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5 Jan 2025, Sun

क्या लद्दाख में मेजर शैतान सिंह भाटी का स्मारक तोड़ा गया?

लद्दाख में 26 दिसंबर 2024 को 14300 फीट की ऊंचाई पर पैंगोंग झील के किनारे शिवाजी की प्रतिमा का अनावरण किया गया। प्रतिमा का अनावरण सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला और मराठा लाइट इन्फैंट्री के कर्नल ने किया। इसी के साथ ही सोशल मीडिया में एक पुराना विवाद चर्चा में आ गया, लोगों का दावा है कि लद्दाख में भारतीय सेना के जवान शैतान सिंह भाटी का स्मारक तोड़ दिया गया था। कुछ लोग यह भी लिख रहे हैं कि शैतान सिंह के जिस स्मारक को हटाया गया, वहीं पर अब शिवाजी की प्रतिमा लगा दी गयी है।

ठाकुर पूरन सिंह ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ‘पहले लद्दाख में मेजर शैतान सिंह भाटी जी का स्मारक तोड़ा गया, फिर प्रयागराज में सम्राट हर्षवर्धन बैस जी की मूर्ति को एक जगह से हटा कर दूसरे जगह शिफ्ट किया गया। और अब दोनों जगह (लद्दाख और प्रयागराज में) मराठा शिवाजी की मूर्ति स्थापित की गई। ये संयोग है या प्रयोग?’

प्रदीप राजपूत ने लिखा, ‘परमवीर मेज़र शैतान सिंह की आत्मा जहाँ बसती है, उस स्थल का सौदा करने वाली इस सरकार पर जनता के प्रश्नों का इतना दवाब होना चाहिए थे कि इनकी निर्लज्जता उखड़ कर सबके सामने आती और इन्हें जनता को जवाब देने पर मजबूर होना पड़ता। पर इस राष्ट्र की कृतघ्न और निर्लज्ज जनता केवल गुलामी करने के लिए ही पैदा हुई है, जो एक सत्ता के जाते ही दूसरी सत्ता की आँख मूंदकर गुलामी सह लेती है।’

आशु राठौर ने लिखा, ‘देश के लिए मेजर शैतान सिंह लड़े चीन के सैनिकों को खदेड़ा खुद की जान देश के लिए दी लेकिन उनकी प्रतिमा को ध्वस्त करके शिवाजी की लगाई गई बिल्कुल लगाओ लेकिन शिवाजी का दिल से सम्मान हे लेकिन क्या तुम्हारे जमीर ने ये सवाल नहीं किया कि इनकी प्रतिमा क्यों हटाई ?’

राजपूत ऑफ इंडिया ने लिखा, ‘1962में नहीं हारे थे लेकिन आज हम हार गए।’

क्षत्रिय मीडिया ने लिखा, ‘भारत के इतिहास का सबसे नाकारा प्रधानमंत्री आपके कीबोर्ड में B और M के बीच आता है। जिसके कार्यकाल में परमवीर चक्र अमर शहीद मेजर शैतान सिंह भाटी का स्मारक तोड़ा गया। कॉमेंट में बताओ उस प्रधानमंत्री का नाम’

महिपाल सिंह भाटी ने लिखा, ‘जिस जगह लद्दाख में कल शिवाजी महाराज का स्मारक लगाया गया वहीं मेजर शैतान सिंह भाटी का स्मारक था जो आज से 6 , 7 महीने पूर्व ठेकेदारों ने हटा दिया यहीं शैतान भाटी ने चीन पर अभूतपूर्व विजय प्राप्त की थी….!’

इसके अलावा रौशन सिंह, अपूर्व सिंह ने भी पोस्ट किया है।

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कैसे शुरू हुआ विवाद: भारत-चीन युद्ध के दौरान 18 नवंबर, 1962 के दिन लद्दाख की चुशूल घाटी में 13 कुमाऊं रेजीमेंट के परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह भाटी और उनके 120 जांबाजों ने चीन के करीब 1300 सैनिकों को मार गिराया था। चुशुल घाटी में प्रवेश का रास्ता रेजांगला भारतीय सैनिकों के इस बहादुरी और बलिदान के जज्बे का गवाह बना था, इसे रेजांग ला युद्ध के नाम से जाना जाता है।

परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह की याद में लद्दाख के रेजांग ला में स्थापित मेमोरियल को हटाने का मुद्दा 25 दिसंबर 2023 को सामने आया था। लेह के चुशुल विधानसभा क्षेत्र से आने वाले निर्दलीय काउंसलर कोनचोक स्टैंज़िन ने एक्स पर एक पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, ‘रेजांग-ला का यह ऐतिहासिक स्थल 13 कुमाऊं की C कंपनी के साहसी सैनिकों के सम्मान में अत्यधिक महत्व रखता है। अफसोस की बात है कि इसे पीछे हटने की प्रक्रिया के दौरान नष्ट करना पड़ा क्योंकि यह बफर जोन में आता है।’

