बीते दिनों उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर के धमरावली गांव में 20 फरवरी को दलित परिवार की बारात में विवाद हुआ। लोगों का आरोप है कि ठाकुर समाज के लोगों को दलितों के बारात में डीजे बजाने से दिक्कत है। वो नीची जाति के जाटवों की बारात चढाने के खिलाफ हैं।
सूरज कुमार बौद्ध ने एक्स पर लिखा, ‘ठाकुरशाही दंश! बुलंदशहर, यूपी में दलित युवक घोड़ी पर चढ़ा और बारातियों ने DJ बजाया तो ठाकुरों ने लाठी-डंडों से उन पर हमला कर दिया। हमले में कई दलित घायल हैं। हिंदू धर्म में दलितों की औकात यही है जहां वे शांति से अपनी खुशियां भी नहीं मना सकते। यह आतंक है।’
ठाकुरशाही दंश!
— Suraj Kumar Bauddh (@SurajKrBauddh) February 21, 2025
बुलंदशहर, यूपी में दलित युवक घोड़ी पर चढ़ा और बारातियों ने DJ बजाया तो ठाकुरों ने लाठी-डंडों से उन पर हमला कर दिया। हमले में कई दलित घायल हैं।
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कविता यादव ने लिखा, ‘बुलंदशहर में एक दलित दूल्हे को घोड़े से खींच कर नीचे उतरा और बारात पर उच्च जाति के लोगों ने हमला कर दिया क्योंकि उसने जश्न मनाने की हिम्मत की थी। दूल्हे को पीट पीट कर अपमानित किया गया और जान से मारने की धमकी दी गई। यही 2025 के भारत में जातिगत उत्पीड़न की वास्तविकता है।’
बुलंदशहर में एक दलित दूल्हे को घोड़े से खींच कर नीचे उतरा और बारात पर उच्च जाति के लोगों ने हमला कर दिया क्योंकि उसने जश्न मनाने की हिम्मत की थी। दूल्हे को पीट पीट कर अपमानित किया गया और जान से मारने की धमकी दी गई।
— Kavita Yadav (@kavitima) February 23, 2025
यही 2025 के भारत 🇮🇳 में जातिगत उत्पीड़न की वास्तविकता है। pic.twitter.com/rGoSVHqD0S
जयदास ने लिखा, ‘जातिवादी मानसिकता पर कब लगेगी रोक? उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में एक दलित युवक की बारात को सिर्फ इसलिए रोका गया क्योंकि वह ठाकुरों के मोहल्ले में डीजे बजाते हुए गुजर रही थी। यह घटना बताती है कि हमारे समाज में जातिवादी सोच कितनी गहरी जड़ें जमा चुकी है। क्या एक दलित युवक को अपनी शादी खुशी से मनाने का हक नहीं? क्या यह लोकतांत्रिक भारत में दोहरी व्यवस्था का उदाहरण नहीं है? संविधान ने सभी को समान अधिकार दिए हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। हर बार ऐसे मामलों में प्रशासनिक कार्रवाई की बातें होती हैं, मगर असली बदलाव सामाजिक स्तर पर चाहिए। जातिवाद सिर्फ उत्पीड़न नहीं, बल्कि हमारे समाज के विकास में सबसे बड़ी बाधा है। जब तक इस मानसिकता पर प्रहार नहीं होगा, तब तक समानता और न्याय केवल किताबों में ही रह जाएंगे।’
जातिवादी मानसिकता पर कब लगेगी रोक?
