सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल है। इस वीडियो के साथ लोग दावा कर रहे हैं कि एक 71 साल का बुड्डा 21 साल की लड़की के साथ अय्याशी कर रहा है।
ज्योत्सना यादव ने एक्स पर वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, ’71 साल का बुड्ढा,, ओर 21 साल की लड़की,, जय हो। अभी क्या क्या देखना पड़ेगा’
71 साल का बुड्ढा,, ओर 21 साल की लड़की,, जय हो। अभी क्या क्या देखना पड़ेगा pic.twitter.com/QRgLL8pvhB
— Jyotsana Yadav (Jyoti) (@DrJyotsana51400) April 20, 2025
करिश्मा अजीज ने लिखा, ’71 साल का बुड्ढा ओर 21 साल की लड़की…लड़को क्या अब भी जीना चाहते हो’
71 साल का बुड्ढा ओर 21 साल की लड़की…
— Karishma Aziz (@Karishma_voice) April 20, 2025
लड़को क्या अब भी जीना चाहते हो…😅pic.twitter.com/UeCdlfldLV
क्या है हकीकत? पड़ताल में हमने वायरल के वीडियो के अलग अलग स्क्रीनशॉट को गूगल रिवर्स सर्च किया तो यह वीडियो इन्स्टाग्राम पर मिला। इस वीडियो को ‘Damansma‘ नाम एक यूजर ने पोस्ट किया था। वीडियो को पोस्ट करते हुए ‘पिता’ लिखा गया है। हालाँकि इस अकाउंट की भाषा अंग्रेजी या हिंदी नहीं हैं इसीलिए हम नीचे ट्रांसलेशन का स्क्रीनशॉट लगा रहे हैं।

वहीं इस अकाउंट की बाओ में लिखा है कि आइए महान दुःख को महान कार्य में बदल दें। मैं गुलनाज़ हूँ, यहाँ अपने पिता के मनोभ्रंश की देखभाल के अपने अनुभव को साझा करने के लिए, जिसका उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना और दूसरों की मदद करना है।

इसके बाद हमे इस अकाउंट पर एक पिन पोस्ट भी मिला। इस पोस्ट में गुलनाज़ ने बताया है कि उनके पिता को ‘Dementia’ नाम की बीमारी है। डिमेंशिया से पीड़ित लोगों की बीमारी की प्रगति की रफ्तार पर हजारों कारक असर डालते हैं, जिनमें से शायद कुछ ही (उंगलियों पर गिने जाने लायक) को हम नियंत्रित कर सकते हैं। और अगर हम हर दिन सिर्फ इस उम्मीद में बैठे रहें कि बीमारी रुक जाएगी, तो हम सिर्फ अपने प्रियजनों के साथ बिताए जाने वाले लम्हों को खो देंगे। डिमेंशिया से पीड़ित व्यक्ति आज एक पूरा वाक्य बोल पाए, लेकिन छह महीने बाद शायद सिर्फ एक शब्द ही बोल सके। इसलिए अवसर को हाथ से न जाने दें। कई बार विश्वास करना मुश्किल होता है कि शरीर की हर क्रिया या प्रतिक्रिया का आदेश हमारे शरीर के ‘सुपरपावर’ यानी मस्तिष्क से आता है। और जब यह मस्तिष्क ही क्षतिग्रस्त या क्षीण होने लगे, तो वे काम जो पहले बहुत आसान लगते थे, एक कठिन चुनौती बन जाते हैं।

गुलनाज़ ने लिखा है कि अब जब मैं हर दिन पापा के साथ वक्त बिताती हूँ, तो मैं अपने दिल में खुद को याद दिलाती हूँ — आज का पूरा लुत्फ उठा, और जब दिन खत्म हो, तो दिल में ये संतोष हो कि तूने हर लम्हा जिया और डिमेंशिया के नाम एक भी अधूरा पल नहीं छोड़ा।