क्या है हकीकत? शैतान सिंह भाटी के स्मारक को तोड़ने के दावों को लेकर हमे दैनिक भास्कर की ग्राउंड रिपोर्ट मिली, इस रिपोर्ट के मुताबिक1962 में भारत-चाइना युद्ध के दौरान 13 कुमाऊं की चार्ली कंपनी के शहीद हुए 114 वीर भारतीय जवानों की शहादत की याद को ताजा रखने के लिए अगस्त 1963 में युद्ध स्मारक बनवाया गया। साल 2021 में 114 वीर जवानों के सम्मान में 114 दिनों में ही इसका नवीनीकरण किया गया था। ये स्मारक ठीक उसी स्थान पर है जहां युद्ध के दौरान 13 कुमाऊं का बटालियन मुख्यालय मौजूद था।

दैनिक भास्कर से बातचीत में कार्यकारी सरपंच नमग्याल फुंचोक ने बताया कि शैतानसिंह का एग्जेक्ट जो मेमोरियल है वो रेजांगला वैली में रोड पर है। ये 1962 की वार के बाद बनाया गया था। वहां ये पहले छोटा सा था जिसे साल 2020 के आसपास इसका रेनोवेशन किया गया। इसके बाद अब ये काफी बड़ा और भव्य बन गया है।

वहीं चुशुल विधानसभा क्षेत्र के निर्दलीय काउंसलर कोंचोक स्टैंज़िन के जिस पोस्ट के बाद विवाद सामने आया था, उन्होंने दैनिक भास्कर को बताया, ‘मैंने जो पोस्ट किया था वो उस मेमोरियल को लेकर था, जो डिसइंगेजमेंट प्रोसेस में वहां बताया गया, जहां मेजर शैतानसिंह का शव मिला था। इस डिसइंगेजमेंट प्रोसेस में भारत और चाइना दोनों तरफ ही कुछ स्ट्रक्चर हटाए गए हैं। जिस मेमोरियल की बात मैं कर रहा हूं वो साल 2020 में बनाया गया था।’

उन्होंने आगे बताया, ‘अगर आप रेजांगला मेमोरियल गए होंगे तो देखा होगा कि वहां पर उनकी फोटो वहां गैलेरी में भी मौजूद है। जहां रेजांगला वार के शहीदों का अंतिम संस्कार हुआ वहां बहुत बड़ा रेजांगला वार मेमोरियल भारत सरकार और यूटी एडमिनिस्ट्रेशन ने मिलकर रिनोवेट करवाया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, तत्कालीन सीडीएस विपिन रावत और चीफ और आर्मी व सेना के सभी आला अधिकारी आए थे। तब इनोग्रेशन हुआ था। वैली में ये मेमोरियल 1963 से बना हुआ है और अब इसे काफी भव्य बना दिया गया है। मैंने जो पोस्ट किया है वो फैक्ट है और वेरिफाइड है लेकिन अगर लोगों ने गलत अर्थ में ले लिया तो ये उनकी प्रॉब्लम है।’

अपनी पड़ताल में हमे लद्दाख सेक्टर में रिनोवेट कराए गए रेजांग ला वॉर मेमोरियल की रिपोर्ट भी मिली, इस रिपोर्ट में बताया गया है कि Rezang La War Memorial छोटा था और अब इसका विस्तार किया गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने युद्ध स्मारक का उद्घाटन किया था।

शैतान सिंह के स्मारक की जगह लगी शिवाजी की प्रतिमा?
हमने इस सम्बन्ध में चुशुल विधानसभा क्षेत्र के निर्दलीय काउंसलर कोंचोक स्टैंज़िन से सम्पर्क किया। उन्होंने बताया कि शिवाजी की प्रतिमा को पैंगोंग में लगाया गया है जबकि शैतान सिंह भाटी का स्मारक चुशुल क्षेत्र में हटाया गया था। उसी जगह पर शिवाजी की प्रतिमा लगाने के दावे में कोई सच्चाई नहीं है।

दावालद्दाख में शैतान सिंह भाटी का स्मारक तोड़ दिया गया।
हकीकतमेजर शैतानसिंह का शव जहाँ मिला था, वहां साल 2020 में एक मेमोरियल बनाया गया था लेकिन चीन से झडप के बाद इस इलाके को बफर जोन घोषित कर दिया गया। इस वजह से मेमोरियल हटा दिया गया। हालाँकि यह असल रेजांगला वार मेमोरियल नहीं था। रेजांगला वार के शहीदों का अंतिम संस्कार जहाँ हुआ, वहां युद्ध स्मारक 1963 में बनवाया गया और यह आज भी उसी जगह मौजूद है। इसे अब और भव्य बना दिया गया है। साथ ही साल 2020 के जिस स्मारक को हटाया गया, उसी जगह शिवाजी की प्रतिमा नहीं लगी है।

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