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14 Mar 2025, Fri

बेहमई हत्याकांड: क्या फूलन देवी ने 20 बलात्कारी ठाकुरों को मारा था?

चंबल के बीहड़ों से संसद तक पहुंचने वाली दस्यु सुंदरी फूलन देवी बीते दिनों से सोशल मीडिया में चर्चा का विषय है। फूलन ने 14 फरवरी 1981 को अपने 35 साथियों के साथ कानपुर देहात के गांव बेहमई में 5 सैकड़ों गोलियां बरसाईं थीं। इनमें से 20 की मौत हो गई थी। इस मामले में फूलन मुख्य आरोपी थी लेकिन मौत के बाद उसका नाम हटा दिया गया। इसी बीच अक्सर यह दावा किया जाता है कि फूलन देवी ने बेहमई में अपने साथ बलात्कार का बदला लिया और उसने 20-22 बलात्कारी ठाकुरों मार दिया। इस घटना को बेहमई हत्याकांड के नाम से जाना जाता है।

आरजेडी समर्थक प्रियंका देशमुख ने एक वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, ‘आज भी मनुवादियों के मिश्रित चमचे, बलात्कारियों के भक्त, और जातिवादी गिद्ध फूलन देवी जी के नाम से थर थर कांपते हैं इसीलिए उनका मर्डर करने वालों को ये लोग हीरो बनाते हैं, और इंटरव्यू में उनके साथ ठहाके लगाते हैं!! फूलन देवी सिर्फ एक नाम नहीं, एक क्रांति हैं! शोषण के ख़िलाफ़ लड़ाई से लेकर संसद तक का सफर, हर कदम अन्याय के खिलाफ जंग थी!! तुम कितनी भी नफरत फैला लो, फूलन हर औरत के खून में जिंदा है! ‘ प्रियंका देशमुख के इस वीडियो में 29 सेकेण्ड पर बताया गया है कि फूलन देवी और उसके गिरोह ने 14 फरवरी 1981 को देहात स्थित 20 बलात्कारियों की हत्या कर दी थी ताकि ऊँची जाति के ठाकुर द्वारा उनके साथ किए गए बलात्कार का बदला लिया जा सके।

गुडिया ने लिखा, ‘इतिहास में या भूत काल में हम लोगों ने कोई देवी नहीं देखा लेकिन एक साथ 22 बलात्कारियो को सजा देने वाली देवी जरूर देखा है इसलिए फूलन देवी हम लोगों के लिए एक मिसाल हैंI’

वधेर ने लिखा, ‘बलात्कारियों को सही सजा इतिहास में सिर्फ फूलन देवी जी ने दी है 22 बलात्कारियों को एक लाइन मै खड़ा करके सीने में गोली मारी थी ‘

चंदन यादव ने लिखा, ‘गरज उठी थी बीहड़ में वो बंदूक पुरानी थी नाम उनका फूलन देवी वह चंबल की रानी थी 22 ठाकुरों ने रेप कर दिया कभी किसी बड़े जातिवादियों ने उस रेप को गलत नहीं कहा कल्पना कीजिए एक 16 साल की महिला जिसके साथ 22 लोगों वो वही नहीं रुके रेप के बाद पूरे गांव में उन्हें नंगा घुमाया गया।’

खान सर एक वीडियो में बता रहे हैं कि फूलन देवी के साथ 20 लोगों ने बलात्कार किया था। क्योंकि वो दलित समाज से आती थी। फूलन देवी ने बलात्कार करने वाले 20 राजपूतों को मार दिया।

दलित वॉयस ने लिखा, ‘GrandSalute 14 फरवरी 1981 को फूलन ने 22 ठाकुर जाति के हिन्दू बलात्कारियों को मौत के घाट उतार दिया था। इस तस्वीर में दिख रही यह सीधी-सादी लड़की वीरांगना फूलन देवी है, उसके अत्याचारों का इतिहास बहुत लम्बा है, सोचिए उस मासूम लड़की पर क्या बीती होगी जिसे गांव में नंगा घुमाया गया था…’

नगीना सांसद चन्द्र शेखर आजाद ने लिखा, ’22 बलात्कारियों को मौत के घाट उतारने वाली, आत्मसम्मान के लिए विद्रोह का प्रतीक एवं महिलाओं की प्रेरणास्त्रोत वीरांगना फूलन देवी जी के शहादत दिवस पर उन्हें शत शत नमन।’