— Jaydas Manikpuri (@JayManikpuri2) February 23, 2025
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में एक दलित युवक की बारात को सिर्फ इसलिए रोका गया क्योंकि वह ठाकुरों के मोहल्ले में डीजे बजाते हुए गुजर रही थी। यह घटना बताती है कि हमारे समाज में जातिवादी सोच कितनी गहरी जड़ें जमा चुकी है।
क्या एक दलित युवक को अपनी… pic.twitter.com/wti41UCVH6
क्या है हकीकत? पड़ताल में हमे इस सम्बन्ध में अमर उजाला की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट के मुताबिक बुलन्दशहर के देहात कोतवाली क्षेत्र के गांव धमरावली निवासी सुरेंद्र सिंह ने पुलिस को अपने शिकायत में बताया कि बृहस्पतिवार(20 फरवरी) को उनके पुत्र अरुण भारती की शादी थी। शाम करीब सात बजे आंबेडकर पार्क से बरात की निकासी शुरू हुई। रास्ते में प्रधान के पति कृपाल सिंह ने अपने घर के सामने ही करीब 40-50 लोगों के साथ बरात को रोक लिया। आरोपियों ने बरातियों के साथ अभद्रता व जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।

सुरेंद्र सिंह ने बताया कि 16 फरवरी को गांव निवासी भगवत सिंह के पुत्र छोटू की बरात की निकासी (घुड़चढ़ी) हो रही थी। जब बरात गांव की प्रधान के घर के पास पहुंची तो प्रधान के पति कृपाल सिंह ने अन्य लोगों को एकत्रित कर लिया। जिन्होंने बरात में शामिल लोगों के साथ अभद्रता व जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करना शुरू कर दिया। साथ ही आरोपियों ने चामड़ माता के मंदिर का ताला लगा दिया और मोहल्ले में फिर से किसी भी अनुसूचित जाति वर्ग की बरात लाने पर भुगत लेने की धमकी दी थी। उस दिन भी बरात बिना चामड़ माता की पूजा किए ही रवाना हो गई थी।
पुलिस ने तहरीर के आधार पर प्रधान के पति कृपाल सिंह, सचिन, नितिन, प्रदीप, दीपू, गजे सिंह, योगेंद्र, शीलेंद्र, निशांत, अमन, विकास, रमण, संदीप, मनीष, यश, सुशील, विकास, तनिश, दीपक, धर्मेंद्र, नैतिक, मोहित, प्रदीप, विकास, राजकुमार, सौरभ, अभय, रविंद्र भाटी, प्रदीप और दस से 20 अज्ञात आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली है।
ग्राउंड रिपोर्ट: हमने इस सम्बन्ध में स्थानीय पत्रकार की मदद से गांव धमरावली निवासी ऋषिपाल सिंह से सम्पर्क किया। ऋषिपाल सिंह एक टेंट हाउस चलाते हैं। उन्होंने बताया कि साल 2024 में कृष्ण जन्माष्टमी पर शोभायात्रा निकाली गयी थी, जब शोभायात्रा अनुसूचित वर्ग के इलाके में पहुँचीं तो किसी ने रास्ते में लोहे का गाटर डाल दिया। इसको लेकर गांव में विवाद हुआ लेकिन दोनों पक्ष ने शांति से मामला खत्म कर दिया। इस विवाद के बाद गांव के प्रधान के नेतृत्व में पंचायत हुई। इस पंचायत में यह तय हुआ कि गांव में किसी कार्यक्रम में एक दूसरे के इलाकों में जातिवादी-जातिसूचक जैसे आपत्तिजनक गाने नहीं बजाए जाएंगे।
