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23 Dec 2024, Mon

मुसलमानों ने बाबा साहेब अम्बेडकर को संविधान सभा में नहीं भेजा था

अक्सर यह दावा किया जाता है कि डॉ. भीमराव अंबेडकर को संविधान लिखने का मौका पश्चिम बंगाल के मुसलमानों ने दिया था। अगर मुसलमान भीमराव अंबेडकर को संविधान सभा नहीं भेजते तो वो संविधान नहीं लिख पाते।

AIMIM नेता शोइब जमई ने एक्स पर लिखा, ‘दलित समाज के साथियों याद रखो हमारा और आपका रिश्ता बहुत ऐतिहासिक है। जब कांग्रेस ने बाबा साहब अंबेडकर को मुंबई से हरा कर उनका राजनीतिक कैरियर खत्म करने की कोशिश की तो कोलकाता के मुसलमानो ने उनको जिता कर constituent assembly में भेजा था।’

दलित समाज के साथियों याद रखो हमारा और आपका रिश्ता बहुत ऐतिहासिक है। जब कांग्रेस ने बाबा साहब अंबेडकर को मुंबई से हरा कर उनका राजनीतिक कैरियर खत्म करने की कोशिश की तो कोलकाता के मुसलमानो ने उनको जिता कर constituent assembly में भेजा था। pic.twitter.com/3pv5BiIOeO

— Dr. Shoaib Jamai (@shoaibJamei) October 8, 2024

सदफ आफरीन ने लिखा, ‘भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आज़ाद ने कहा– “अगर मुस्लिम नही होते तो बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर संविधान नही लिख पाते”  यह बयान उन लोगों के मुह पर तमाचा है, जो आज कहते है– मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भीमराव अंबेडकर को चुन कर नही भेजा था सविधान सभा मे!’ 

भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आज़ाद ने कहा–
“अगर मुस्लिम नही होते तो बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर संविधान नही लिख पाते”

यह बयान उन लोगों के मुह पर तमाचा है, जो आज कहते है–
मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भीमराव अंबेडकर को चुन कर नही भेजा था सविधान सभा मे! pic.twitter.com/S0TBdzLXj6

— Sadaf Afreen صدف (@s_afreen7) August 23, 2023

महबूब प्राचा ने कहा, ‘बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को मुसलमानों ने चुनकर संविधान सभा में भेजा था, मनुवादी लोग नहीं चाहते थे कि बाबा साहब संविधान सभा में पहुंचे।’

बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को मुसलमानों ने चुनकर संविधान सभा में भेजा था, मनुवादी लोग नहीं चाहते थे कि बाबा साहब संविधान सभा में पहुंचे: @MehmoodPracha #BreakingNews #Dalit #Muslim #India

पूरी वीडियो यहां देखें 👇https://t.co/t9EULpD5Bx pic.twitter.com/WjWVa24nnc

— Journo Mirror (@JournoMirror) December 29, 2023

क्या है हकीकत? पड़ताल में पीआईबी की वेबसाइट से पता चलता है कि संविधान सभा का गठन 6 दिसंबर, 1946 को किया गया और संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर, 1946 को हुई थी। 

बीबीसी और एनबीटी की रिपोर्ट के मुताबिक संविधान सभा में भेजे गए शुरुआती 296 सदस्यों में आंबेडकर नहीं थे। आंबेडकर सदस्य बनने के लिए बॉम्बे के अनुसूचित जाति संघ का साथ भी नहीं ले पाए। जब वो बॉम्बे में असफल रहे तो उनकी मदद को बंगाल के दलित नेता जोगेंद्रनाथ मंडल सामने आए। उन्होंने मुस्लिम लीग की मदद से आंबेडकर को संविधान सभा में पहुंचाया। जिन ज़िलों के वोटों से आंबेडकर संविधान सभा में पहुंचे थे वो हिंदु बहुल होने के बावजूद पूर्वी पाकिस्तान(आज का बांग्लादेश) का हिस्सा बन गए। नतीजतन आंबेडकर पाकिस्तान की संविधान सभा के सदस्य बन गए। भारतीय संविधान सभा की उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई। बीबीसी की रिपोर्ट में बताया गया है कि बॉम्बे के एक सदस्य एमआर जयकर ने संविधान सभा में अपना पद से इस्तीफ़ी दे दिया। कांग्रेस पार्टी ने फ़ैसला किया कि एमआर जयकर की खाली जगह आंबेडकर भरेंगे। 

बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय ने अपने एक आर्टिकल में बताया है कि संविधान सभा बनने के बाद मुस्लिम लीग उसमे शामिल नहीं हुआ। मुस्लिम लीग ने मुसलमानों के लिए अलग देश की मांग कर दी। इसके बाद 1947 में भारत का विभाजन हो गया। इसके साथ ही जिस सीट जयसुरकुलना से डॉ. अम्बेडकर संविधान सभा में बतौर सदस्य चुन कर आए थे, वो पूर्वी पाकिस्तान का हिस्सा बन गयी। इस तरह से अंबेडकर संविधान सभा से बाहर हो गए। संविधान सभा के लोगों ने ये तय कर लिया था कि अंबेडकर का संविधान सभा में रहना जरूरी है। बंबई प्रेसिडेंसी के प्रधानमंत्री बीजी खेर ने संविधान सभा के एक और सदस्य और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता एम आर जयकर को इस्तीफा देने के लिए राजी किया, एम आर जयकर ने इस्तीफा दिया और उनकी जगह पर अंबेडकर फिर से संविधान सभा में शामिल हो गए। वहीं भारत की आजादी मिलने के बाद और सत्ता का हस्तांतरण संविधान सभा के पास होने के साथ ही संविधान सभा अपने मूल लक्ष्य की ओर आगे बढ़ी। इसी कड़ी में 29 अगस्त 1947 को संविधान सभा ने प्रारूप समिति के अध्यक्ष के तौर पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का नामसर्वसम्मति से पास कर दिया।

वहीं बाबा साहेब के बंगाल से संविधान सभा के सदस्य चुने जाने के सम्बन्ध में यह भी पता चलता है कि इस चुनाव में बाबासाहेब आंबेडकर ने सुभाष चन्द्र बोस के भाई शरत चन्द्र बोस को हराया था। जोगेंद्रनाथ मण्डल के सहयोग से कोंग्रेस सहित अन्य पार्टी के कुल 6 SC व एक ST विधायक ने अपनी पार्टी की जगह डॉक्टर अंबेडकर को वोट दिया ,जिनमे एक भी मुस्लिम नही था। बाबा साहेब अम्बेडकर को जोगेन्द्रनाथ मंडल, मुकुन्दबिहारी मलिक, द्वारिकानाथ बरूरी, गयानाथ बिस्वास, नागेन्द्र नारायण, क्षेत्रनाथ सिंहा. बीरबिरसा ने वोट किया था।

(2/3)…संविधान सभा चुनाव मे आंबेडकर को 7 विधायकों ने वोट किया जिनमे एक भी मुस्लिम नही था।

1. जोगेन्द्रनाथ मंडल SC
2. मुकुन्दबिहारी मलिक SC
3. द्वारिकानाथ बरूरी SC
4. गयानाथ बिस्वास, SC
5. नागेन्द्र नारायण रे, SC
6. क्षेत्रनाथसिंहा SC
7. बीरबिरसा, कांग्रेस ST

— Akshay Ramteke (@tak_rao) September 26, 2024

निष्कर्ष: पड़ताल से स्पष्ट है कि डॉ. भीमराव अंबेडकर संविधान सभा के गठन के वक्त बंगाल के निर्वाचन क्षेत्रों से चुने गए थे। तब उन्हें मुसलमानों ने नहीं, 7 हिंदू समाज के लोगों ने वोट किया था। उस वक्त वो संविधान सभा के सदस्य मात्र थे हालाँकि भारत के विभाजन बाद उनकी सीट पूर्वी पाकिस्तान में चली गयी थी। इस वजह से उनकी सदस्यता रद्द हो गयी। लेकिन जिस वक्त उन्हें संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमेटी का चेयरमैन बनाया गया तब वे बॉम्बे निर्वाचन क्षेत्र की तरफ से चुनकर संविधान सभा में शामिल हुए थे।

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