इसके लावा सूरज कुमार, मयंक मौर्या ने भी यही दावा किया है।

क्या है हकीकत? पड़ताल में हमे इस सम्बन्ध में दैनिक भास्कर की एक ग्राउंड रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट के मुताबिक फूलन के पिता की 40 बीघा जमीन पर चाचा ने कब्जा किया था। 11 साल की उम्र में फूलन ने चाचा से जमीन मांगी। इस पर चाचा ने फूलन पर डकैती का केस दर्ज करा दिया। फूलन को जेल हुई। वह जेल से छूटी तो डकैतों के संपर्क में आई। दूसरी गैंग के लोगों ने फूलन का गैंगरेप किया। इसका बदला लेने के लिए फूलन ने बेहमई के 20 लोगों को गोलियों से भून दिया था।

दैनिक भास्कर की एक दूसरी ग्राउंड रिपोर्ट के मुताबिक बेहमई गाँव निवासी धर्म सिंह ने बताया, ‘अगर बेहमई के लोगों ने उसके साथ गलत काम किया होता, तो वो सिर्फ ठाकुरों को गोली मारती। हरिजन और मुस्लिम को गोली क्यों मारी। उसकी दुश्मनी सिर्फ श्रीराम और लालाराम से थी। वे आते तो हम उनको भी खाना-पानी देते थे। इसी से वह चिढ़ी हुई थी। उसका कहना था कि खाना-पानी, अनाज सिर्फ हमें देना है।’

वहीं डाकू श्रीराम और लालाराम का छोटा भाई मन्ना सिंह ने बताया, ‘मेरे भाई यूं ही नहीं बीहड़ों में कूदे थे। घर में जमीन का विवाद चल रहा था। चाचा हमारी जमीनें भी हड़पना चाहते थे, तो श्रीराम और लालाराम ने चाचा-भतीजे का कत्ल किया और बागी हो गए। उनकी वजह से हम लोगों को भी घर छोड़ना पड़ा था।’

फूलन से कैसे दुश्मनी हुई? इस सवाल पर मन्ना सिंह कहते हैं, ‘श्रीराम ने बीहड़ों में जाने के बाद अपना गैंग बना लिया था। इसी गैंग में विक्रम मल्लाह भी था। श्रीराम और लालाराम का नाम काफी फैल चुका था। एक बार दोनों पुलिस के हाथ लग गए, तो गैंग की कमान विक्रम मल्लाह के हाथ में चली गई। श्रीराम और लालाराम जेल से छूट कर आए, तो फिर गैंग लीड करने पर दोनों में टकराव होने लगा। एक दिन मौका देखकर श्रीराम ने विक्रम को मार दिया। अगर न मारता तो विक्रम मेरे भाइयों को मार देता। इसी वजह से फूलन श्रीराम और लालाराम से दुश्मनी रखती थी।’

हमने सवाल किया, फूलन ने बेहमई कांड क्यों किया? जवाब में मन्ना सिंह बताते हैं कि फूलन के साथ बेहमई के कुछ लोगों ने गलत किया था। इसका बदला उसने बाद में लिया, लेकिन जिन 20 लाेगाें को उसने मारा, उनमें सभी बेकसूर थे। उसके साथ गलत करने वालों में से एक भी नहीं मारा गया था। इसके कुछ साल बाद फूलन ने मध्यप्रदेश में आत्मसमर्पण कर दिया था।

इस सम्बन्ध में पत्रिका की ग्राउंड रिपोर्ट के मुताबिक बेहमई निवासी जेंटर अपने घाव दिखाते हुए कहते हैं कि जब फूलन का गैंग गोलियां बरसा रहा था, तब हम लोग बीच में थे और जमीन पर गिरकर झूठमूठ मरने का बहाना कर रहे थे। गोलीबारी के बाद डकैतों ने एक-एक को चेक किया और गोलियां मारी थी। मुझे भी सीने पर रखकर गोली दागी थी, जो पीछे से चीरती हुई निकल गई थी। तकरीबन 3 साल तक कानपुर से लखनऊ तक इलाज चला। किस्मत थी, जो बच गया।

