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25 Dec 2024, Wed

अग्निवीर सैनिक होने की वजह से अमृतपाल सिंह को सैन्य सम्मान न देने का दावा गलत है

पंजाब के मृतक अग्निवीर जवान अमृतपाल सिंह के मामले में काफी हंगामा है। तमाम राजनीतिक पार्टियों के द्वारा कहा गया कि अमृतपाल अग्निवीर योजना के तहत भर्ती हुआ था। इसलिए उसे सैनिक सम्मान नहीं मिला। हालाँकि पड़ताल में पता चलता है कि यह आरोप बेबुनियाद है। 

भारतीय युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवासन बीवी ने एक्स पर लिखा, ‘पंजाब के रहने वाले अमृतपाल सिंह अग्निवीर के तौर पर सेना में भर्ती हुए।  वो कश्मीर में तैनात थे, 10 अक्टूबर को गोली लगने से वे शहीद हो गए।  दुखद ये है कि देश के लिए शहीद होने वाले अमृतपाल जी को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई भी नहीं दी गई।  उनका पार्थिव शरीर एक आर्मी हवलदार और दो जवान लेकर आए। इसके अलावा आर्मी की कोई यूनिट तक नहीं आई।  यहां तक कि उनके पार्थिव शरीर को भी आर्मी वाहन के बजाए प्राइवेट एंबुलेंस से लाया गया।  ये देश के शहीदों का अपमान है।’

पंजाब के रहने वाले अमृतपाल सिंह अग्निवीर के तौर पर सेना में भर्ती हुए।

वो कश्मीर में तैनात थे, 10 अक्टूबर को गोली लगने से वे शहीद हो गए।

दुखद ये है कि देश के लिए शहीद होने वाले अमृतपाल जी को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई भी नहीं दी गई।

उनका पार्थिव शरीर एक आर्मी हवलदार और दो… pic.twitter.com/Bx1vQ00JoG

— Srinivas BV (@srinivasiyc) October 14, 2023

कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने लिखा, ‘पंजाब के 19 वर्षीय अमृतपाल सिंह अग्निवीर के तौर पर सेना में भर्ती हुए।  कश्मीर में 10 अक्टूबर को गोली लगने से वे शहीद हो गए।  यहाँ उनकी बहनें कंधा दे रही हैं। इनके लिए ना सैन्य सम्मान ना आर्मी की कोई यूनिट।   वो शहीद हैं – पर ये अग्निवीर योजना की असलियत’

पंजाब के 19 वर्षीय अमृतपाल सिंह अग्निवीर के तौर पर सेना में भर्ती हुए।

कश्मीर में 10 अक्टूबर को गोली लगने से वे शहीद हो गए।

यहाँ उनकी बहनें कंधा दे रही हैं। इनके लिए ना सैन्य सम्मान ना आर्मी की कोई यूनिट।

वो शहीद हैं – पर ये अग्निवीर योजना की असलियत

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— Supriya Shrinate (@SupriyaShrinate) October 14, 2023

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लिखा, ‘पंजाब के अग्निवीर शहीद अमृतपाल सिंह के पार्थिव शरीर को न तो सैन्य-सम्मान मिला न राजकीय-सम्मान। ये एक त्रुटिपूर्ण सैन्य-भर्ती का दुष्परिणाम है। सैनिकों को उनका यथोचित सम्मान हर दशा-अवस्था में मिलना ही चाहिए। हम इस शहादत को शत-शत नमन करते हैं। हम अग्निवीर योजना के अपने विरोध को पुनः रेखांकित करते हैं और परम्परागत भर्ती की पुनर्बहाली की माँग उठाते हैं। देश की सुरक्षा व देश के युवा के भविष्य के साथ हमें कोई भी समझौता मंज़ूर नहीं। जय हिंद!’

