सोशल मीडिया में एक छात्रा की तस्वीर वायरल है, इस तस्वीर के साथ लोग दावा कर रहे हैं कि गुजरात के मेहसाणा जिले के खेरालु के लुनवा गाँव के एक सरकारी स्कूल में 10वीं कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली छात्रा को सिर्फ इसलिए सम्मानित नहीं किया गया क्योंकि वह मुस्लिम समुदाय से आती है। इस दावे को मैंनस्ट्रीम मीडिया ने भी प्रमुखता से प्रकाशित किया है। हालाँकि पड़ताल में पता चलता है कि यह दावा भ्रामक है।
खालिद हुसैन ने लिखा कि गुजरात के मेहसाणा के खेरालु गाँव में स्वतंत्रता
दिवस के अवसर पर कक्षा 10 के टॉपर्स बच्चों को सम्मानित किया जाना था।
जिसमें पहले नम्बर के छात्र की जगह पर सीधा दूसरे नम्बर के छात्र को बुला
कर सम्मानित किया गया। पहले नम्बर वाले को बुलाया ही नहीं गया। जानते हैं
क्यूँ ?वजह सिर्फ इतनी है कि पहले नंबर वाली छात्रा मुस्लिम समुदाय से थी।
उस बच्ची के पैरेंट्स ने जब स्कूल से इस का कारण जानना चाहा तो स्कूल ने
कहा की हम आपकी बच्ची को बाद में उसका पुरुस्कार दे देंगे। ये सुनकर बच्ची
रोने लगी। बच्ची के माता पिता ने कहा कि हमें पुरस्कार नहीं चाहिए था।
हमारी बच्ची को पहचान चाहिए थी जो स्कूल ने स्वतंत्रता दिवस पर नहीं दिया।
और हमारी बच्ची के साथ नाइंसाफ़ी हुई है। ये घटना उस राज्य की है जहां से
हमारे देश के प्रधानमंत्री @narendramodiजी आते हैं। और ये उस प्रधानमंत्री
के राज्य की घटना है जहां के प्रधानमंत्री “सबका साथ, सबका विकास” की बात
करते हैं। ये कैसा सबका साथ, सबका विकास है।
गुजरात के मेहसाणा के खेरालु गाँव में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कक्षा 10 के टॉपर्स बच्चों को सम्मानित किया जाना था। जिसमें पहले नम्बर के छात्र की जगह पर सीधा दूसरे नम्बर के छात्र को बुला कर सम्मानित किया गया। पहले नम्बर वाले को बुलाया ही नहीं गया। जानते हैं क्यूँ ?
वजह सिर्फ इतनी… pic.twitter.com/3GWCQDnHCs— Khalid Hussain (@khalidmfp) August 18, 2023
अभिषेक गोयल ने लिखा कि गुजरात के मेहसाणा में एक स्कूल ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने टॉपर छात्रों को सम्मानित करना था। उन्होंने शुरुआत की उस छात्र से जो दूसरे नंबर पर आया था। पहली से इसलिए नहीं की क्योंकि वो मुस्लिम थी- नाम अर्ज़ना बानू। वो बिटिया,दसवीं की टॉपर वहीं मौजूद थी। इस अपमान पर, इस भेदभाव पर रो पड़ी। हमें उसके आँसू पोछने हैं। सम्मान पाती तो ज़्यादा से ज़्यादा उसे उसके ज़िले के लोग ही जानते, पर हम पूरे देश को बतायेंगे कि असल टॉपर अर्ज़ना बानू है।
गुजरात के मेहसाणा में एक स्कूल ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने टॉपर छात्रों को सम्मानित करना था।
उन्होंने शुरुआत की उस छात्र से जो दूसरे नंबर पर आया था। पहली से इसलिए नहीं की क्योंकि वो मुस्लिम थी- नाम अर्ज़ना बानू।
वो बिटिया,दसवीं की टॉपर वहीं मौजूद थी।इस अपमान पर, इस भेदभाव पर रो… pic.twitter.com/LPicPqpuEC
— Avishek Goyal (@AG_knocks) August 19, 2023
तन्मय ने लिखा कि मोदी-युक्त भारत का राज्य गुजरात में शीर्ष स्कोरिंग मुस्लिम लड़की को एक स्कूल समारोह में पुरस्कार देने से इनकार कर दिया गया।अर्नाज़बानू स्वतंत्रता दिवस पर कक्षा 10 और कक्षा 12 के सम्मान में अपने स्कूल द्वारा आयोजित एक समारोह में पहुंचीं, उन्हें उम्मीद थी कि मंच पर सबसे पहले उन्हें बुलाया जाएगा।उसने 10वीं कक्षा में 87% अंक हासिल किए, वह टॉपर रही। यही नहीं होना था। ऐसा प्रतीत होता है कि यह धर्म के आधार पर जानबूझकर भेदभाव का मामला है, मेहसाणा जिले में स्थित एक स्कूल, श्री के. टी. पटेल स्मृति विद्यालय ने अपने स्टार छात्र को सम्मानित करने से इनकार कर दिया।
The State of Modi-fied India
In #Gujarat Top Scoring Muslim Girl Denied Award at a School Function.
