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15 Feb 2025, Sat

महाभारत काल में प्रभु श्रीराम के अस्तित्व की चर्चा न होने को लेकर झूठ फैलाया जा रहा है

सोशल मीडिया में लोग दावा कर रहे हैं कि महाभारत का काल रामायण के बाद का है। इसके बावजूद महाभारत में रामायण या प्रभु श्रीराम का कोई जिक्र नहीं मिलता है। इस तरह का दावा कर प्रभु श्रीराम के अस्तित्व पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

कट्टरपंथी हैंडल करिश्मा अजीज ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ‘सवाल चाहे जिसे भी पूछा हो पर सुनकर एक पल को मैं भी सोच में पड़ गई! जिसके नाम से एक ऐतिहासिक मस्जिद तोड़ दी गई जिसके नाम पर सड़कों पर लिंचिंग होती है, उसका बोलबाला तो महाभारत काल में भी होना चाहिए था!’

सपा नेता लोटन राम निषाद ने लिखा, ‘सत्य कथन -महाभारत या द्वापर काल रामायण या त्रेता युग के बाद का समय है, लेकिन महाभारत का कोई पात्र राम नाम का जयकारा नहीं लगाया, आखिर क्यों?’

क्या है हकीकत? पड़ताल में हिंदुस्तान की एक रिपोर्ट से पता चला कि न्याय और अन्याय के युद्ध महाभारत में कुल 18 पर्व या अध्याय हैं। इसमें आदि पर्व, सभा पर्व, वन पर्व, विराट पर्व, उद्योग पर्व, भीष्म पर्व, द्रोण पर्व, अश्वमेधिक पर्व, महाप्रस्थानिक पर्व, सौप्तिक पर्व, स्त्री पर्व, शांति पर्व, अनुशासन पर्व, मौसल पर्व, कर्ण पर्व, शल्य पर्व, स्वर्गारोहण पर्व तथा आश्रम्वासिक पर्व शामिल हैं।

उपपर्व तीर्थयात्रा के अध्याय 146 से 151 तक महाभारत के पात्र भीम और रामायण के पात्र हनुमान की मुलाकात और उनके बीच संवाद मिलता है। यहाँ बताया गया है कि जंगल में यात्रा के दौरान जब पांचों भाई और द्रौपदी जंगलों में भटक रहे थे। इस दौरान वे कैलाश पर्वत के जंगलों में पहुंच गए। उस समय यक्षों के राजा कुबेर का निवास भी कैलाश पर्वत पर ही था। कुबेर के नगर में एक सरोवर था, जिसमें सुगंधित फूल थे। द्रौपदी को उन फूलों की महक आई तो उसने भीम से कहा कि उसे ये फूल चाहिए। भीम द्रौपदी के लिए फूल लाने चल दिए। (इस अध्याय के कुछ पन्नों का जिक्र नीचे स्क्रीनशॉट में है, इसे विस्तार से यहाँ पढ़िए)

भीम के रास्ते में एक वानर सो रहा था। किसी जीव को लांघकर आगे बढ़ जाना मर्यादा के विरुद्ध था। इसलिए भीम ने वानर से कहा आप अपनी पूंछ हटा लो। मुझे यहां से जाना है। बंदर ने नहीं सुना, भीम को क्रोध आ गया। उसने कहा कि तुम जानते हो मैं महाबली भीम हूं। श्रीमान हनुमानजी मेरे बड़े भाई हैं, रामायण में उनकी बड़ी ख्याति है। वो श्रीराम की पत्नी को खोजने के लिए समुद्र को लांघ गए थे। मैं भी अपने भाई की तरह तेजस्वी, बलवान और शक्तिशाली हूँ।