पंजाब के अग्निवीर शहीद अमृतपाल सिंह के पार्थिव शरीर को न तो सैन्य-सम्मान मिला न राजकीय-सम्मान। ये एक त्रुटिपूर्ण सैन्य-भर्ती का दुष्परिणाम है। सैनिकों को उनका यथोचित सम्मान हर दशा-अवस्था में मिलना ही चाहिए। हम इस शहादत को शत-शत नमन करते हैं।

हम अग्निवीर योजना के अपने विरोध को… pic.twitter.com/qFliup531m

— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) October 15, 2023

वामपंथी पत्रकार रणविजय सिंह ने लिखा, ‘कश्मीर में तैनात एक अग्निवीर की गोली लगने से मौत हो गई.  अग्निवीर का नाम अमृतपाल सिंह था. उनका शव एक हवलदार और जवान गांव लेकर पहुंचे.  खबरों के मुताबिक, उनके अंतिम संस्कार के दौरान आर्मी की ओर से कोई सलामी नहीं दी गई.  समाज के प्रबुद्ध लोगों की दखल पर लोकल पुलिस ने सलामी दी.’

कश्मीर में तैनात एक अग्निवीर की गोली लगने से मौत हो गई.

अग्निवीर का नाम अमृतपाल सिंह था. उनका शव एक हवलदार और जवान गांव लेकर पहुंचे.

खबरों के मुताबिक, उनके अंतिम संस्कार के दौरान आर्मी की ओर से कोई सलामी नहीं दी गई.

समाज के प्रबुद्ध लोगों की दखल पर लोकल पुलिस ने सलामी दी.

— Ranvijay Singh (@ranvijaylive) October 14, 2023

वामपंथी लेखक अशोक कुमार पाण्डेय ने लिखा, ‘कम से कम शहीद होने वाले अग्निवीर सैनिकों को ‘शहीद’ का दर्जा, सम्मान और उसके आश्रितों के लिए एकमुश्त रक़म/पेंशन का इंतज़ाम तो करना ही चाहिए।   क्या फ़ायदा कि जब हम ग़रीब देश थे तो सैनिकों को पेंशन, शहादत पर आश्रितों को पेंशन, पेट्रोल पंप, सैनिक सम्मान देते थे और आज जब न्यू इंडिया के दावे हैं तो देने के लिए कुछ नहीं है।   देश के लिए अपने युवा बच्चों को खो देने वाले परिवारों से उनका गौरव तो मत छीनिए।’

कम से कम शहीद होने वाले अग्निवीर सैनिकों को ‘शहीद’ का दर्जा, सम्मान और उसके आश्रितों के लिए एकमुश्त रक़म/पेंशन का इंतज़ाम तो करना ही चाहिए।

क्या फ़ायदा कि जब हम ग़रीब देश थे तो सैनिकों को पेंशन, शहादत पर आश्रितों को पेंशन, पेट्रोल पंप, सैनिक सम्मान देते थे और आज जब न्यू इंडिया…

— Ashok Kumar Pandey अशोक اشوک (@Ashok_Kashmir) October 14, 2023

सदफ आफरीन ने लिखा, ‘दुःखद  अग्निवीर अमृतपाल सिंह(19), कश्मीर में तैनात थे!  गोली लगने से वे शहीद हो गए!  उनका पार्थिव शव 1 हवलदार और 2 आर्मी प्राइवेट एंबुलेंस में लेकर आए!  न आर्मी वाहन और न आर्मी की तरफ से कोई सलामी दी गई!  लोगो के आवाज़ उठाने पर लोकल पुलिस ने सलामी दी!’

दुःखद

अग्निवीर अमृतपाल सिंह(19), कश्मीर में तैनात थे!

गोली लगने से वे शहीद हो गए!

उनका पार्थिव शव 1 हवलदार और 2 आर्मी प्राइवेट एंबुलेंस में लेकर आए!

न आर्मी वाहन और न आर्मी की तरफ से कोई सलामी दी गई!

लोगो के आवाज़ उठाने पर लोकल पुलिस ने सलामी दी!pic.twitter.com/Fm6mEuT5Fn

— Sadaf Afreen صدف (@s_afreen7) October 14, 2023

हंसराज मीना ने लिखा ,’पंजाब के 19 वर्षीय अमृतपाल सिंह 10 दिसंबर 2022 को ‘अग्निवीर’ बने थे। 11 अक्टूबर को जम्मू कश्मीर में गोली लगने से शहीद हो गए। जवान का पार्थिव शरीर सेना के वाहन की बजाय एंबुलेंस में आया। गार्ड ऑफ ऑनर भी सेना की टुकड़ी ने नहीं दिया। ये शहीद का अपमान है। शर्मनाक।’

