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12 Mar 2025, Wed

राजस्थान में हेडमास्टर की मटकी से पानी पीने पर दलित छात्र की हत्या की भ्रामक घटना दो साल पुरानी है

सोशल मीडिया में अखबार की एक कटिंग वायरल है। इस कटिंग में बताया गया है कि हेडमास्टर की मटकी से पानी पीने पर दलित छात्र की हत्या कर दी गयी। हालाँकि पड़ताल में पता चलता है कि यह भ्रामक घटना दो साल से ज्यादा पुरानी है।

दयाशंकर मिश्र ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘यह मनुस्मृति और संविधान की लड़ाई है। जब तक मनुस्मृति ज़िंदा है, ऐसी घटनाओं से मुक्ति संभव नहीं। राजस्थान की यह ख़बर भारत में दलितों के साथ भेदभाव की पूरी कहानी बता देती है। आरक्षण के सवाल पर नाराज़ होने वालों को थोड़ा सा वक़्त ऐसी ख़बरों के लिए भी देना चाहिए।’

पुनीत शर्मा ने लिखा, ‘जाति? कहाँ है जाति? अब तो जाति के स्वघोषित योद्धा भी सिरे से गायब हैं। क्यूँकि उनकी नयी नौकरी और उस से होने वाली कमाई, अब उन्हें कम से कम, अपनी पोषण पार्टी के राज्यों में होने वाले जातिगत अपराधों की ओर देखने से रोक देती है।’

कदम सिंह ने लिखा, ‘राजस्थान के जालोर के सुराणा के निजी स्कूल के हेडमास्टर ने दलित छात्र को घडे से पानी पीने पर उसकी निर्ममता पूर्वक पिटाई की जिससे उसकी मौत हो गई घटना बेहद शर्मनाक है प्रदेश सरकार दोषी के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करे राष्ट्रीय दलित जागरण मंच की यही मांग है’

क्या है हकीकत? पड़ताल में हमने कुछ कीर्ड्स को गूगल सर्च किया तो एनबीटी की वेबसाइट पर एक रिपोर्ट मिली। अगस्त 2022 को प्रकाशित इस रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान के जालोर जिले के सायला थाने में क्षेत्र के निजी स्कूल में शिक्षक छैलसिंह ने दलित छात्र इन्द्र कुमार के साथ मारपीट की। आरोप है कि बच्चे ने मटकी से पानी पीया था। बच्चे को थप्पड़ मारने के बाद उसकी मौत होने का मामला दर्ज करवाया गया है।

इसके बाद हमे इस सम्बन्ध में आज तक की ग्राउंड रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट के मुताबिक सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल के शिक्षकों, बच्चों, स्कूली बच्चों के अभिभावकों और ग्रामीणों से बातचीत पर पता चला कि स्कूल में कोई मटकी ही नहीं है। सभी बच्चे, स्टाफ स्कूल में लगी एक कॉमन पानी की टंकी से पानी पीते हैं। स्कूल प्रशासन दबी जुबान में यह बात स्वीकारते नजर आया कि बच्चों की आपसी मारपीट के बाद शिक्षक छैलसिंह ने दोनों बच्चों को थप्पड़ मार दिया था। ग्रामीणों और स्कूल स्टाफ का कहना है कि गांव के लोग और स्कूल के स्टाफ किसी तरह से जातिगत भेदभाव नहीं करते, स्कूल में आधे से ज्यादा एससी एसटी वर्ग के बच्चे हैं और आधे शिक्षक भी इसी वर्ग से हैं। दो बच्चों के झगड़ने पर टीचर ने दोनो बच्चों को एक एक थप्पड़ लगाकर शांत करवाया था।

वहीं तीसरी क्लास में इंद्र कुमार के साथ पढ़ने वाले छात्र राजेश ने बताया कि मेरी और इंद्र कुमार की आपस में लड़ाई हो गई थी, जिस पर छैल सिंह सर ने हम दोनों के कान के नीचे चांटा मारा था। उस दिन के बाद से मैं स्कूल नहीं आया। हमने जब छात्र से मटके को लेकर सवाल किया गया तो उसने कहा स्कूल के सभी बच्चे टांके (पानी की टंकी) से ही पानी पीते हैं।

