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24 Dec 2024, Tue

फैक्ट चेक: प्रधानमंत्री मोदी ने भजन-कीर्तन से कुपोषण खत्म करने की बात नहीं कही है

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 92वें ऐपिसोड के जरिए देश के लोगों को संबोधित किया। पीएम ने सितंबर में हर साल मनाए जाने वाले पोषण माह में देश से कुपोषण को खत्म करने के लिए सरकार के प्रयासों में भाग लेने का आग्रह किया है। पीएम मोदी के इसी कार्यक्रम को लेकर द वायर ने ‘प्रिय पीएम मोदी: अच्छा खाना कम करेगा कुपोषण का बोझ, भजन नहीं’ शीर्षक से एक आर्टिकल प्रकाशित किया है।  

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में सेंटर ऑफ़ सोशल मेडिसिन एंड कम्युनिटी हेल्थ के पीएचडी स्कॉलर पंकज कुमार मिश्रा द्वारा लिखे गए इस आर्टिकल में लिखा, ’28 अगस्त को अपने ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम के 92 वें एपिसोड में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर में ‘मेरा बच्चा’ अभियान और अच्छे पोषण का कारण ‘पोषण माह’ मनाने के बारे में बात की थी। उन्होंने यह भी कहा कि भजन करने और भक्ति गीत गाने से कुपोषण के बोझ को कम करने में मदद मिल सकती है।

In the 92nd episode of ‘Mann ki Baat’, Prime Minister Narendra Modi said conducting bhajans can be part of the solutions to reducing malnutrition.https://t.co/5auY1vMAvZ

— The Wire (@thewire_in) August 30, 2022

सार्वजनिक डोमेन में बहुत सारे सबूत हैं जो कहते हैं कि भारत के लोगों के पोषण और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले भोजन की उपलब्धता, पहुंच और सामर्थ्य महत्वपूर्ण है। हालाँकि, भजन के बारे में कुछ भी नहीं है।

इस आर्टिकल को साझा करते हुए पत्रकार अजीत अंजुम ने  लिखा, ‘अगर मोदी जी ने ऐसा कहा भी तो दिक्कत क्या है आपको?
भजन और भोजन में कुछ मात्राएं ही तो इधर उधर हैं

हो सके तो हवन करेंगे गाना भी सुना करें

अगर मोदी जी ने ऐसा कहा भी तो दिक्कत क्या है आपको ?
भजन और भोजन में कुछ मात्राएं ही तो इधर उधर हैं .
हो सके तो हवन करेंगे गाना भी सुना करें .. https://t.co/nvO6XHg3pp

— Ajit Anjum (@ajitanjum) August 31, 2022

क्या है हकीकत: हमसे सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम को यूट्यूब पर सर्च किया। इस वीडियो में 11:12 मिनट पर पीएम कहते हैं, ”मेरे प्यारे देशवासियो, असम के बोंगाई गाँव में एक दिलचस्प परियोजना चलाई जा रही है– प्रोजेक्ट सम्पूर्णा। इस प्रोजेक्ट का मकसद है कुपोषण के खिलाफ लड़ाई और इस लड़ाई का तरीका भी बहुत यूनिक है। इसके तहत, किसी आंगनबाड़ी केंद्र के एक स्वस्थ बच्चे की माँ, एक कुपोषित बच्चे की माँ से हर सप्ताह मिलती है और पोषण से संबंधित सारी जानकारियों पर चर्चा करती है। यानी, एक माँ, दूसरी माँ की मित्र बन, उसकी मदद करती है, उसे सीख देती है। इस प्रोजेक्ट की मदद से, इस क्षेत्र में, एक साल में, 90 प्रतिशत से ज्यादा बच्चों में कुपोषण दूर हुआ है।”

पीएम ने आगे कहा, ”आप कल्पना कर सकते हैं, क्या कुपोषण दूर करने में गीत-संगीत और भजन का भी इस्तेमाल हो सकता है? मध्य प्रदेश के दतिया जिले में “मेरा बच्चा अभियान”! इस “मेरा बच्चा अभियान” में इसका सफलतापूर्वक प्रयोग किया गया। इसके तहत, जिले में भजन-कीर्तन आयोजित हुए, जिसमें पोषण गुरु कहलाने वाले शिक्षकों को बुलाया गया। एक मटका कार्यक्रम भी हुआ, इसमें महिलाएँ, आंगनबाड़ी केंद्र के लिए मुट्ठी भर अनाज लेकर आती हैं और इसी अनाज से शनिवार को ‘बालभोज’ का आयोजन होता है। इससे आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ने के साथ ही कुपोषण भी कम हुआ है।”

In the series of festivals coming up, there’s one more which I want to draw your attention to…this one is aimed at eliminating malnutrition. #MannKiBaat pic.twitter.com/na1c24Eg1I

— Narendra Modi (@narendramodi) August 28, 2022

जाहिर है कि यहाँ पीएम मोदी ने ऐसा नहीं कहा कि भजन-कीर्तन से कुपोषण खत्म हो जाएगा, बल्कि उन्होंने बताया कि कैसे कुपोषण खत्म करने और पोषण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए एक अभियान भजन-कीर्तन का भी प्रयोग किया गया। उन्होंने इसके बाद झारखंड के भी एक अभियान जिक्र किया।  

