बीते दिनों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री को लेकर अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं। लोगों का कहना है कि 1983 में पीएम मोदी की डिग्री पर दस्तखत करने वाले वाइस चांसलर का 1981 में ही निधन हो गया था। दावा यह भी है कि वाइस चांसलर को मोदी का विरोध करने की वजह से गिरफ्तार भी किया गया था। हमने इससे पहले फॉण्ट को लेकर भ्रामक दावे पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी।
आम आदमी पार्टी की नेता प्रियंका कक्कर ने ट्वीट कर लिखा कि सितंबर 2003 में डॉ. के. एस. शास्त्री और 200 समर्थकों को नरेंद्र मोदी सरकार का विरोध करने पर अरेस्ट कर लिया गया था। नवंबर 2003 में डॉ. के.एस. शास्त्री और उनके बेटे को धोखाधड़ी, जालसाज़ी जैसे आरोपों में गिरफ़्तार किया गया। डॉ. के.एस शास्त्री ने बताया था की ये मोदी सरकार की एक घिनौनी साज़िश है। डॉ. के.एस. शास्त्री वहीं VC हैं जिन्होंने मोदी जी की गुजरात यूनिवर्सिटी की Entire Political Science की डिग्री पर हस्ताक्षर किए हैं।
सितंबर 2003 में डॉ. के. एस. शास्त्री और 200 समर्थकों को नरेंद्र मोदी सरकार का विरोध करने पर अरेस्ट कर लिया गया था।
नवंबर 2003 में डॉ. के.एस. शास्त्री और उनके बेटे को धोखाधड़ी, जालसाज़ी जैसे आरोपों में गिरफ़्तार किया गया।
डॉ. के.एस शास्त्री ने बताया था की ये मोदी सरकार की एक… pic.twitter.com/ox6ovTPC2M
— Priyanka Kakkar (@PKakkar_) April 5, 2023
कांग्रेस नेता अनिल यादव ने ट्वीट कर लिखा कि प्रधानमंत्री की डिग्री पर हस्ताक्षर करने वाले वाईस चांसलर K S शास्त्री का निधन 1981 में हो चुका था…तो उसके बाद डिग्री कैसे प्रिंट हुआ?
प्रधानमंत्री की डिग्री पर हस्ताक्षर करनेवाले वाईस चांसलर K S शास्त्री का निधन 1981 में हो चुका था…तो उसके बाद डिग्री कैसे प्रिंट हुआ ? @narendramodi @ArvindKejriwal pic.twitter.com/N9AfczvHlU
— Anil Patel (@AnilPatel_IN) April 5, 2023
इसके अलावा कांग्रेस नेता अर्जुन वोहरा, सपा नेता जितेन्द्र वर्मा, आआप नेता नूर सिद्दकी ने भी यही दावा किया है।
क्या है हकीकत? पड़ताल में हमने देखा कि अनिल यादव ने वाइस चांसलर डॉ. केएस शास्त्री के 1981 में निधन के दावे में जिस तस्वीर का इस्तेमाल किया है, उस पर 12 अगस्त 1980 से 13 जुलाई 1981 तारीख लिखी हुई है। इस तस्वीर के आधार पर यह सम्भव ही नहीं है कि कोई शख्स अपनी जिन्दगी के 11 माह में प्रोफेसर बन जाए।
असल में इस तस्वीर को ‘वीर नर्मद साउथ गुजरात यूनिवर्सिटी’ (VNSGU) की वेबसाइट से लिया गया है। प्रोफेसर केएस शास्त्री 22-08-1980 से 13-07-1981 तक इस यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर थे। यह उनके जीवन की नहीं, बल्कि यूनीवर्सिटी में कार्यकाल की अवधि है।
VNSGU |
इसके बाद हमने गुजरात यूनीवर्सिटी की बेबसाईट को खंगाला। बेबसाईट के मुताबिक प्रोफेसर डॉ. केएस शास्त्री 1981-1987 तक गुजरात यूनीवर्सिटी के वाइस चांसलर थे। गुजरात यूनिवर्सिटी के कुलपतियों की सूची में प्रो. शास्त्री का नाम देखा भी जा सकता है। हमने गुजरात यूनीवर्सिटी से सम्पर्क किया तो ‘PA and Sr. Clerk’ दयन दामोदरन ने हमे बताया कि प्रोफेसर डॉ. केएस शास्त्री 1891-1987 तक वाइस चांसलर रहे हैं। बाद में वो 1997-2000 तक प्रो वाइस चांसलर भी रहे। इस वक्त वो अहमदाबाद में ‘सोम ललित कॉलेज’ के चेयरमैन हैं।
Gujrat University |
गूगल पर सर्च करने पर हमे ‘सोम ललित कॉलेज’ की बेबसाईट मिली। ‘सोम-ललित एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन(SLERF) की बेबसाईट पर भी डॉ. केएस शास्त्री को चेयरमैन बताया गया है। हमने कॉलेज से सम्पर्क किया तो उन्होंने डॉ. केएस शास्त्री के निधन के दावों का खंडन किया।
SLERF |
मोदी का विरोध करने की वजह गिरफ्तार हुए थे केएस शाश्त्री? पड़ताल में हमे टाइम्स ऑफ इंडिया पर नवम्बर, 2003 को प्रकाशित खबर मिली।
Times of India |
इस खबर के मुताबिक प्रोफेसर शाश्त्री को भ्रष्टाचार, जालसाजी और धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। हालाँकि बाद में उन्होंने इसे तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की साजिश बताया था। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक करप्शन का यह कथित मामला 14 जुलाई, 1997 और 13 जुलाई, 2000 के बीच की अवधि का है, जब शास्त्री गुजरात यूनीवर्सिटी के के प्रो-वाइस चांसलर थे।
निष्कर्ष: प्रधानमंत्री नरेंद्र की डिग्री 1983 की और उस दौरान प्रो. शास्त्री ही गुजरात यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर थे। उनका निधन नहीं हुआ था। साथ ही न उन्हें करप्शन के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इसका नरेंद्र मोदी की डिग्री से कोई ताल्लुक नहीं है।
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