पंजाब के 19 वर्षीय अमृतपाल सिंह 10 दिसंबर 2022 को ‘अग्निवीर’ बने थे। 11 अक्टूबर को जम्मू कश्मीर में गोली लगने से शहीद हो गए। जवान का पार्थिव शरीर सेना के वाहन की बजाय एंबुलेंस में आया। गार्ड ऑफ ऑनर भी सेना की टुकड़ी ने नहीं दिया। ये शहीद का अपमान है। शर्मनाक। pic.twitter.com/JunKOLNk8X

— Hansraj Meena (@HansrajMeena) October 14, 2023

इसके अलावा वसीम अकरम, हर्ष धिकारा, आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष
चन्द्र शेखर आजाद, समाजवादी पार्टी समर्थक अश्विनी यादव, पुनीत कुमार सिंह, रमनदीप सिंह मान, कांग्रेस नेता अनुमा आचार्य, कांग्रेस समर्थक संदीप सिंह और शांतनु ने भी अग्निवीर पर सवाल उठाए हैं।

क्या है
हकीकत?
पड़ताल में हमने सम्बंधित कीवर्ड्स को गूगल पर सर्च किया तो 11
अक्टूबर को 2023 को अमर उजाला पर प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट के
मुताबिक पुंछ जिले के मेंढर उपमंडल के मनकोट इलाके में एलओसी के पास सिपाही
(अग्निवीर) अमृतपाल सिंह संतरी के तौर पर ड्यूटी कर रहे थे। इस दौरान गोली
लगने से उनकी मौत हो गई। एक पुलिस अधिकारी ने मामले की पुष्टि करते हुए
बताया कि यह घटना दुर्घटनावश लगी आग, आत्महत्या या किसी अन्य कारण से हुई,
इसकी पुष्टि की जा रही है।

दैनिक जागरण
पर प्रकाशित रिपोर्ट के
मुताबिक ड्यूटी के दौरान अग्निवीर अमृतपाल सिंह को गोली लगी और उनकी मौके
पर ही मौत हो गई। अधिकारियों ने कहा कि पुलिस ने घटना का संज्ञान लिया है
और जांच शुरू कर दी है। पुलिस उनकी मौत के कारणों का खुलासा करने में जुटी
हुई है। पुलिस इस बात का पता लगा रही है कि सैनिक की मौत आत्महत्या के कारण
हुई या किसी अन्य कारण से।

इसके बाद हमे भारतीय सेना की 16वीं कोर
‘व्हाइट नाईट कोर’ के ऑफिशल एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट मिला। 14 अक्टूबर 2023
की इस पोस्ट में लिखा है, ‘अग्निवीर अमृतपाल सिंह की 11 अक्टूबर 23 को
मृत्यु एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। अमृतपाल की मौत राजौरी सेक्टर में
ड्यूटी के दौरान खुद को लगी गोली लगी थी। जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए
थे। पार्थिव शरीर जूनियर कमीशंड अधिकारी के साथ चार अन्य रैंक के लोगों के
साथ एक सिविल एम्बुलेंस से घर पहुंचाया गया। अंतिम संस्कार में उनके साथ
सेना के जवान भी शामिल हुए। मौत का कारण खुद से लगी चोट थी। ऐसे में
वर्तमान नीति के मुताबिक अंतिम संस्कार किया गया, जिसमें कोई गार्ड ऑफ ऑनर
या सैन्य अंतिम संस्कार की प्रक्रिया नहीं की गई।
भारतीय सेना शोक संतप्त
परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करती है।’

‘Death of Agniveer Amritpal Singh on 11 October 23’

In an unfortunate incident, Agniveer Amritpal Singh died while on sentry duty in Rajouri Sector, due to a self inflicted gun shot injury. Court of Inquiry to ascertain more details is in progress.