Arnazbanu arrived for a function organised by her school to honour Class 10 and Class 12 on Independence Day, she expected to be the first to be called on stage.
She scored of… pic.twitter.com/URR1AOhTU4
— তন্ময় l T͞anmoy l (@tanmoyofc) August 19, 2023
सलिल त्रिपाठी ने लिखा, ‘यह मोदी-युक्त भारत की स्थिति है।’
The state of Modified India: pic.twitter.com/UMSvNYF245
— saliltripathi (@saliltripathi) August 17, 2023
अली सोहराब ने लिखा कि संवैधानिक हुनूदी सिस्टम की खुबसूरती; गुजरात के मेहसाणा में 15 अगस्त को कक्षा 10 के टॉपर्स बच्चों को सम्मानित किया जाना था। संवैधानिक संस्था द्वारा टॉपर-1 के छात्रा की जगह पर टॉपर-2 के छात्र को बुला कर सम्मानित किया गया। टॉपर-1 को संवैधानिक संस्था ने केवल इसलिए समान्नित नहीं किया क्योंकि छात्रा मुसलमान है।
संवैधानिक हुनूदी सिस्टम की खुबसूरती;
गुजरात के मेहसाणा में 15 अगस्त को कक्षा 10 के टॉपर्स बच्चों को सम्मानित किया जाना था।
संवैधानिक संस्था द्वारा टॉपर-1 के छात्रा की जगह पर टॉपर-2 के छात्र को बुला कर सम्मानित किया गया।
टॉपर-1 को संवैधानिक संस्था ने केवल इसलिए समान्नित नहीं… pic.twitter.com/yAZmzap3mF— Ali Sohrab (@007AliSohrab) August 18, 2023
मुस्लिम स्पेस ने लिखा कि गुजरात: एक मुस्लिम छात्रा ने अपनी कक्षा में टॉप किया, लेकिन पुरस्कार समारोह में उसका नाम नहीं बताया गया! केवल दूसरे नंबर के पुरस्कार विजेताओं के नाम बताए गए! वो रोई; शिक्षकों ने उसके माता-पिता से कहा कि उसे ‘बाद में’ पुरस्कार मिलेगा! वह पुरस्कार नहीं चाहती थी; वह मान्यता चाहती थी, जिसे उसके स्कूल ने अस्वीकार कर दिया!
Gujarat: A Muslim girl student topped her class, but at prize ceremony, she wasn’t named! Only winners of prizes from 2nd number were named! She cried; teachers told her parents she’d get a prize ‘later’! She didn’t want the prize; she wanted recognition, which her school denied! pic.twitter.com/g85X1kvLHW
— Muslim Spaces (@MuslimSpaces) August 18, 2023
एक गुजराती यूट्यूब चैनल ‘JAMAWAT’ के यूट्यूब चैनल पर भी इस सम्बन्ध में रिपोर्ट है। वीडियो के टाइटल में लिखा, “10वीं क्लास में पढ़ने वाली एक लड़की पहला नंबर पर आई, लेकिन लड़की मुस्लिम थी इसलिए इनाम नहीं दिया गया! यह कैसी व्यवस्था है?” इस रिपोर्ट में पत्रकार देवांशी जोशी ने वीडियो कहती है, ”हम देश में एक लड़की के खिलाफ नफरत और भेदभाव का माहौल बनाने के लिए क्या कर रहे हैं क्योंकि वह मुस्लिम है?”