पीएम ने कहा, ”कुपोषण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए एक यूनिक अभियान झारखंड में भी चल रहा है। झारखंड के गिरिडीह में सांप-सीढ़ी का एक गेम तैयार किया गया है। खेल-खेल में बच्चे, अच्छी और खराब आदतों के बारे में सीखते हैं।’  पीएम मोदी आगे कहते हैं कि साथियो, कुपोषण से जुड़े इतने सारे अभिनव प्रयोगों के बारे में,  मैं आपको इसीलिये बता रहा हूँ, क्योंकि हम सब को भी, आने वाले महीने में, इस अभियान से जुड़ना है। सितम्बर का महीना त्योहारों के साथ-साथ पोषण से जुड़े बड़े अभियान को भी समर्पित है। हम हर साल 1 से 30 सितम्बर के बीच पोषण माह मनाते हैं। कुपोषण के खिलाफ पूरे देश में अनेक क्रिएटिव और विविध प्रयास किए जा रहे हैं। टेक्नोलॉजी का बेहतर इस्तेमाल और जन-भागीदारी भी, पोषण अभियान का महत्वपूर्ण हिस्सा बना है। देश में लाखों आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को मोबाइल डिवाइस  देने से लेकर आंगनबाड़ी सेवाओं की पहुँच को मोनिटर करने के लिए पोषण ट्रेकर भी लाँच किया गया है। सभी Aspirational Districts और North East के राज्यों में 14 से 18 साल की बेटियों को भी, पोषण अभियान के दायरे में लाया गया है।   

पीएम ने आगे कहा कि कुपोषण की समस्या का निराकरण इन कदमों तक ही सीमित नहीं है – इस लड़ाई में दूसरी कई और पहल की भी अहम भूमिका है। उदाहरण के तौर पर जल जीवन मिशन को ही लें, तो भारत को कुपोषण मुक्त कराने में इस मिशन का भी बहुत बड़ा असर होने वाला है। कुपोषण की चुनौतियों से निपटने में, सामाजिक जागरूकता से जुड़े प्रयास, महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मैं आप सभी से आग्रह करूँगा कि आप आने वाले पोषण माह में कुपोषण या Malnutrition को दूर करने के प्रयासों में हिस्सा जरुर लें।  

पीएम मोदी ने मिनट पर कहा कि आजकल, युवा-पीढ़ी,  हेल्थी जिंदगी और खाने को लेकर बहुत फोकस्ड है। इस हिसाब से भी देखेँ तो, Millets में, भरपूर प्रोतिंग, Fibre और Minerals मौजूद होते हैं। कई लोग तो इसे, सुपर फूड भी बोलते हैं। Millets से एक नहीं, अनेक लाभ हैं। Obesity को कम करने के साथ ही Diabetes, Hypertension और Heart related diseases के खतरे को भी कम करते हैं। इसके साथ ही ये पेट और लीवर की बीमारियों से बचाव में भी मददगार हैं। थोड़ी देर पहले ही हमने कुपोषण के बारे में बात की है। कुपोषण से लड़ने में भी Millets काफी लाभदायक हैं, क्योंकि ये प्रोटीन के साथ-साथ एनर्जी से भी भरे होते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्यप्रदेश के दतिया के जिस अभियान का जिक्र
है, उस पर अमर उजाला ने रिपोर्ट प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट में दतिया
कलेक्टर संजय कुमार ने बताया कि यह कुपोषण से सुपोषण की यात्रा का अभियान
है। इसमें जागरूकता के साथ जनभागीदारी से सफलता पाई गई। महिला एवं बाल विकास के पोषण अभियान के लिए दतिया कलेक्टर संजय कुमार को ‘प्रधानमंत्री एक्सीलेंस अवॉर्ड 2021’ अवार्ड भी मिल चुका है।

रिपोर्ट में
बताया गया है कि दतिया के 650 गांव में कुपोषित बच्चों को लेकर परिवार को
जागरूक करने की पहल की। इसके लिए गांव की भजन मंडली को जोड़ा गया। उनसे
लोकल बोली में गीतों से जागरूक करने की शुरुआत की गई। पोषण वाटिका लगा कर
उत्पादित सब्जियों को कुपोषित बच्चे के परिवार को प्रदान की गई। स्थानीय
लोगों को कुपोषित बच्चों की जिम्मेदारी दी गई। अभी कई लोग पूरा गांव की
जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। गंभीर कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्रों
में भर्ती करा कर इलाज कराया गया। ब्लॉक स्तर पर सुपोषण मेला लगाया गया।
इसमें स्वास्थ्य की जांच से लेकर बच्चों के आहार के बारे में सहायता प्रदान
की जा रही है। मेरा बच्चों का प्रोफाइल नाम से रिकॉर्ड रखा जा रहा है।
इसका असर यह हुआ कि एक से डेढ़ साल में अति कम वजन, कम वजन के बच्चों की
संख्या में तेजी से गिरावट आई।

निष्कर्ष: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में भजन-कीर्तन से कुपोषण खत्म करने की बात नहीं कही है बल्कि वो इसके लिए चलाए जा रहे जागरूकता अभियानों की बात कर रहे थे

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