वहीं जवाब में वानर ने कहा कि इतने शक्तिशाली हो तो तुम खुद ही मेरी पूंछ रास्ते से हटा दो और चले जाओ। भीम पूंछ हटाने के लिए कोशिश करने लगा, लेकिन पूंछ टस से मस नहीं हुई। तब भीम ने हार मान ली। वह वानर से प्रार्थना करने लगा। तब वानर ने अपना असली रूप दिखाया। वे स्वयं पवनपुत्र हनुमानजी थे। उन्होंने भीम को समझाया कि तुम्हें कभी भी अपनी शक्ति पर इस तरह घंमड नहीं करना चाहिए। ताकत और विनम्रता ऐसे गुण हैं जो विपरीत स्वभाव के होते हैं, लेकिन अगर ये एक ही स्थान पर आ जाएं तो व्यक्ति महान हो जाता है। साथ ही हनुमान जी इस अध्याय में भीम को भगवान राम के वनवास से लेकर सीता माता की खोज और राक्षस रावण का वध का किस्सा भी सुनाते हैं। हनुमान धर्म-अधर्म और चारों युगों के बारें में भी भीम को समझाते हैं।

रामोपाख्यान में बताया गया है कि महाराज युधिष्ठिर अपने भाइयों और पत्नी द्रौपदी के साथ वन में समय व्यतीत करते हुए एक बार महर्षि मार्कण्डेय से अपनी व्यथा कहते हैं। उस समय द्रौपदी का जयद्रथ द्वारा अपहरण कर लिया गया था और उसे उसकी कैद से मुक्त करने के बाद, युधिष्ठिर अपने और अपने परिवार पर आई ऐसी विपत्तियों से बहुत व्यथित हैं। युधिष्ठिर कहते हैं कि कोई भी व्यक्ति समय या अपने स्वयं के कर्मों के कारण होने वाली घटनाओं से बच नहीं सकता है, अन्यथा महाराज पांडु की पूजनीय पुत्रवधू, यज्ञ से उत्पन्न द्रौपदी को जयद्रथ द्वारा अपहरण किए जाने का ऐसा अपमान कैसे सहना पड़ सकता है। उसने हमेशा धर्म का पालन किया है, और बड़ों, ब्राह्मणों और ऋषियों के प्रति सम्मानपूर्वक व्यवहार किया है और हम इस बात से व्यथित हैं कि द्रौपदी का अपहरण हमारे साथ हुआ।

युधिष्ठिर के प्रश्न के उत्तर में मार्कण्डेय महर्षि ने श्रीरामचंद्र की कथा सुनाई है, जिन्हें वन में रहना पड़ा तथा अपनी पत्नी जानकी का हरण सहना पड़ा। मार्कंडेय ने वर्णन किया है कि कैसे राम को असहनीय पीड़ा का सामना करना पड़ा क्योंकि जानकी को एक राक्षस ने अपहरण कर लिया था। दुष्ट रावण ने धोखे से उन्हें आश्रम से दूर ले गया। जटायु नामक गिद्ध ने उनकी रक्षा करने की कोशिश की। राम ने सुग्रीव की मदद से उन्हें ढूंढ निकाला, समुद्र पार लंका तक पुल बनाया और उन्हें वापस ले आए। मार्कंडेय ने वर्णन किया है कि कैसे रामचंद्र पूरी सेना के साथ सीता को लेकर पुष्पक विमान से वापस लौटते हैं और कुबेर का श्राप मान्य होता है। वे युधिष्ठिर को आश्वस्त करते हैं कि राम को भी अपनी पत्नी के अपहरण के समान ही दुर्भाग्य का सामना करना पड़ा था और अपने राजधर्म और पराक्रम से वे अपनी पत्नी को वापस लाने में सफल रहे। (इस सम्बन्ध में विस्तार से यहाँ पढ़ें)

इसके अलावा जनसत्ता के एक लेख में बताया गया है कि रामायण और महाभारत काल से जुड़े तमाम प्रसंग बड़े ही प्रसिद्ध हैं। इन्हीं प्रसंगों में से एक उन लोगों से जुड़ा हुआ है जो रामायण और महाभारत दोनों ही कालों में थे। इनमें हनुमान, जामवंत, मयासुर, परशुराम, महर्षि दुर्वासा शामिल है।

दावामहाभारत का काल रामयाण से बाद का है, इसके बावजूद महाभारत में रामायण का जिक्र नहीं मिलता।
हकीकतमहाभारत के तीसरे पर्व ‘वनपर्व’ के उपपर्व ‘तीर्थयात्रा पर्व’ और ‘रामोपाख्यान’ में रामायण और उसके पात्रों की बात की गयी है। साथ ही रामायण के हनुमान, जामवंत समेत कई पात्र महाभारत काल में भी मौजूद थे।

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