Mortal remains of the…

— White Knight Corps (@Whiteknight_IA) October 14, 2023


इसके बाद
भारतीय सेना के ऑफिसल एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट मिला। 15 अक्टूबर 2023 के इस
पोस्ट में बताया गया है कि अग्निवीर अमृतपाल सिंह ने ड्यूटी के दौरान खुद
को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। अमृतपाल के अंतिम संस्कार में गार्ड ऑफ
ऑनर नहीं दिया गया क्योंकि खुद को पहुंचाई गई चोटों से होने वाली मौत के
मामले में यह सम्मान नहीं दिया जाता है।

Unfortunate Death of Agniveer Amritpal Singh on 11 Oct 2023.

There has been some misunderstanding and misrepresentation of facts related to unfortunate death of Agniveer Amritpal Singh.

Further to the initial information given out by White Knight Corps on 14 Oct 2023,… pic.twitter.com/6rhaOu3hN8

— ADG PI – INDIAN ARMY (@adgpi) October 15, 2023


भारतीय सेना ने कहा है कि
किसी सैनिक की आत्महत्या या खुद से लगी चोट के कारण होने वाली मौत की घटना
होने, सेना में एंट्री के तरीके की परवाह किए बिना सैनिक को उचित सम्मान
दिया जाता है। हालांकि, ऐसे मामले 1967 के सेना आदेश के अनुसार सैन्य
अंत्येष्टि के हकदार नहीं हैं।
इस नीति का बिना किसी भेदभाव के लगातार पालन
किया जा रहा है।सेना के जारी किए आंकड़ों के अनुसार 2001 के बाद से हर साल
100-140 सैनिकों की मौत हुई है। ये मौतें आत्महत्या/खुद को लगी चोटों के
कारण हुईं हैं। इसी तरह के मामलों में सैन्य अंतिम संस्कार की अनुमति नहीं
दी गई।
अंतिम संस्कार के लिए वित्तीय सहायता के अलावा मृतक के पद के अनुसार
मदद की जाती है।

चूँकि भारतीय सेना ने इस पोस्ट में मौत का कारण
आत्महत्या बताया है इसीलिए हमने यह जानने की कोशिश कि क्या वाकई ऐसे मामलों
में गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया जाता है।

पड़ताल में हमे सबसे पहले
टीवी9 भारतवर्ष पर 26 मार्च 2022 को प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट
के मुताबिक उत्तर प्रदेश के गोरखपुर निवासी एक जवान धनंजय यादव की संदिग्ध
परिस्थितियों में मौत हो गयी थी। सेना का कहना था कि धनंजय यादव ने
आत्महत्या की थी जबकि परिजन कहना था कि कि वो आतंकियों के हमले में शहीद
हुए। इस मामले में सेना ने गार्ड ऑफ ऑनर के साथ सम्मान से इनकार कर दिया
था
। जिसके बाद परिजनों ने शव को सड़क पर रखा चक्काजाम कर दिया। आगजनी और
पत्थरबाजी भी की गयी। हालाँकि बाद में परिवार के दवाब को देखते हुए सैन्य
सम्मान के साथ धनंजय यादव का अंतिम संस्कार हुआ।

इसके अलावा हमे 26
अगस्त 2023 को जी न्यूज पर प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट के
मुताबिक राजस्थान के चुरू निवासी सैनिक करण सिंह ने आत्महत्या कर ली थी।
इसके बाद परिजनों ने सैनिक को शहीद का दर्जा देने एवं गार्ड ऑफ ऑनर के साथ
अंतिम संस्कार करने आदि मांगों को लेकर शव लेने से इनकार कर दिया था।

इसके
बाद सेना ने करण सिंह के परिवारजन को कोलकाता बुलाकर घटना सम्बधी सहयोग का
आश्वासन दिया तथा गार्ड ऑफ ऑनर की बात पर बताया कि सेना के नियमों अनुसार
आत्महत्या करने वाले सैनिक को गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया जा सकता है तथा
गाइडलाइन भी दिखाई गई।
इसके बाद वार्ता में सहमति बनी और सैनिक का अंतिम
संस्कार कर दिया गया।

निष्कर्ष: पड़ताल से स्पष्ट है कि खुद को
पहुंचाई चोट या आत्महत्या के मामले में सेना की ओर से गार्ड ऑफ ऑनर सम्मान
का प्रावधान नहीं है। यह नियम सिर्फ अग्निवीर पर लागू नहीं होता बल्कि
भारतीय सेना 1967 से इस नियम का पालन कर रही है।

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