रिपोर्ट में बताया गया है कि बेहमई से तकरीबन 7 किमी दूर ही फूलन की जिंदगी के दो अहम किरदार श्रीराम और लालाराम का गांव दमनपुर है। हालांकि दोनों भाइयों की मौत काफी पहले हो चुकी है लेकिन कभी उनके साथ रह चुके उनके छोटे भाई मन्ना सिंह आज भी परिवार के साथ दमनपुर में रहते हैं। मन्ना बताते हैं कि लालाराम और श्रीराम ने फूलन के करीबी विक्रम मल्लाह को मार दिया। इसके बाद फूलन के साथ कुछ लोगों ने दुष्कर्म किया। फूलन इस कांड का दोषी श्रीराम और लालाराम को मानती थी और उन्हें मारने का प्रण किया था। दोनों भाई बीहड़ से भाग गए पर फूलन को झूठी खबर दी गई कि लालाराम और श्रीराम बेहमई में रूके हैं और इसी वजह से उसने 20 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। मन्ना बताते हैं कि श्रीराम की बेहमई कांड में पुलिस मुठभेड़ में मौत हुई थी जबकि लालाराम की 17 मई 2000 को हत्या हो गई।

इस सम्बन्ध में हमे अमर उजाला की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट के मुताबिक बेहमई नरसंहार कांड के चश्मदीद सिकंदरा के अशोक नगर निवासी शफी मोहम्मद बताते हैं कि घटना वाले दिन वह अपने उस्ताद राजमिस्त्री नजीर खां के साथ बेहमई गांव में तुलसीराम के घर कच्चे घर पर छत बनाने का काम कर रहे थे। उस समय उनकी उम्र 10 वर्ष के करीब थी। जिस समय काम कर रहे थे उसी समय डकैत फूलन देवी के गिरोह ने यमुना नदी के रास्ते आकर गांव को घेर लिया। गांव के लोगों के साथ नजीर खां पर भी गोलियां बरसाईं तो वह लाशों के ढेर में छिप गए। जब डकैत चले गए तो वह बाहर निकले और खेतों के रास्ते चीखते चिल्लाते साइकिल से सिकंदरा की ओर भागे थे।

इसके अलावा हमे उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी ब्रजलाल का एक इंटरव्यू मिला। ब्रजलाल 1977 बैच के IPS अफसर हैं। अब रिटायर्ड हो चुके हैं। रिटायरमेंट के बाद उन्हें अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति आयोग का अध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य भी बनाया। ब्रजलाल ने बताया कि ये कहना कि बेहमई गांव में ठाकुरों ने उसका एक-एक कर रेप किया और ये हुआ, टोटली गलत है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि रेप बीहड़ में हुआ। गैंग के लालाराम, श्रीराम आदि ने इस घटना को अंजाम को दिया।

इसके अलावा द क्विंट की रिपोर्ट के मुताबिक बेहमई कांड में 20 मृतकों में 17 ठाकुर, एक मल्लाह, एक धानुक और एक मुसलमान भी था। साथ ही इस दौरान गांव की एक बच्ची सीता के पिता बनवारी सिंह की छाती छलनी कर दी गई थी।

रिपोर्ट में बताया गया है कि सीता की हाइट सिर्फ एक फुट थी। सीता को कोई बीमारी नहीं थी, बल्कि 14 फरवरी 1981 को डाकुओं ने सीता को चारपाई से उठा कर पटक दिया था। साल 2005 में एक फुट की सीता ने 24 साल की उम्र में आखिरकार दम तोड़ दिया।

दावा हकीकत
फूलन देवी ने अपने साथ बलात्कार करने वाले 20-22 ठाकुरों को मार दिया था।फूलन देवी के साथ बलात्कार का आरोप लालाराम और श्रीराम पर था। बेहमई में मृतकों में कुल 20 लोगों की मौत हुई थी, इनमे 17 ठाकुर थे। यह मान भी लिया जाए कि बेहमई के ठाकुरों ने उसके साथ बलात्कार किया तो फूलन ने नजीर खान, तुलसीराम रामऔतार को क्यों मारा था। वो ठाकुर भी नहीं थे, न ही बेहमई गांव के निवासी थे। फूलन के साथ बलात्कार के आरोपी लालाराम और श्रीराम भी बेहमई नहीं, पड़ोसी गांव दमनपुर के निवासी थे। साथ ही सीता को क्यों पीटा गया था।

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