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31 Jul 2025, Thu

1950 में मौत के बाद 1960 में विरोध? सरदार पटेल को लेकर अमित शाह का वायरल वीडियो एडिटेड निकला

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मंगलवार को लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर लोगों को संबोधित किया। उन्होंने भाषण की शुरुआत में पहलगाम हमले के आतंकियों के मारे जाने की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जिन आतंकियों ने बायसरन घाटी में हमारे 26 पर्यटकों को मारा, उन्हें 28 जुलाई को ऑपरेशन महादेव में ढेर कर दिया गया। इन आतंकियों के नाम सुलेमान, अफगान और जिब्रान हैं। ये तीनों आतंकी पहलगाम हमले में शामिल थे। ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान शाह ने ना सिर्फ हाल ही में हुए पाहलगाम आतंकी हमले पर सरकार का पक्ष रखा, बल्कि बीते वर्षों के कई पुराने मुद्दे भी उठाए।  उनके निशाने पर पूर्व प्रधानमंत्री पंडित नेहरू भी रहे। वहीं सोशल मीडिया में उनके संबोधन का एक हिस्सा वायरल है। इस वीडियो में अमित शाह कहते हैं कि 1960 में सरदार पटेल ने विरोध किया था, गाड़ी लेकर आकाशवाणी तक गए थे, दरवाजे बंद कर दिए गए।  वीडियो के साथ लोग दावा कर रहे हैं कि सरदार पटेल का देहांत 1950 में हो गया था तो उन्होंने 1960 में विरोध कैसे कर दिया। 

सपा समर्थक सूर्या समाजवादी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘अमित शाह कह रहे है 1960 में सरदार पटेल ने सिंदु जल समझौते का विरोध किया था जबकि 1950 में ही सरदार पटेल जी की मृत्यु हो गई थी झूठ बोलने के मामले में ये तो मोदी जी को टक्कर दे रहें है’ 

सुप्रिया श्रीनेत ने लिखा, ‘सरदार पटेल जी का निधन 1950 में ही हो गया था तो फिर 1960 में सरदार पटेल जी ने विरोध कैसे किया? अमित शाह जी आज अपने ही लिखे WhatsApp फॉरवर्ड पढ़ रहे थे’ 

कांग्रेस नेता आलोक शर्मा ने लिखा, ‘सरदार पटेल जी का निधन 1950 में ही हो गया था! तो फिर 1960 में सरदार पटेल जी ने विरोध कैसे किया? अमित शाह जी का झूठ पकड़ा गया’

मुकेश कुमार ने लिखा, ‘संसद के अँदर इतने बड़े-बड़े झूठ बोल जाते हैं हमारे गृहमंत्री। बता रहे हैं कि 1960 में सरदार पटेल आकाशवाणी पहुंच गए थे, ताकि नेहरू पाकिस्तान को पीओके देने की घोषणा न कर दें, लेकिन उन्हें दरवाज़े पर रोक दिया गया। सरदार पटेल को दिन रात गाने वाले को पता ही नहीं है कि वे तो कई साल 1950 पहले ही गुज़र चुके थे।’

विशाल ज्योतिदेव अग्रवाल ने लिखा, ‘सरदार पटेल का देहांत 1950 में हो गया था, अमित कह रहा है कि 1960 में उन्होंने विरोध किया था! समझ लीजिये कि ये लोग कितने बड़े झूठे हैं’ 

इसके अलावा अशोक कुमार पांडे, कृष्णकांत, सिमाब अख्तर, ब्रिजेश सिंह यादव, अनुराग वर्मा, रश्मी भारतीय, मनीषा चौबे, राकेश सिंह, योगिता जैन, अशोक, विकास बंसल, बोले भारत, आम आदमी पार्टी ने भी यही दावा किया है।

क्या है हकीकत? पड़ताल में हमे अमित शाह के लोकसभा में संबोधन का पूरा वीडियो उनके यूट्यूब चैनल पर मिला। इस वीडियो में 41 मिनट से अमित शाह कहते हैं कि 1948 में मान्यवर कश्मीर में हमारी सेनाएं निर्णायक बढ़त पर थी। सरदार पटेल ना बोलते रहे। जवाहरलाल नेहरू जी ने एक तरफ़ा युद्ध विराम कर दिया। और मान्यवर मैं बड़ी जिम्मेदारी के साथ कहता हूं मैं इतिहास का विद्यार्थी हूं। पाक ऑक्यूपाई कश्मीर का अगर अस्तित्व है तो जवाहरलाल नेहरू जी की यह युद्ध विराम के कारण है। इसका जिम्मेदार जवाहरलाल नेहरू है।

अमित शाह आगे बढ़ते हुए कहते हैं कि मान्यवर 1960 में….. इसी दौरान सामने से किसी विपक्षी नेता की आवाज आती है.. वो कहते हैं, ‘सरदार पटेल भी साथ में थे’.…. इसके जवाब अमित शाह कहते हैं कि सरदार पटेल ने विरोध किया था, गाड़ी लेकर आकाशवाणी तक गए थे घोषणा न करें, दरवाजे बंद कर दिए थे। 

फिर अमित शाह अपनी बात को जारी रखते हुए कहते हैं कि कि मान्यवर 1960 में सिंधु जल पर भौगोलिक व रणनीतिक रूप से हम बड़े मजबूत थे और उन्होंने सिंधु समझौता क्या किया? 80% भारत का पानी पाकिस्तान को दे दिया।

दावा अमित शाह कहते हैं कि 1960 में सरदार पटेल ने विरोध किया था, गाड़ी लेकर आकाशवाणी तक गए थे, दरवाजे बंद कर दिए गए। सरदार पटेल का देहांत 1950 में हो गया था तो उन्होंने 1960 में विरोध कैसे कर दिया। 
हकीकतअमित शाह का यह वीडियो एडिटेड है। अमित शाह ने लोकसभा में 1948 में कश्मीर युद्ध के दौरान हुए युद्धविराम और 1960 के सिंधु जल समझौते के दो अलग-अलग ऐतिहासिक प्रसंगों का ज़िक्र किया था। जब वह 1948 के युद्धविराम पर बात कर रहे थे, उसी दौरान विपक्षी नेता ने बीच में टोका कि ‘सरदार पटेल भी साथ थे’। इसके जवाब में शाह ने कहा कि सरदार पटेल ने विरोध किया था, गाड़ी लेकर आकाशवाणी तक गए थे, लेकिन दरवाज़े बंद कर दिए गए — जो 1948 की ही घटना से जुड़ा संदर्भ था। हालांकि, एडिटेड वीडियो में इसे 1960 के सिंधु जल समझौते से जोड़कर फैलाया गया, जिससे ऐसा भ्रम फैला कि शाह ने सरदार पटेल को 1960 की घटना में शामिल बताया।

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