इसके अलावा इसी दावे के साथ आमिर खान, मोहम्मद हुसैन, तरन्नुम बानो, पॉल कोशी, सत्य प्रकाश भारती, Spirit of Congres, वसीम अकरम त्यागी, मिराज हुसैन ने ट्वीट किया है। साथ ही मिल्लत टाइम्स, द वायर, मेकटूब ने भी इस रिपोर्ट को प्रकाशित किया है।
क्या है हकीकत? पड़ताल में हमने देखा कि मीडिया रिपोर्ट्स में यह मामला ‘श्री केटी पटेल स्मृति स्कूल’ का बताया गया है। यह स्कूल मेहसाणा जिले के लुनवा गांव में है। हमने एक स्थानीय पत्रकार के जरिए स्कूल के प्रिंसिपल अनिल पटेल से सम्पर्क किया। अनिल पटेल ने हमे बताया कि 15 अगस्त 2023 को स्कूल में छात्रों को सम्मानित करने का कार्यक्रम 11th के क्लास टीचर ने किया था। इस कार्यक्रम में हाईस्कूल में सर्वाधिक अंक लाने वाले टॉप-3 बच्चों को पुरुस्कार मिला।
हमने जब उनसे पूछा कि आपने अर्नाज़बानू को पुरुस्कार क्यों नहीं दिया? तो उन्होंने बताया कि हमारा स्कूल 9-12th तक है। अर्नाज़बानू ने दसवीं पास करने के बाद स्कूल छोड़ दिया था। इसी साल जून 2023 में उसने दूसरे स्कूल ‘केएन पटेल सर्वोदय हाईस्कूल’ में एडमिशन ले लिया था। जबकि यह कार्यक्रम मौजूदा वक्त में स्कूल में पढ़ रहे स्टूडेंट्स के लिए रखा गया था।
प्रिंसिपल ने बताया कि हर स्कूल या कॉलेज में वार्षिकोत्सव-दीक्षांत समारोह होता है, इसी तरह हमारे यहाँ स्टूडेंट्स को सम्मानित करने का आधिकारिक कार्यक्रम 26 जनवरी को किया जाता है। अर्नाज़बानू ने इसी साल हाईस्कूल टॉप किया है, इस हिसाब से उसे अगले वर्ष 26 जनवरी 2024 को पुरुस्कृत किया जाएगा।
अनिल पटेल ने हमने बताया कि उनके स्कूल में 50 फीसद स्टूडेंट्स मुस्लिम समुदाय से हैं। इससे पहले तक कभी इस तरह का भेदभाव का आरोप नहीं लगाया गया। हम अपने स्कूल के किसी स्टूडेंट के साथ भेदभाव नहीं करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर अर्नाज़बानू को 15 अगस्त को पुरस्कार की उम्मीद थी तो हम अपनी गलती मानते हैं लेकिन हमने उसके साथ कोई भेदभाव नहीं किया है। उसके माता-पिता को गलतफहमी हुई है, 15 अगस्त का कार्यक्रम सिर्फ मौजूदा वक्त में स्कूल में पढ़ रहे स्टूडेंट्स के लिए क्लास टीचर ने रखा था।
हमने प्रिंसिपल से पूछा कि 15 अगस्त को अर्नाज़बानू आपके स्कूल आई थी? उन्होंने बताया कि उसके पिता ऐसा दावा कर रहे हैं लेकिन उसकी किसी शिक्षक से मुलाकात नहीं हुई है। मीडिया में उसके इंटरव्यू की जो तस्वीर है, उसमे वो दूसरे स्कूल की यूनीफ़ॉर्म में है।
इसके बाद हमे अनिल पटेल ने अपने स्कूल की छात्राओं के लिए निर्धारित यूनीफ़ॉर्म की तस्वीर भेजी। हमने इस तस्वीर को अर्नाज़बानू की मीडिया में हाल ही तस्वीर से तुलना की तो पाया दोनों तस्वीरों में छात्राओं की यूनीफ़ॉर्म अलग-अलग है।
हमने अपनी पड़ताल में स्थानीय पत्रकार के जरिए लुनवा गाँव के निवासी प्रोसेसर नियाज से सम्पर्क किया। नियाज ने हमे बताया कि वो एम एन कॉलेज विशनगर में हिंदी के प्रोफेसर हैं। साथ ही लुनवा गांव में रहते हैं। उन्होंने बताया कि ‘श्री केटी पटेल स्मृति स्कूल’ करीबन 50 वर्ष पुराना है। स्कूल के संस्थापक केटी पटेल के खानदान ने कभी किसी स्टूडेंट को हिन्दू मुस्लिम के नजरिए से नहीं देखा। स्कूल में सभी को बराबर का सम्मान मिलता है। उन्होंने कहा कि राजनैतिक मंसूबो के लिए इस मामले को गलत तरह से तूल नहीं देना चाहिए।
निष्कर्ष:पड़ताल से स्पष्ट है कि मेहसाणा के स्कूल में मुस्लिम छात्रा के साथ भेदभाव का दावा भ्रामक है, 15 अगस्त 2023 को स्कूल में पढने वाले स्टूडेंट्स को क्लास टीचर ने पुरस्कार दिए गए थे जबकि मुस्लिम छात्रा अर्नाज़बानू अब ‘श्री केटी पटेल स्मृति स्कूल’ में नहीं पढ़ती है।
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