सूडानी प्रधानमंत्री अब्दुल्ला हमदोक |
खार्तूम। सूडान की सरकार ने देश में 30 वर्षों के इस्लामी
शासन को समाप्त करते हुए राज्य से अलग धर्म को स्वीकार कर लिया है। उत्तर
विद्रोही समूह के सूडान पीपुल्स लिबरेशन मूवमेंट के नेता अब्देल-अजीज
अल-हिलू और सूडानी प्रधानमंत्री अब्दुल्ला हमदोक ने गुरुवार को इथियोपिया
की राजधानी अदीस अबाबा में घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए।
सूडान की
सरकार और विद्रोही बलों ने 17 साल के क्रूर संघर्ष को समाप्त करने के लिए
सोमवार को एक ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस घोषणापत्र में
कहा गया है कि सूडान एक लोकतांत्रिक देश बनने के लिए जहां सभी नागरिकों के
अधिकारों को सुनिश्चित किया जाता है, संविधान ‘धर्म और राज्य के अलगाव’ के
सिद्धांत पर आधारित होना चाहिए, जिसके अभाव में आत्मनिर्णय के अधिकार का
सम्मान किया जाना चाहिए।
सूडान में सुधारवादी आंदोलन की शुरुआत
पिछले वर्ष से हो गयी थी। पिछले साल बड़े आंदोलन के बाद उमर अल-बशीर के
शासन को उखाड़ फेंका गया। तख्तापलट के बाद देश में बनी अंतरिम सरकार ने
अप्रैल के महीने में महिलाओं के खतने को प्रतिबन्धित कर दिया। इसके साथ ही
सरकार ने गैर-मुस्लिमों को शराब पीने का अधिकार, इस्लाम त्यागने का अधिकार,
महिलाओं को बिना पुरुष रिश्तेदारों के सफर करने का अधिकार भी दिया। देश के
न्याय मंत्री नसरुद्दीन अब्दुलबरी ने कहा कि ऐसे सभी कानूनों को खत्म किया
जा रहा है जिनसे मानवाधिकार उल्लंघन होता है।
संयुक्त राष्ट्र की
रिपोर्ट के मुताबिक सूडान में 10 में से 9 महिलाओं का खतना किया जाता था।
खतना एक ऐसी परंपरा होती है जिसमें महिलाओं के प्राइवेट पार्ट या उसके एक
हिस्से को काट दिया जाता है। न सिर्फ यह प्रक्रिया दर्दनाक होती है बल्कि
बेहद खतरनाक भी। कई मामलों में बच्चियों की जान तक चली जाती है।
सूडान
में इस्लामिक कानून के तहत इस्लाम को त्यागने पर मौत की सजा भी हो सकती
थी। अब्दुलबरी ने कहा कि पहले का कानून की सुरक्षा के लिए खतरा था। इसके
अलावा देश में पहले कई अपराधों के लिए सार्वजनिक रूप से सजा दी जाती थी,
जिसे अब खत्म कर दिया गया है। अब किसी महिला को बिना पुरुष रिश्तेदार के
सफर करने की इजाजत भी दे दी गई है। इससे पहले नवंबर में ऐसा प्रतिबंध को
हटा लिया गया था जिसमें महिलाओं को सार्वजनिक तौर पर कैसे पहनना-ओढ़ना है
और व्यवहार करना है, यह तय किया गया था।
सूडान में करीब 30 साल तक
कट्टर इस्लामिक शासन रहा। 1983 में तत्कालीन राष्ट्रपति जफर निमेरी
इस्लामिक कानून लेकर आए थे। उन्होंने तब नील नदी में विस्की की बोतलें
फेंककर शराब पर पाबंदी लगाई थी। बशीर ने सत्ता में आने के बाद इस्लामिक
कानूनों को जारी रखा था। संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों के अनुसार, पूर्व राष्ट्रपति उमर अल-बशीर की
सेनाओं के बीच लड़ाई, मित्र देशों द्वारा समर्थित और विभिन्न विद्रोही
आंदोलनों ने लगभग 300,000 लोगों की जान ले ली। संयुक्त राज्य अमेरिका ने
सूडान को 1993 में एक आतंकवादी प्रायोजक घोषित किया और बाद में 2017 तक
प्रतिबंध लगा दिया था।