Breaking
24 Dec 2024, Tue

पश्चिम बंगाल चुनाव में ‘जय श्री राम’ के नारे लगाने वालों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज

 

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में “जय श्री राम” के नारे पर रोक लगाने और ऐसे नारे लगाने वाली पार्टी के नेताओं के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई करने के आदेश वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। साथ ही राज्य में आठ चरणों में विधानसभा चुनाव कराने के चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी।


भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यम की खंडपीठ ने अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में कहा गया था कि पश्चिम बंगाल के चुनाव में बीजेपी के वरिष्ठ नेता चुनावी सभाओं और रैलियों में “जय श्री राम ” के नारे लगा रहे हैं. यह आदर्श आचार संहिता और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 का उल्लंघन है. लिहाज़ा उनके खिलाफ FIR दर्ज कर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। याचिका में बीजेपी नेता अमित शाह और शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज करने के आदेश देेने की भी मांग की गई थी।


इसी याचिका में आठ चरणों में पश्चिम बंगाल चुनाव कराने के चुनाव आयोग के आदेश को भी चुनौती दी गई थी, शर्मा
ने अपनी याचिका में कहा कि एक ही समय में दो अन्य राज्यों केरल और
तमिलनाडु और एक केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में एक ही चरण में चुनाव होने
हैं। दूसरे राज्य, असम में चुनाव 3 चरणों में आयोजित किया जाना है। इस
प्रकार शर्मा ने दावा किया कि 8 चरणों में अकेले पश्चिम बंगाल के लिए
चुनाव कराना संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन
है। जिसको कोर्ट ने खारिज कर दिया।

सीजेआई ने याचिकाकर्ता से पूछा कि आप हाईकोर्ट क्यों नहीं गए? याचिकाकर्ता वकील ने कहा कि, मैं राज्य की शांति व्यवस्था समेत कई अन्य मसले भी कोर्ट के सामने लेकर आया हूं। सीजेआई ने कहा कि आप पहले हाईकोर्ट जाइये।


याचिकाकर्ता ने दलील दी कि 1996 के महेंद्र सिंह गिल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि चुनाव के नोटिफिकेशन के बाद हाईकोर्ट चुनाव संबंधी याचिका पर सुनवाई नहीं कर सकता। सीजेआई ने कहा कि हाईकोर्ट के पास यह अधिकार है। आप हमें बताये कि पूर्व के फैसले में ऐसा कहां कहा गया है? याचिकाकर्ता ने जो पैरा पढ़ा उसमें ऐसा कुछ नहीं था तो कोर्ट ने टोका। तब वकील ने सुप्रीम कोर्ट रूलिंग पढ़नी शुरू कर दी। लेकिन वो भी उनकी याचिका और प्रेयर से मेल नहीं खा रही थी। इस पर कोर्ट ने कहा कि हम आपकी इन दलीलों से सहमत नहीं हैं, याचिका खारिज की जाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *