इस्लामिक मीडिया संस्थान अल जज़ीरा अरबी (Al Jazeera Arabic) ने अपने ट्वीटर अकाउंट से एक खबर साझा की है। जिसके मुताबिक बिहार के सीवान में हिंदुओ ने एक मौलवी की हत्या कर दी। हालाँकि पड़ताल में पता चलता है कि मौलवी की हत्या में किसी तरह का सांप्रदायिक एंगल नहीं है।
अल जज़ीरा ने रविवार(19 जून 2022) को ट्वीट कर दावा किया है कि बिहार के सीवान में हिंदुओं ने एक मौलवी को मार डाला। अपने ट्वीट में अरबी में लिखा है, “सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक मस्जिद के इमाम की फोटो वायरल हो रही है, जिन्हें हिंदुओं ने मार डाला। सीवान के खालिसपुर गाँव की एक मस्जिद में जब वह सो रहे थे, तभी हिंदुओं द्वारा उनका सिर कलम कर दिया गया।” मीडिया संस्थान ने इस मामले की जाँच करने और हत्यारों को जल्द से जल्द पकड़ने के लिए अपनी पोस्ट में ‘जस्टिस फॉर इमाम सीवान’ और ‘जस्टिस फॉर सिवान मौलवी’ हैशटैग भी लिखा है। अल जज़ीरा के इस ट्वीट को हजारों लोगों ने रीट्वीट किया है।
هندوس يقتلون إمام مسجد بنحره بمدينة سيوان شرق #الهند ومطالبات بمحاسبة المجرمين عبر وسم “العدالة لإمام سيوان”
JusticeForSiwanMaulvi# pic.twitter.com/E0PVlPyRlf— قناة الجزيرة (@AJArabic) June 19, 2022
एक यूजर अली अख्तर ने बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार को ट्वीट कर लिखा है कि आखिर इतना जुल्म क्यों हो रहा है मुसलमानों पर, इसका जवाब दें। सिवान बिहार के खालिसपुर मस्जिद के मौलवी साहब की गला रेत कर हत्या कर दी गई हिंदू आतंकवादियों द्वारा, बिहार पुलिस उस आतंकवादी को जल्द से जल्द गिरफ्तार करे।
मंजार सिद्दकी ने लिखा है कि बिहार के सीवान के खालिसपुर मस्जिद के मौलवी साहब की गला रेत कर निर्मम हत्या कर दी गई हिंदू आतंकवादियों द्वारा। बिहार पुलिस उस आतंकवादी को जल्द से जल्द गिरफ्तार करे और उसको सजा-ए-मौत के साथ उसकी संपत्ति जब्त की जाए।
मोहम्मद शाकिब ने लिखा है कि कितने बुरे दिन आ गए हैं, न ही हम अपने मस्जिदों की हिफाजत कर पा रहे हैं और न अपने इमामो की। सिवान बिहार के खालिसपुर मस्जिद के मौलवी साहब की गला रेत कर हत्या कर दी गई हिंदू आतंकवादियों द्वारा।
क्या है हकीकत: पड़ताल में ‘दैनिक भास्कर’ की एक रिपोर्ट मिली। जिसके मुताबिक सीवान के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के खालिसपुर गांव के मस्जिद में गाँव के ही रहने वाले मोहम्मद सफी पुत्र याकूब मरहुम का शव मिला था। मृतक बुजुर्ग के बेटे अशफाक अहमद ने बताया कि गांव में उनका पुस्तैनी घर है। यह जमीन 32 धुर है।
अशफाक अहमद ने बताया कि उसके पिता को पांच महीने पहले कोर्ट से डिग्री मिल चुकी थी कि घर उनका ही रहेगा। मालूम हो कि कोर्ट में विवाद पिछले पांच सालों से चल रहा था। 22 मई को बड़े पिता के पोते की शादी थी। मेहमानों को घर में रखने के बहाने घर को खाली करा दिया। इसके बाद से उसके पिता मस्जिद में ही रात को सोते थे। शादी के बाद जब वापस घर लौटे तो उमर अहमद ने कहा कि अब यह ताला नहीं खुलेगा। इसके बाद मोहम्मद सफी ने पुलिस को शिकायत दी थी।
हमे मृतक मोहम्मद सफी द्वारा पुलिस को दी गयी शिकायत की कॉपी भी मिली। जिसमे उन्होंने पुलिस से कहा है कि 4 जून को जब वो अपने घर पहुँचे तो शमी अहमद पुत्र उमर मरहुम, समीम अख्तर, जुनैद अख्तर पुत्र समसुल कमर, शमसाद अली और समसुल कमर पुत्र याकूब मरहुम ने उनके कमरे का ताला तोड़कर अपना ताला लगा दिया। आरोपियों ने मुझे पीटा और मेरे कमरे में रखे हुए 10 हजार रूपये भी ले लिए।
वहीं 9 जून को मोहम्मद सफी की हत्या के बाद उनके बेटे असफाक अहमद ने पुलिस को तहरीर दी है। हमने इस मामले में मुफस्सिल थानाध्यक्ष विनोद कुमार सिंह और सिवान के एसपी शैलेश कुमार सिन्हा से संपर्क करने का प्रयास भी किया लेकिन अभी उनसे बातचीत नहीं हो पाई है।
पड़ताल में आगे बढ़ते हुए हमने सिवान के एक न्यूज पोर्टल ‘सिवान ऑनलाइन’ के पत्रकार परवेज अख्तर से बात की। उन्होंने बताया कि मृतक बुजुर्ग मोहम्मद सफी मस्जिद के मौलाना या इमाम नहीं थे बल्कि कुछ दिनों से घर न होने की वजह से मस्जिद में सोते थे। एक ही परिवार के दो पक्षों के बीच जमीनी विवाद है, दोनों एक ही धर्म से ताल्लुक रखते हैं।
निष्कर्ष: मृतक बुजुर्ग मस्जिद के इमाम या मौलाना नहीं थे, न ही उनकी हत्या में दूसरे धर्म के लोगों का हाथ है, यह मामला एक ही परिवार के बीच जमीन विवाद का है। इस्लामिक मीडिया अल जज़ीरा का दावा गलत है।