ऋषिपाल सिंह ने बताया कि इस समझौते के बाद पहली बारात 19 जनवरी 2025 को आई। गांव के ठाकुर पक्ष के विजय पाल सिंह की बेटी की शादी थी। इस बारात में समझौते के मुताबिक एक बार फिर तय हुआ कि शादी में जातिसूचक गाना नहीं बजाया जाएगा। शादी भी ठीक से संपन्न हो गयी, किसी ने आपत्तिजनक गाना नहीं बजाया। इसके बाद 6 फरवरी को ठाकुर पक्ष के किरनपाल सिंह के बेटे की शादी थी, इस शादी में जब डीजे गांव में ठाकुर पक्ष के मोहल्ले में घूम रहा था तब जाति का गाना बजाया गया। हमे जब इस मामले की जानकारी हुई तो डीजे संचालक को धमकाकर गाना बंद करवाया।
ऋषिपाल सिंह ने बताया कि 16 फरवरी को ठाकुर पक्ष के गजेन्द्र सिंह के बेटे की शादी थी। गांव से बारात नोएडा के पास गयी थी। ठाकुर समाज के अधिकांश लोग इस शादी में शामिल होने गए हुए थे। इसी तारीख को गांव में दलित पक्ष के परिवार में एक शादी थी। 16 फरवरी की देर शाम डीजे जब ठाकुर पक्ष के मोहल्ले से गुजर रहा था, इसी दौरान विवाद हुआ। इस विवाद में दोनों पक्षों से ज्यादातार बच्चे ही शामिल थे। सूचना पर पुलिस भी पहुँच गयी और मामला शांत करवा दिया गया।
वहीं 20 फरवरी की घटना को लेकर ऋषिपाल सिंह ने बताया कि सुरेंद्र सिंह की बेटे की शादी के दौरान ठाकुर पक्ष के इलाके से बारात घूम रही थी। बारात में शामिल डीजे पर तेज आवाज में ‘पीतल भर देंगे….’ जैसे आपत्तिजनक गाने बजाए जा रहे थे। दूसरे पक्ष ने जब स्कूल में परीक्षा का हवाला देते हुए तेज आवाज पर आपत्ति व्यक्त की तो दोनों पक्षों में विवाद हो गया। इसी मामले में पुलिस ने केस दर्ज किया है।
ऋषिपाल सिंह ने बताया कि दोनों पक्ष में करीबन 10 उपद्रवी बच्चे हैं। आपत्तिजनक गानों से इन बच्चों ने यह सारा विवाद खड़ा किया है। ‘पीतल भर देंगे….. जाटव का लड़का छोरी ले जाएगा… ठाकुर को लड़का छोरी ले जाएगा…..’ जैसे गाने बजाए जाते हैं। इसकी सजा गांव के सभी लोग भुगत रहे हैं।
इसके बाद हमने गांव के ठाकुर पक्ष के एक छात्र से बात की। सचिन ठाकुर(बदला हुआ नाम) ने बताया कि धमरावली गांव में दोनों पक्षों के अलग अलग मोहल्ले हैं। बीते साल जन्माष्टमी पर शोभायात्रा गांव में घूम रही थी, तब डीजे संचालक ने राजपूत जाति का गाना चलाया था। हम लोगों ने उसे डांट दिया। तब दोनों पक्षों में विवाद हुआ।
सचिन ठाकुर ने बताया कि इस घटनाक्रम के बाद दोनों पक्षों में एक दूसरे के मोहल्लों में जातिसूचक गाने न बजाने को लेकर समझौता हुआ। गांव के प्रधान ने इस समझौते पर दोनों पक्षों के हस्ताक्षर लेकर पुलिस को बता दिया था। इसके बावजूद 16 फरवरी को दलित पक्ष के लोगों ने ठाकुर पक्ष के मोहल्ले में जातिसूचक गाने बजाकर हुडदंग किया। एक दीवार पर महाराणा प्रताप का पोस्टर लगा हुआ है, उस ओर इशारेबाजी कर जातिसूचक शब्द लिखकर इन्स्टाग्राम पर पोस्ट किया गया। इसी बारात में कुछ लड़के हाथ में एक प्लेट लेकर नाच रहे थे, इस पर जातिसूचक शब्द लिखे हुए थे। इस दौरान ठाकुर पक्ष के कुछ बच्चों ने आपत्ति भी व्यक्त की जिस पर गाली गालौच हुई। सूचना पर पुलिस भी पहुंची और मामला शांत करवा दिया गया हालाँकि गांव में ठाकुर पक्ष के अधिकांश लोग एक शादी के मद्देनजर गांव से बाहर गए हुए थे इसीलिए कोई बड़ा विवाद नहीं हुआ।
