लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने 18वीं लोकसभा के पहले सत्र में अग्निपथ योजना का मुद्दा उठाया। इसके बाद उन्होंने अपने एक्स अकाउंट से शहीद अग्निवीर अजय सिंह के सम्बन्ध में दावा किया कि उनके परिवार को कोई मदद नहीं मिली है हालाँकि पड़ताल में पता चलता कि राहुल गाँधी का दावा झूठा है।
राहुल गांधी ने लोकसभा में कहा, ”कुछ दिन पहले मैं पंजाब के एक छोटे से घर में अग्निवीर के परिवार से मिला था। अग्निवीर जवान बारूदी सुरंग ‘विस्फोट’ में ‘शहीद’ हो गया था। मैं उस जवान को ‘शहीद’ कह रहा हूं लेकिन भारत सरकार उसे ‘शहीद’ नहीं कहती।”राहुल ने कहा, “नरेंद्र मोदी उन्हें शहीद नहीं कहते, अग्निवीर कहते हैं। उन्हें पेंशन नहीं मिलेगी, मुआवजा नहीं मिलेगा, शहीद का दर्जा नहीं मिलेगा। आम जवान को पेंशन मिलेगी। भारत सरकार आम जवान की मदद करेगी लेकिन अग्निवीर को जवान नहीं माना जा सकता, अग्निवीर यूज एंड थ्रो मज़दूर है। आप उसे छह महीने की ट्रेनिंग दीजिए, एक चीनी जवान को पांच साल की ट्रेनिंग मिलती है। राइफल लेकर उसके सामने खड़े हो जाओ, एक जवान से दूसरे जवान में फ़र्क़ करो, एक को शहीद का दर्जा मिलेगा, दूसरे को नहीं।
राहुल गांधी के बयान का जवाब देते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि राहुल गांधी ग़लत बयानबाज़ी कर सदन को गुमराह कर रहे हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि युद्ध के दौरान और सीमा की रक्षा के दौरान जब भी कोई अग्निवीर जवान ‘शहीद’ होता है तो उसके परिवार को एक करोड़ रुपये की सहायता राशि दी जाती है।
सत्य की रक्षा हर धर्म का आधार है!
लेकिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शहीद अग्निवीर के परिवार को सहायता मिलने के बारे में संसद में झूठ बोला।
उनके झूठ पर शहीद अग्निवीर अजय सिंह के पिता जी ने खुद सच्चाई बताई है।
रक्षा मंत्री को संसद, देश, सेना और शहीद अग्निवीर अजय सिंह जी के… pic.twitter.com/H2odxpfyOO
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 3, 2024
इसके बाद राहुल गाँधी ने एक्स पर एक वीडियो पोस्ट किया। राहुल गाँधी ने लिखा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शहीद अग्निवीर के परिवार को सहायता मिलने के बारे में संसद में झूठ बोला। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री को संसद, देश, सेना और शहीद अग्निवीर अजय सिंह जी के परिवार से माफी मांगनी चाहिए।
क्या है हकीकत? पड़ताल में हमे सबसे पहले भारतीय सेना का एक पोस्ट मिला। सेना की तरफ़ से कहा गया है कि सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट से पता चला है कि कर्तव्य निभाते हुए अपनी जान गंवाने वाले अग्निवीर अजय कुमार के परिजनों को मुआवजा नहीं दिया गया है। भारतीय सेना अग्निवीर अजय कुमार के सर्वोच्च बलिदान को सलाम करती है। अंतिम संस्कार पूरे सैन्य सम्मान के साथ किया गया। अग्निवीर अजय के परिवार को दी जाने वाली कुल राशि में से पहले ही 98.39 लाख रुपये का भुगतान किया जा चुका है।
*CLARIFICATION ON EMOLUMENTS TO AGNIVEER AJAY KUMAR*
Certain posts on Social Media have brought out that compensation hasn’t been paid to the Next of Kin of Agniveer Ajay Kumar who lost his life in the line of duty.
