहाराष्ट्र में ईवीएम हैकर से प्रति सीट के हिसाब से डील सेट हुई थी।
हकीकतईवीएम हैकर सैयद सुजा के दावों में कोई सच्चाई नहीं है।

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