सचिन ने बताया कि 20 फरवरी को दलित पक्ष के परिवार में शादी थी। जब बारात ठाकुर पक्ष के मोहल्लों से गुजर रही थी तब तेज आवाज में बदमाशी वाले ‘पीतल भर देंगे’ गाने लगातार बजाए गए। इसी को लेकर ठाकुर पक्ष ने आपत्ति जाहिर की। इसके बाद दोनों पक्षों में मारपीट हुई।
वहीं गांव के ही ठाकुर समाज के संजय कुमार ने बताया कि गांव में दोनों पक्षों में 10-12 उपद्रवी बच्चे हैं। इन बच्चों में सोशल मीडिया में अक्सर विवाद होता है, एक दूसरे की जाति को लेकर गाने लगाकर पोस्ट करते हैं। यही विवाद गांव की शादियों में आ गया। डीजे पर भी इस तरह के गाने बजाए जाने लगे। घटना वाले दिन भी इसी तरह के गाने वजाए गए, इससे विवाद मारपीट में बदल गयी।
पड़ताल के क्रम में हमने अनसूचित जाति के ग्रामीण किरोड़ीलाल से बात की। 65 वर्षीय बुजुर्ग किरोड़ीलाल ने बताया कि इस झगडे की असल वजह जातिसूचक गाने हैं। दोनों लोग ऐसे गाने बजाते हैं। उन्होंने 20 फरवरी की घटना को लेकर बताया कि मैं गांव की आबादी से थोडा दूर रहता हूँ इसीलिए घटना मैंने आँखों से नहीं देखी। लेकिन इतनी जानकारी है कि गांव में प्रधान ने सभी से आपत्तिजनक गाने बजाने से मना किया था। लेकिन ये नई पीढ़ी के लड़के नहीं मानते।
किरोड़ीलाल ने बताया कि जब शादी होती है तो लड़का पूजा करने के लिए चामड़ जाता है। दलित पक्ष के लोग भी चामड़(एक मंदिर) पर जाते हैं, यह चामड़ ठाकुर पक्ष के मोहल्ले में है लेकिन इस विवाद के बाद दूसरे पक्ष के लोग इस पर ताला लगा रहे हैं। ऐसा भी नहीं करना चाहिए। हम सभी को इस गांव में रहना है। सभी को आपस बैठकर बात करनी चाहिए, गलती वाला अपनी माफ़ी मांग ले। जाति वाले गाने बंद होने चाहिए।

इसके बाद हमारी बातचीत अनसूचित जाति के ग्रामीण रामकिशोर मुंशी से हुई। रामकिशोर ने बताया कि धमरावली एक आदर्श गांव है। कभी कोई विवाद नहीं हुआ लेकिन डीजे पर जातिवादी गाने बजने की वजह माहौल खराब हो गया है। दोनों पक्षों में नए लड़कों ने विवाद खड़ा किया है। दोनों पक्षों में 10-10 शरारती लड़के हैं।
रामकिशोर ने बताया कि शादी का सीजन शुरू होने से पहले प्रधान ने एक पंचायत की थी। इस पंचायत में मैं भी शामिल हुआ था। जहाँ यह तय किया गया कि गांव में जाति के गाने नहीं बजाए जाएंगे। गांव के सभी पक्षों ने हस्ताक्षर के पुलिस को सौंप दिया। इस समझौते के बाद गांव में दो राजपूत परिवार की बारात चढ़ी, उसमे ठाकुर पक्ष के मोहल्ले में जातिसूचक गाना बजाया गया। हमने इसकी शिकायत की। आज एक पक्ष के लड़के कर रहे हैं, कल दूसरे पक्ष के लड़के भी करेंगे। अब 16 फरवरी को अनसूचित जाति के परिवार में शादी थी। इस शादी में लड़के ‘जाटव’ प्लेट लेकर नाचे। कुछ लड़के कपडे भी उतार कर नाचे। गांव के बड़े बुजुर्गों ने इसको लेकर भी चर्चा की, लड़कों को समझाया भी गया था।
रामकिशोर ने बताया कि 20 फरवरी को जब जाटव पक्ष के लोग चामढ़ पर पूजा करने पहुंचे तभी विवाद हो गया। लोगों ने मुझे बताया कि राजपूत पक्ष के लोग पहले से डंडे लेकर खड़े हुए थे। इसके बाद पूरा विवाद हुआ।
