राष्ट्रपति भवन का प्रसिद्ध ‘मुगल गार्डन’ अब ‘अमृत उद्यान’ के नाम से जाना जाएगा। शनिवार को जारी एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई। यह उद्यान साल में एक बार जनता के लिए खुलता है और लोग इस बार 31 जनवरी से इस उद्यान को देखने जा सकते हैं। इस बीच एक पत्रकार वसीम अकरम त्यागी ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने अंग्रेजों के नाम पर बनी किसी भी शहर, सड़क इमारत का नाम नही बदला है।
वसीम ने ट्वीट कर लिखा कि BJP सरकार ने भारत को ग़ुलाम बनाने वाले अंग्रेज़ो के नाम पर बनी किसी भी शहर, सड़क इमारत का नाम नही बदला है। हां! अपने वोट बैंक के तुष्टिकरण के लिए पहले औरंगज़ेब रोड का नाम बदला गया और अब मुग़ल गार्डन का नाम बदल दिया गया। मुग़लों से क्या दुश्मनी है, और अंग्रेज़ो से कौनसी दोस्ती है?
BJP सरकार ने भारत को ग़ुलाम बनाने वाले अंग्रेज़ो के नाम पर बनी किसी भी शहर, सड़क इमारत का नाम नही बदला है। हां! अपने वोट बैंक के तुष्टिकरण के लिए पहले औरंगज़ेब रोड का नाम बदला गया और अब मुग़ल गार्डन का नाम बदल दिया गया। मुग़लों से क्या दुश्मनी है, और अंग्रेज़ो से कौनसी दोस्ती है?
— Wasim Akram Tyagi (@WasimAkramTyagi) January 28, 2023
क्या है हकीकत: पड़ताल में हमने इससे सम्बन्धित कीवर्ड्स को गूगल पर सर्च किया तो हमे अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स मिली। इन रिपोर्ट्स में बताया है कि केंद्र की भाजपा सरकार ने कई औपनिवेशिक विरासतों के नाम और गुलामी के प्रतीकों को बदला है। NBT, NEWS18, दैनिक जागरण, ABP NEWS, INDIA TV की रिपोर्ट में बताया गया है,
- मोदी सरकार ने 2016 में रेस कोर्स रोड का नाम लोक कल्याण मार्ग कर दिया था। रेस कोर्स नाम अंग्रेजों का दिया था। 2017 में डलहौजी रोड को दारा शिकोह रोड का नाम दिया गया। हाइफा युद्ध के नायकों को सम्मान देने के लिए 2018 में तीन मूर्ति चौक के नाम में हाइफा जोड़ा गया, अब ये चौक तीन मूर्ति हाइफा चौक के नाम से जाना जाता है। पहले किंग्सवे और फिर राजपथ के नाम से जानी जाने वाली लुटियंस वाली दिल्ली की ऐतिहासिक सड़क का नाम अब कर्तव्य पथ हो गया है। कर्जन रोड को बदलकर कस्तूरबा रोड कर दिया गया।
- साल 2018 में पीएम मोदी की पहल पर अंडमान निकोबार के रॉस द्वीप का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप, नील द्वीप का नाम शहीद द्वीप और हेवलॉक द्वीप का नाम स्वराज द्वीप किया गया।
- गणतंत्र दिवस समारोह के समापन ‘बीटिंग द रिट्रीट’ में भारतीय सेनाओं के बैंड ‘अबाइड विद मी’ धुन बजाते आ रहे थे। स्कॉटिश कवि हेनरी फ्रांसिस लिटे की 1847 में लिखी ये धुन ना सिर्फ उदासी भरी धुन थी बल्कि इसे दुख या मातम के समय ही बजाया जाता था। 29 जनवरी को मोदी सरकार ने इस धुन की जगह कवि प्रदीप के लिखे गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ को बीटिंग द रिट्रीट में शामिल किया। इससे पहले 2015 में बीटिंग द रिट्रीट में भारतीय म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स सितार, संतूर और तबला को पहली बार शामिल कर समारोह में भारतीय रंग और धुन भरे गए।
- प्रधानमंत्री मोदी ने इंडिया गेट की ग्रैंड कैनोपी में आज़ादी के महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भव्य प्रतिमा का भी अनावरण किया। इसी साल 23 जनवरी को नेताजी की जयंती पर यहां उनकी होलोग्राफिक प्रतिमा लगाई गई थी, जिसे अब एक पत्थर से बनी स्थायी मूर्ति में बदल दिया गया है। ये वही ग्रैंड कैनोपी है, जहां 1960 के दशक तक ब्रिटिश सत्ता के प्रतिनिधि जार्ज पंचम की मूर्ति लगी हुई थी।
- भारतीय नौसेना के झंडे में किंग जॉर्ज का क्रॉस रहता था। अब नौसेना के नए ध्वज में छत्रपति शिवाजी महाराज की मोहर लगाई गई। 26 जनवरी 1950 को ध्वज के पैटर्न में सिर्फ भारतीयकृत में बदला गया था। ध्वज में यूनियन जैक को तिरंगे से बदल दिया गया था। जार्ज क्रास को हूबहू छोड़ दिया गया था। अब इसी को बदल दिया गया है।
- सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने 1500 से भी ज्यादा पुराने और निष्प्रभावी कानूनों को खत्म कर दिया है। इनमें कई कानून ब्रिटिश राज के दौरान सिर्फ आम भारतीयों पर जुल्म ढाने के लिए बनाए गए थे।
निष्कर्ष: भाजपा सरकार ने मुगलों के साथ साथ अंग्रेजी विरासतों का नाम भी बदला है।