It is emphasised that the Indian Army salutes the supreme… pic.twitter.com/yMl9QhIbGM
— ADG PI – INDIAN ARMY (@adgpi) July 3, 2024
अग्निवीर योजना के प्रावधानों के मुताबिक़ लगभग 67 लाख रुपये की अनुग्रह राशि और अन्य लाभ, पुलिस वेरिफिकेशन के तुरंत बाद फ़ाइनल अकाउंट सेटलमेंट कर भुगतान किए जाएंगे। कुल राशि लगभग 1.65 करोड़ रुपये होगी। शहीद हुए सैनिकों के परिजनों को देय भत्ते का भुगतान शीघ्रता से किया जाता है, जिसमें अग्निवीर भी शामिल हैं।
इसके बाद हमे जी न्यूज से बातचीत में मृतक जवान अजय सिंह के पिता का बयान मिला। इस वीडियो में उन्होंने पत्रकार को बताया कि उन्हें करीबन एक करोड़ रुपया मिल गया है।
राहुल गांधी के आरोपों पर शहीद अग्निवीर अजय सिंह के पिता का बड़ा खुलासा, कहा- ‘अब तक हमें करीब 1 करोड़ रुपये मिला’#ToThePoint #Agniveer #RajnathSingh #Congress #RahulGandhi | @pratyushkkhare pic.twitter.com/XwRs9RayYm
— Zee News (@ZeeNews) July 4, 2024
इसके अलावा हमे 10 मई 2024 को न्यूज18 की वेबसाईट पर प्रकाशित एक और रिपोर्ट मिली। अग्निवीर जवान गावते अक्षय लक्ष्मण की पिछले साल अक्तूबर, 2023 में लाइन ऑफ ड्यूटी पर तैनाती के दौरान दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन में मौत हो गई थी। आरटीआई से खुलासा हुआ है कि गावते अक्षय लक्ष्मण के परिजनों को एक करोड़ 30 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी गई है। इनमें 48 लाख रुपये गैर-अंशदायी बीमा (इंश्योरेंस कवर), 44 लाख रुपये की अनुग्रह राशि (एकमुश्त एक्स-ग्रेशिया), आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन से 30,000 रुपये, आर्मी सेंट्रल वेलफेयर फंड से 8 लाख रुपये, सेवा निधि में अग्निवीर द्वारा दिए गए 30 फीसदी योगदान, जिसमें सरकार का भी बराबर योगदान होता है और पूरी राशि पर ब्याज दिया गया है। इसके अलावा परिजनों को मृत्यु की तारीख से चार साल पूरे होने तक शेष कार्यकाल के लिए भी वेतन भी दिया गया है।
अग्निवीर को शहीद का दर्जा नहीं मिलता? राहुल गाँधी का कहना है कि साल 2022 में लागू अग्निवीर योजना के जवान को शहीद का दर्ज नहीं दिया जाता है जबकि पड़ताल में पता चलता है कि इससे पहले से भारत में सेना और अर्धसैनिक बलो में शहीद जैसा कोई शब्द है ही नहीं। भारत सरकार या भारतीय सेना आधिकारिक तौर पर अपने जवानों का ‘शहीद’ जैसा कोई दर्जा नहीं देती है। शहीद शब्द बस आम बोलचाल की भाषा में बोला जाता है।
आजतक की वेबसाइट पर साल 2015, एनडीटीवी पर 2017 लल्लनटॉप पर 2019 को प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार ने हाईकोर्ट को बताया था कि ‘शहीद’ का दर्जा देने का अनुरोध गलत धारणा पर आधारित है क्योंकि यह दर्जा वास्तव में सेना, नौसेना और वायुसेना के कर्मियों को दिया ही नहीं जा रहा है।’ अपने हलफनामे में रक्षा मंत्रालय एवं अन्य मंत्रालयों ने कहा कि शहीद शब्द का तीनों सेवाओं में इस्तेमाल नहीं किया जाता है और न ही ऐसा कोई आदेश या अधिसूचना रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी की गई कि कर्तव्य के दौरान जो मारे गए उन्हें शहीद कहा जाए। इसी तरह, गृह मंत्रालय द्वारा भी सीएपीएफ और असम राइफल्स के कर्मियों के लिए भी ऐसी अधिसूचना नहीं जारी की गई।
शहीद दर्जे को लेकर गृह मंत्रालय ने 22 दिसंबर 2015 को लोक सभा में एक लिखित जवाब में कहा कि रक्षा मंत्रालय के मुताबिक ‘शहीद’ शब्द का प्रयोग सेना में ऑपरेशन या कार्रवाई के दौरान मारे गए सैनिकों के संदर्भ में नही किया जाता है और न हीं सेन्ट्रल आर्म्ड पुलिस बल या असम पुलिस के जवानों के लिये यदि वह किसी ऑपरेशन में मारे गए हों। ऐसे ही 16 जुलाई 2019 को लोक सभा में गृह राज्य मंत्री से आतंकवादी हमलों में अपनी जान गंवाने वाले अर्धसैनिक बलों के जवानों को ‘शहीद’ का दर्जा देने के बारे में लिखित प्रश्न पूछा गया तो उन्होने कहा कि ऐसा कोई अधिकारिक नामकरण (नोमेनक्लेचर) नहीं है।
वहीं जब सरकारी रिकॉर्ड में भगत सिंह को शहीद का दर्जा न होने की बात हुई तो किसी ने कहा कि शहीद का टैग रक्षा मंत्रालय देता है। भगत सिंह का केस मंत्रालय के अधीन आया नहीं, इसलिए उन्हें दर्जा भी नहीं मिला। ये दोनों बातें भ्रामक हैं। दर्जनों RTI के जवाब में सरकार इसका जवाब दे चुकी है। दिसंबर 2017 में भारत सरकार ने केंद्रीय सूचना आयोग को बताया कि सरकार सेना, अर्धसैनिक बल या पुलिस के मामले में ‘शहीद’ शब्द का इस्तेमाल नहीं करती है। रक्षा मंत्रालय ने किसी को शहीद कहने के लिए आज तक कोई नोटिफिकेशन नहीं निकाला।
पड़ताल में पता चलता है कि साल 2014 में भी भारत सरकार ने एक RTI के जवाब में बताया था कि शहीद शब्द को कहीं भी परिभाषित नहीं किया गया है।
निष्कर्ष: पड़ताल से स्पष्ट कि अग्निवीर जवान अजय सिंह के परिवार को करीबन एक करोड़ की रकम मिल चुकी है। साथ ही जवानों को शहीद का दर्जा न देने का दावा भ्रामक है, असल में भारतीय सेना में जवानों को इस तरह का कोई आधिकारिक दर्जा नहीं दिया जाता है। यह बस आम बोलचाल का शब्द है।
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