भाजपा सांसद वरुण गांधी ने ट्वीट किया, “जो सदन गरीब को पांच किलोग्राम राशन दिए जाने पर ‘धन्यवाद’ की आकांक्षा रखता है। वही सदन बताता है कि पांच वर्षों में भ्रष्ट धनपशुओं का 10 लाख करोड़ रुपये तक का कर्ज माफ हुआ है। ‘मुफ्त की रेवड़ी’ लेने वालों में मेहुल चोकसी और ऋषि अग्रवाल का नाम शीर्ष पर है। सरकारी खजाने पर आखिर पहला हक किसका है? भाजपा नेता ने संसद में सरकार की ओर से शीर्ष 10 भगोड़े कारोबारियों की सूची को टि्वटर पर साझा किया है।
जो सदन गरीब को 5 किलो राशन दिए जाने पर ‘धन्यवाद’ की आकांक्षा रखता है।
वही सदन बताता है कि 5 वर्षों में भ्रष्ट धनपशुओं का 10 लाख करोड़ तक का लोन माफ हुआ है।
‘मुफ्त की रेवड़ी’ लेने वालों में मेहुल चोकसी और ऋषि अग्रवाल का नाम शीर्ष पर है।
सरकारी खजाने पर आखिर पहला हक किसका है? pic.twitter.com/Hw01qMH9FV
— Varun Gandhi (@varungandhi80) August 6, 2022
कांग्रेस नेता अल्का लाम्बा ने ट्वीट कर लिखा है कि कौन कहता है कि हमारी सरकार ग़रीब है। वो गरीबों के लिए चाहे ना हो पर अपने पूंजीपति मित्रों के लिए दरिया दिली दिखाते हुए पिछले 5 सालों में 10 लाख करोड़ रुपये माफ़ करना कोई छोटे बात थोड़े ना है।
कौन कहता है कि हमारी सरकार ग़रीब है – वो गरीबों के लिए चाहे ना हो पर अपने पूंजीपति मित्रों के लिए दरिया दिली दिखाते हुए पिछले 5 सालों में “10 लाख करोड़ रुपये” माफ़ करना कोई छोटी बात थोड़े ना है.#ThankYouModiG : आपके भगोड़ा भाई मेहुल चौकसी, नीरव मोदी, ललित मोदी, विजय माल्या. pic.twitter.com/bpnDnU8lxz
— Alka Lamba (@LambaAlka) August 7, 2022
पत्रकार आदेश रावल ने ट्वीट कर लिखा कि केन्द्र सरकार ने संसद में बताया कि पीछले 5 साल में बैंकों ने 10 लाख करोड़ ₹ के लोन माफ किए। इस सूची में मेहुल भाई चोक्सी की कम्पनी गीताजंली जेम्स सबसे ऊपर है।
केन्द्र सरकार ने संसद में बताया कि पीछले 5 साल में बैंकों ने 10 लाख करोड़ ₹ के लोन माफ किए। इस सूची में मेहुल भाई चोक्सी की कम्पनी गीताजंली जेम्स सबसे ऊपर है।
— Aadesh Rawal (@AadeshRawal) August 6, 2022
समाजवादी पार्टी के नेता सुनील यादव ने ट्वीट कर लिखा है कि 5 साल में
मोदीजी ने अपने दोस्तों के 10 लाख करोड़ रुपये के लोन माफ कर दिए, जो कि
जनता की गाढ़ी कमाई के पैसे थे और गरीबों को मुट्ठी भर राशन बांटकर ‘फ्री
फंड’ की दुहाई दे रहे हैं। भाजपा साहूकार ने साहूकारों और अंग्रेजो को भी
लूटने में पीछे छोड़ दिया है। एआईएमआईएम के नेता वारिश पठान ने ट्वीट कर लिखा है कि मोदी सरकार ने पिछले 5 सालों में करीब 10 लाख करोड़ रूपये (10,000,000,000,000) देश के तमाम बड़े उद्योगपतियों के क़र्ज़ माफ़ किये है लेकिन गरीबों को मुफ्त का खाना बांटने पर अपनी छाती पीट रही है। सरकार में बैठे लोग अपने करीबी दोस्तों को “मुफ्त की रेवड़ी” बांटनी बंद करें। इसके अलावा रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सूर्या प्रताप सिंह ने भी ट्वीट कर लिखा है कि 5 साल में उद्योगपतियों का 10 लाख करोड़ लोन माफ।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने एक प्रेस कांफ्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने कुछ लोगों का 10 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया। कहा जा रहा है