हमने रामकिशोर से पूछा कि जब गांव में ठाकुर और अनुसूचित लोगों के मोहल्ले अलग अलग हैं तो बारात एक दूसरे के मोहल्लों में क्यों चढ़ती है? जवाब में रामकिशोर ने बताया कि गांव में एंट्री होते ही दो रास्ते बंट जाते हैं। एक रास्ते(1st Route) पर शुरुआत से ही ठाकुर समाज के लोगों के घर हैं। दूसरे रास्ते(2nd Route) पर आगे बढ़कर जाटव पक्ष के घर हैं। जब ठाकुर समाज में किसी की बारात आती है तो वो अनुसूचित लोगों की तरफ नहीं जाती, वो अपने रास्ते निकल जाती है। इसीलिए इधर नहीं आती।

जाटव पक्ष की बारात ठाकुर के मोहल्ले में जाने की वजह पूछने पर रामकिशोर ने बताया कि एक दूसरा रास्ता भी सीधा आता लेकिन उस रास्ते पर आबादी नहीं है। अब बारात किसको दिखायेंगे इसीलिए वहां नहीं जाते हैं। दूसरी बात चामढ़ पर पूजा करने करने के लिए भी ठाकुर पक्ष के मोहल्लों में जाना पड़ता है। क्योंकि मंदिर उसी मोहल्ले में है।
इसके बाद हमने रामकिशोर से पूछा कि क्या गांव में ठाकुर लोगों को दलितों की शादी में डीजे बजाने या घुडचढ़ी से समस्या है? जवाब में रामकिशोर ने बताया कि इस तरह की कोई बात नहीं है। गांव में खटीक, घोबी, मुसलमान सभी की शादी धूमधाम से होती है, डीजे के साथ बारात चढ़ती है। सभी की बारात ठाकुर पक्ष के मोहल्ले से जाति है, इस बात से किसी को समस्या नहीं है। यह झगडा बारात में डीजे पर जाति वाले गानों की वजह से हुआ है।
रामकिशोर ने बताया कि हमारा गांव शांतिप्रिय है, इन गानों ने झगडा करवाया है। गांव में सबको एक दूसरे की जाति पता है तो गाने बजाकर लोगों को बताने की क्या जरूरत है, ये गाने कई जगह की समस्या हैं। यूपी सरकार इन गानों को बंद कर दे। ये गाने बहुत गलत हैं।
उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर के धमरावली गांव में 20 फरवरी को दलित परिवार की बारात में विवाद हुआ। लोगों का आरोप है कि ठाकुर समाज को दलितों की बारात में डीजे बजाने से दिक्कत है। वो नीची जाति के जाटवों की बारात चढाने के खिलाफ हैं। इस मामले में ठाकुर पक्ष के करीबन 40 लोगों के खिलाफ… https://t.co/OIMLmJKG5g pic.twitter.com/fWjqff5JoM
— Vishal Maheshwari (@vishalPosts) March 7, 2025
अपनी पड़ताल में हमे 16 फरवरी को अनुसूचित पक्ष की बारात के वीडियो भी मिले। इन वीडियो में ठाकुर पक्ष के मोहल्ले में एक युवक जातिसूचक नेमप्लेट लेकर नाचता हुआ नजर आ रहा है। दूसरे वीडियो में महाराणा प्रताप के पोस्टर की तरफ इशारे करते हुए कुछ युवक नाच रहे हैं, वीडियो पर जाटव लिखा हुआ है। इस दौरान डीजे पर जातिसूचक गाने भी बजाए जा रहे हैं।
दावा | बुलन्दशहर के धमरावली गांव में ठाकुरों को दलितों की बारात में डीजे बजाने से दिक्कत है। वो नीची जाति के जाटवों की बारात चढाने के खिलाफ हैं। |
हकीकत | धमरावली का यह विवाद प्रथमदृष्टया जातिये गानों की वजह से खड़ा हुआ है। गांव में इससे पहले भी सभी जातियों के लोगों की बारात चढ़ी है, उनमे डीजे बजाय गया है। |