इस मामले में एबीपी की ग्राउंड रिपोर्ट में बताया गया है कि स्कूल में दो को छोड़कर बाकी टीचर एससी और एसटी समुदाय से ही आते हैं। करीब आधे छात्र भी एससी और एसटी समुदाय से आते हैं। मास्टर मामा भीम राम का कहना है कि छैल सिंह उसी स्कूल में बाकी टीचरों के साथ रहते थे और दलित टीचर के हाथ का बना खाना भी खाते थे।

वहीं स्कूल के एक मास्टर अजमल राम से पूछा गया कि छैल राम मास्टर ने क्यों थप्पड़ मारा था? इस पर अजमल राम ने कहा कि लंच का समय हो रहा था और बच्चे लंच में जगह को लेकर लड़ रहे थे। बच्चे बता रहे हैं कि वो तो गुरु जी ने एक-एक थप्पड़ दोनों को मार दिया था। इंद्र के कान में पहले से चोट लगी थी। बच्चे भी बता रहे हैं पहले से कान में रुई डाल कर आता था। गांव वाले भी बता रहे है, मैंने तो बच्चे को देखा भी नहीं है।

एबीपी न्यूज की पड़ताल में पता चला मृतक के पिता ने स्कूल से बच्चे के इलाज के लिए पैसे मांगे थे। गांव की पंचायत में डेढ़ लाख रुपए देने को लेकर सहमति बनी। इसी डेढ़ लाख की एक किस्त 50 हजार रुपए 22 जुलाई को और 1 लाख रुपए की दूसरी किस्त 23 जुलाई को इंद्र मेघवाल के पिता को दी गयी। एबीपी न्यूज के हिडेन कैमरे पर बच्चे के पिता ने पैसे मिलने की बात मानी। पिता देवा राम ने कहा कि मास्टर साहब ने इलाज के लिए डेढ़ लाख रुपए दिए थे। कहा कि इलाज कराओ, ऑफ हो गया तो क्या करेंगे।

मटके वाली बात पर मास्टर अजमल राम ने कहा कि मटके वाली कोई बात नहीं। अजमल राम ने कहा कि सभी एक ही टंकी से पानी पीते हैं। अजमल राम ने कहा कि बोतल खाली होती है तो बच्चों से कहते है कि पानी भर ला या बाहर से जाकर खुद पानी पी लेते हैं। टीचर अजमल राम का भी यही दावा है कि टीचर और बच्चे एक ही नल से पानी पीते हैं।

वहीं इस मामले में दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक जांच टीम ने चार्जशीट पेश करते हुए स्टूडेंट की मौत को हत्या माना है लेकिन मटकी से पानी पीने की बात पर पिटाई का जिक्र नहीं है। इस पूरे केस में एसआईटी ने 1000 पेज की चार्जशीट दाखिल करते हुए 78 गवाहों के बयान भी लिए हैं।

चार्जशीट में जिक्र है कि छात्रों ने स्कूल में मटकी नहीं होने की बात कहते हुए बताया था कि सभी बच्चे टंकी से पानी पीते हैं। दो छात्रों के बीच झगड़े के कारण थप्पड़ मारने की बात कही। शिक्षकों व ग्रामीणों ने भी पुलिस बयान में बताया कि स्कूल में कभी मटकी नहीं थी। छैल सिंह और इंद्र के पिता के बीच हुए राजीनामे में शामिल 2 लोगों ने भी बयान में कहा कि उस दिन मटकी को लेकर थप्पड़ मारने वाली बात हमारे सामने नहीं आई।

दावाहेडमास्टर की मटकी से पानी पीने पर दलित छात्र की हत्या कर दी गयी।
हकीकतयह प्रकरण अगस्त 2022 का है। इस मामले में परिजनों के आरोप गलत साबित हुए थे। छात्र के कान में इन्फेक्शन था। दो छात्रों की लड़ाई में शिक्षक ने छात्र को थप्पड़ मारा था।

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