कि इनमें से कुछ उनके दोस्त भी हैं, कोई इसके बारे में बात नहीं कर रहा
है।
An atmosphere is being created that giving free education, free electricity and free water is a crime. They (BJP) waived off debt worth Rs 10 lakh crore of some people. It is being said that some of them are their friends. No one is talking about it: Delhi CM Arvind Kejriwal pic.twitter.com/WcCApwVTu5
— ANI (@ANI) August 8, 2022
इसके अलावा वामपंथी पत्रकार कृष्णकान्त, अखिलेश तिवारी, बोलता हिंदुस्तान,
सपा नेता मनोज काका, आम आदमी पार्टी के नेता शिव चरण गोयल, कांग्रेस नेता
जगदीश ठाकोर समेत कई सोशल मीडिया में यूजर्स यही दावा कर रहे हैं।
क्या है हकीकत: दरअसल राज्यसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे के पिछले पांच वर्षों में बट्टे खाते में डाली जाने वाली राशि की जानकारी मांगी थी, जिसके जवाब में वित्त राज्यमंत्री डॉ. भागवत कराड ने बताया कि पिछले 5 वित्त वर्ष (2017-18 से 2021-22) में 9,91,640 करोड़ रुपये का बैंक बट्टे खाते में डाला गया है। इस लिस्ट में सबसे पहले फरार हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी की कंपनी गीतांजलि जेम्स पर बैंकों का 7,110 करोड़ रुपये बकाया है। यहाँ गौर करने वाली बात है कि मल्लिकार्जुन खरगे ने सवाल पूछते हुए ‘कर्ज माफी’ शब्द का जिक्र नहीं किया है।
मल्लिकार्जुन खरगे के सवाल के जवाब में भी बताया गया है कि बट्टे खाते
में डाले गए उधारकर्ताओं से वसूली की प्रक्रिया चलती रहती है। बट्टे खाते
में डालने से उधारकर्ता को लाभ नहीं होता है।
आरबीआई ने फरवरी, 2016 में एक स्पष्टीकरण जारी किया था, उस समय रघुराम
राजन आरबीआई प्रमुख थे। इसमें लोन राईट ऑफ करने और माफ करने के बीच के
अंतर को स्पष्ट किया था।
राइट ऑफ या बट्टा खाते में डाले जाने का मतलब कर्ज की वसूली को बंद करना
नहीं होता है। इसकी पुष्टि के लिए हमने यह चेक किया कि बैंकों ने अब तक इन
भगोड़े कारोबारियों की संपत्ति से कितने कर्ज की वसूली की है। सर्च में
हमें ऐसी कई न्यूज रिपोर्ट्स मिली, जिसमें बैंकों की तरफ से की गई वसूली का
जिक्र है। बिजनस स्टैंडर्ड की वेबसाइट पर 23 फरवरी 2022 को प्रकाशित रिपोर्ट के
मुताबिक, ‘सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी देते
हुए बताया कि बैंकों ने भगोड़े कारोबारी विजय माल्या, नीवर मोदी और मेहुल
चौकसी से 18,000 करोड़ रुपये की वसूली हो चुकी है।’
दैनिक जागरण की वेबसाइट पर 23 फरवरी 2022 को प्रकाशित रिपोर्ट में
भी इस बात का जिक्र है। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट
में बताया कि विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी की 18,000 करोड़ की
संपत्तियां जब्त की गईं हैं और यह रकम बैंकों को लौटाई गई है।
बीते माह जुलाई में केंद्र सरकार ने लोकसभा में बताया कि आठ वित्त वर्षों में बैंकों का 8.6 लाख करोड़ रुपये का डूबा हुआ ऋण वसूला गया है।
निष्कर्ष: मोदी सरकार द्वारा उद्योगपतियों का 10 लाख करोड़ कर्ज माफी का दावा गलत है। डिफॉल्टर्स के कर्जे को बट्टा खाते में डाले जाने का मतलब कर्ज माफी नहीं होता है।